जबलपुर : पिकोरा बम की रिफलिंग जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में चल रही है. इसी रिफिलिंग के दौरान एक भयंकर विस्फोट में 2 कर्मचारियों की मौत हो गई. साथ ही 11 कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए. अमूमन वायु सेना ऐसे बमों का इस्तेमाल करती है. इन बमों को बेहद खतरनाक माना जाता है. इसकी खासियत है कि एक समय के बाद इन बमों के भीतर भरी बारूद इस्तेमाल नहीं हो सकती. इसलिए इन्हें फिर से रिफिल किया जाता है.
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में डेढ़ हजार बमों की रिफिलिंग
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया को ऐसे 1500 बमों को रिफिल करने का आर्डर है. इसके तहत बम को पहले खोला जाता है. फिर उसके अंदर की पुरानी बारूद को अलग किया जाता है और फिर उसमें नई बारूद भर उसे दोबारा इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है. यह बेहद खतरनाक काम है. इसे ऑटोमेटिक मशीन से स्टीम के जरिए किया जाता है. रूस के ये बम कितने खतरनाक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रिफिलिंग के दौरान जब यह ब्लास्ट हुआ तो जिस इमारत में इसकी रिफिलिंग का काम चल रहा था, वह नष्ट हो गई.
बम धमाके की आवाज दो किमी दूर तक
इस हादसे में एक कर्मचारी जो सबसे पास में था, उसका शव लगभग 150 मीटर दूर मिला और फैक्ट्री से लगभग 2 किलोमीटर दूर के गांव में इस धमाके की आवाज सुनी गई. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया के कर्मचारी नेता आनंद शर्मा का कहना है "रशियन बम को रिफिल करने का काम बेहद ट्रेंड हाथों से होना चाहिए. फैक्ट्री के कुछ कर्मचारियों को इसकी ट्रेनिंग दी गई थी, लेकिन पूरी प्रक्रिया में कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर हुई है."
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ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया के कर्मचारियों में रोष
इस मामले में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया के जॉइंट जनरल मैनेजर अविनाश शंकर का कहना है "घटना की जांच की जा रही है. रिफिलिंग के काम का एक स्टैंडर्ड प्रोसीजर होता है. इसकी जांच की जा रही है कि स्टैंडर्ड प्रोसीजर में कहां गलती हुई." ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के सीएमडी देवाशीष बनर्जी आज जबलपुर आ रहे हैं. वह घायलों से मुलाकात करेंगे. वहीं इस हादसे में दो कर्मचारियों एलेक्जेंडर टोपो और रणवीर सिंह की जान चली गई. इससे कर्मचारियों में गुस्सा है. कर्मचारियों ने यह तय किया है कि बिना पूरी ट्रेनिंग के अब यह काम नहीं किया जाएगा और जहां पर रिफिलिंग का काम होता है वहां केवल ट्रेंड कर्मचारी ही काम करेंगे.