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स्कूल में बच्चे सीखेंगे स्वच्छता का पाठ! मेयर सौम्या गुर्जर ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर कक्षा 1 से 5 तक यानी प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता का एक अध्याय शामिल करने का आग्रह किया है.

Mayor Saumya Gurjar
Mayor Saumya Gurjar
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 6, 2024, 7:57 PM IST

महापौर सौम्या गुर्जर

जयपुर. बच्चों को बचपन से ही स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखा है. उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक यानी प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता का एक अध्याय शामिल करने का आग्रह किया है, ताकि बच्चे बचपन से ही स्वच्छता को अपने जीवन में उतार सकें.

कक्षा 1 से 5 तक छात्रों पढ़ाया जाए पाठ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत की शुरुआत की थी. उन्होंने विभिन्न मंचों से इस मुहिम से जुड़ते हुए अपने आसपास का परिसर और शहर को स्वच्छ रखने में लोगों से आह्वान किया. इसे लेकर अब आम जनता तक स्वच्छता का संदेश पहुंचाने के लिए ग्रेटर नगर निगम के महापौर ने एक नया रास्ता अपनाया है. उन्होंने बताया कि स्वच्छता के लिए कई संस्थाएं काम करती हैं, तो आम जनता की भी इसमें सहभागिता होनी चाहिए. उनका भी शहरवासी होने का कर्तव्य बनता है. आज डोर टू डोर कचरा संग्रहण, नियमित सफाई होने के बावजूद भी जब शहर में कचरे की ढेर देखते हैं तो पीड़ा होती है. इसके लिए अब बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से स्कूली शिक्षा में कक्षा 1 से 5 तक छात्रों को स्तर के अनुसार स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए.

पढ़ें. सरकार बदलने के साथ दफ्तरों की बदली तस्वीर, छुट्टी के दिन भी खुले कार्यालय, स्वच्छता का दिया संदेश

बच्चे बड़ों को टोकेंगे तो पड़ेगा प्रभाव : मेयर ने कहा कि बच्चा यदि बचपन से कुछ सीखता है तो जैसे-जैसे वो बड़ा होगा तो स्वच्छता को आत्मसात करेगा. बच्चे यदि स्वच्छता का पाठ पढ़ेंगे तो आसपास के परिसर, खेल ग्राउंड, स्कूल, शॉपिंग सेंटर या किसी भी अन्य स्थान पर जाएंगे तो गहराई के साथ इसे ऑब्जर्व करेंगे. स्कूल में जब पढ़ाया जाएगा कि कचरा सार्वजनिक स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए, तो बच्चे वहां अपने से बड़ों को भी टोकेंगे. जब बच्चे टोकते हैं तो बात मन पर लगती है. इससे कहीं न कहीं बड़ों को ध्यान आता है कि जब बच्चे कह रहे हैं तो उन्हें भी देश के अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाना चाहिए.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि वो पाठ्यक्रम में स्वच्छता के पाठ को जगह दें. पहली कक्षा में बच्चों को स्वच्छ क्षेत्र और अस्वच्छ क्षेत्र में अंतर, कचरा किस स्थान पर डाला जाता है, कचरे के प्रकार, कचरे को नहीं जलाने जैसे बेसिक कॉन्सेप्ट को चित्रों के माध्यम से पढ़ाया जाए. फिर अगली कक्षा में स्वच्छता के प्रकार, अस्वच्छ रहने की हानियां जैसी कॉम्पोनेंट्स को शामिल किया जा सकता है, जो स्वच्छ सर्वेक्षण में सिटीजन से अपेक्षा होती है. उसे बच्चों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, इसलिए बहुत सरल फॉर्मेशन में ऐसे अध्याय तैयार कर पुस्तकों में शामिल किया जा सकता है, ताकि उसे समझना आसान हो.

महापौर सौम्या गुर्जर

जयपुर. बच्चों को बचपन से ही स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखा है. उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक यानी प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता का एक अध्याय शामिल करने का आग्रह किया है, ताकि बच्चे बचपन से ही स्वच्छता को अपने जीवन में उतार सकें.

कक्षा 1 से 5 तक छात्रों पढ़ाया जाए पाठ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत की शुरुआत की थी. उन्होंने विभिन्न मंचों से इस मुहिम से जुड़ते हुए अपने आसपास का परिसर और शहर को स्वच्छ रखने में लोगों से आह्वान किया. इसे लेकर अब आम जनता तक स्वच्छता का संदेश पहुंचाने के लिए ग्रेटर नगर निगम के महापौर ने एक नया रास्ता अपनाया है. उन्होंने बताया कि स्वच्छता के लिए कई संस्थाएं काम करती हैं, तो आम जनता की भी इसमें सहभागिता होनी चाहिए. उनका भी शहरवासी होने का कर्तव्य बनता है. आज डोर टू डोर कचरा संग्रहण, नियमित सफाई होने के बावजूद भी जब शहर में कचरे की ढेर देखते हैं तो पीड़ा होती है. इसके लिए अब बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से स्कूली शिक्षा में कक्षा 1 से 5 तक छात्रों को स्तर के अनुसार स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए.

पढ़ें. सरकार बदलने के साथ दफ्तरों की बदली तस्वीर, छुट्टी के दिन भी खुले कार्यालय, स्वच्छता का दिया संदेश

बच्चे बड़ों को टोकेंगे तो पड़ेगा प्रभाव : मेयर ने कहा कि बच्चा यदि बचपन से कुछ सीखता है तो जैसे-जैसे वो बड़ा होगा तो स्वच्छता को आत्मसात करेगा. बच्चे यदि स्वच्छता का पाठ पढ़ेंगे तो आसपास के परिसर, खेल ग्राउंड, स्कूल, शॉपिंग सेंटर या किसी भी अन्य स्थान पर जाएंगे तो गहराई के साथ इसे ऑब्जर्व करेंगे. स्कूल में जब पढ़ाया जाएगा कि कचरा सार्वजनिक स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए, तो बच्चे वहां अपने से बड़ों को भी टोकेंगे. जब बच्चे टोकते हैं तो बात मन पर लगती है. इससे कहीं न कहीं बड़ों को ध्यान आता है कि जब बच्चे कह रहे हैं तो उन्हें भी देश के अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाना चाहिए.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि वो पाठ्यक्रम में स्वच्छता के पाठ को जगह दें. पहली कक्षा में बच्चों को स्वच्छ क्षेत्र और अस्वच्छ क्षेत्र में अंतर, कचरा किस स्थान पर डाला जाता है, कचरे के प्रकार, कचरे को नहीं जलाने जैसे बेसिक कॉन्सेप्ट को चित्रों के माध्यम से पढ़ाया जाए. फिर अगली कक्षा में स्वच्छता के प्रकार, अस्वच्छ रहने की हानियां जैसी कॉम्पोनेंट्स को शामिल किया जा सकता है, जो स्वच्छ सर्वेक्षण में सिटीजन से अपेक्षा होती है. उसे बच्चों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, इसलिए बहुत सरल फॉर्मेशन में ऐसे अध्याय तैयार कर पुस्तकों में शामिल किया जा सकता है, ताकि उसे समझना आसान हो.

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