जयपुर. वैवाहिक विवाद केस में अवयस्क बच्चे की गवाही नहीं हो सकती. तलाक से जुड़े एक प्रकरण में अधिवक्ता डीएस शेखावत ने बताया कि दोनों पक्षों की साक्ष्य बहस पूरी हो गई है. अप्रार्थिया ने अपने अवयस्क बेटे के साक्ष्य बयान रिकॉर्ड पर लेने की अर्जी लगाई है, लेकिन उसने यह नहीं बताया है कि वह बेटे की गवाही किस बिंदु पर करवाना चाहती है. वहीं. इस मामले में यह किस घटना से जुडा हुआ है, जो इसके फैसले के लिए जरूरी हो.
दरअसल, अप्रार्थिया ने तलाक के मामले में अपने अवयस्क बेटे की गवाही के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की थी. इसके विरोध में पति का कहना था कि बेटा अप्रार्थिया के साथ ही रह रहा है और वह उसे परेशान व उस पर दबाव बनाने के लिए ही बेटे की कोर्ट में गवाही दिलवाना चाहती है. उसका बेटा केवल नौ साल का है और कोर्ट में आने से उसके मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
बेटे की साक्ष्य तभी ली जा सकती है, जब कोई महत्वपूर्ण घटना उसके सामने हुई हो और उससे बेटे का कोई संबंध रहा हो. इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट भी तय कर चुका है कि नाबालिग अदालत में शपथ पत्र पेश नहीं कर सकता है. ऐसे में अप्रार्थिया का प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर अवयस्क बेटे की गवाही से मना कर प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.