जयपुर: बीते 13 दिन से हड़ताल पर चल रहे सफाई कर्मचारियों के साथ सोमवार रात को हुई वार्ता में ये तय किया गया था कि सभी कर्मचारियों की सहमति के साथ हड़ताल खत्म करने की घोषणा की जाएगी. ऐसे में सोमवार को हेरिटेज निगम मुख्यालय पर समझौता मंच सजा. प्रशासन और वाल्मीकि समाज सफाई श्रमिक संघ के बीच समझौता हुआ और उसकी पुष्टि सभी सफाई कर्मचारियों के समक्ष की गई.
इस दौरान मौजूद रहे यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए सफाई कर्मचारी के सामने समझौते की मुख्य बातें रखी गई और उपस्थित सभी ने उसका सर्वसम्मति से अनुमोदन किया. अनुमोदन के बाद समझौते पत्र पर हस्ताक्षर हुए और इसके साथ ही हड़ताल खत्म हो गई. अब सफाई कर्मचारियों ने वादा किया है कि 13 दिन में जो प्रदेश में अव्यवस्था हुई है, उसका सुधार तीन दिन में कर सफाई व्यवस्था सुचारू करेंगे. उन्होंने वादा किया है कि जयपुर शहर में तो 2 दिन में ही पूरी सफाई करके 13 दिन की कसर पूरी कर देंगे.
यूडीएच मंत्री ने बताया कि सफाई कर्मचारी भर्ती में शुरुआत में योग्यता का जो निर्धारण किया गया था, उसमें 2 साल नगरीय निकायों में सफाई कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र को आधार माना गया था. बीच में उसमें कई संशोधन हुए. अब उन सभी संशोधनों को वापस लेते हुए पुराना नियम वापस कर लिया है और पुरानी शर्तों के साथ विज्ञप्ति को वापस निकाला जाएगा, जल्द इसी महीने नई विज्ञप्ति जारी कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जो पद पूर्व में घोषित हैं उनमें कोई कमी नहीं आएगी.
आवश्यकता पड़ी तो कुछ पद बढ़ा दिए जाएंगे. इस बार स्थाई समाधान की दिशा में काम किया गया है. जो नया नियम बन रहा है उसमें पहले लंबे समय तक सफाई का काम करना पड़ेगा और उसके बाद वो स्थाई भर्ती के योग्य होंगे. ऐसे में जो लगातार सफाई करेगा, वही रहेगा और जो नहीं करेगा वो अपने घर के लिए प्रस्थान करेगा. इससे पहले सफाई कर्मचारियों को मंच से संबोधित करते हुए खर्रा ने कहा कि सोमवार रात को ही सफाई करें तो उन्हें भी बता दें, वो भी आ जाएंगे. वहीं, उन्होंने अपने गांव का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि उनके गांव में करीब 150 साल से जातियों में आपसी कोई भेदभाव नहीं है. सब एक कुएं से पानी पीते हैं.
वहीं, हड़ताल समाप्ति की घोषणा करते हुए संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि 2018 का जो घाव था, उस पर सरकार ने मलहम लगाते हुए 2012 के नियमों के तहत सफाई कर्मचारी की भर्ती कराने का फैसला लिया है. हालांकि, इस संबंध में पूर्ववर्ती सरकार से भी निवेदन किया था, लेकिन तत्कालीन यूडीएच मंत्री ने वाल्मीकि समाज की मांग नहीं मानते हुए ऐसे नियम लागू किए, जिसकी वजह से आज ये दिन देखने को मिला. लेकिन अब वर्तमान बीजेपी सरकार ने वाल्मीकि समाज की प्रमुख मांग भर्तियों में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता और कोर्ट केस के प्रकरणों में नियुक्ति आदेश जारी किए हैं. साथ ही जिन कर्मचारियों ने वाल्मीकि समाज की आवाज उठाते हुए हड़ताल की, उनका वेतन भी नहीं काटा जाएगा. इससे पहले डंडोरिया ने मंच से कहा कि अदालतों में प्रकरण चलने की वजह से समाज में दलाली शुरू हो गई थी, लेकिन अब सरकार ने कमेटी बना दी है और यूनियन के एक भी प्रतिनिधि का दलाली में नाम आए तो फांसी लगा दें.
इन मांगों पर बनी सहमति :
- नगरीय निकायों से मिलने वाले अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर परंपरागत सफाई का काम करने वाले समाज को प्राथमिकता.
- पात्र अभ्यर्थी अपने ही जिले में कर सकेगा आवेदन.
- लंबित कोर्ट केस और निस्तारित हो चुके कोर्ट केस के 362 मामलों में नियुक्ति आदेश जारी कर नियुक्ति आदेश जारी. इनमें सर्वाधिक अलवर के 154 प्रकरण निस्तारित हुए.
- हड़ताल अवधि के दौरान किसी की कार्मिक पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और वेतन भी नहीं काटा जाएगा.
वहीं, समझौते के दौरान मौजूद रहे विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि बीजेपी और वाल्मीकि समाज एक दूसरे के पूरक हैं. भाजपा सरकार में उन्हें कोई तकलीफ नहीं आएगी. समस्या का समाधान उनके पास है. वहीं, विधायक बालमुकुंद आचार्य ने वाल्मीकि समाज को मार्शल कौम बताते हुए कालीचरण सराफ पर ही चुटकी लेते हुए कहा कि आप जैसे बड़े-बड़े सेठ साहूकार परकोटा छोड़कर बाहर गए. ये लोग हैं जो लठ रौप कर बैठे हैं, जो इस देश पर राज करने की नीयत से आए थे, उनके यदि किसी ने दांत तोड़े हैं, तो वो वाल्मीकि समाज की इस मार्शल ने ही तोड़े हैं.