जबलपुर। गैंगरेप नाबालिग पीड़िता तथा उसकी बहन की मुफ्त शिक्षा से यह मामला जुड़ा है. मंदसौर में हुई घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दोनों को सरकार की तरफ से मुफ्त शिक्षा देने का आश्वासन दिया था और इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का एडमिशन करवाया था.इसके बाद फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन ने पीड़ित को नोटिस जारी कर दिया. इस संंबंध में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किये जाने के आदेश दिये थे.याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने इस मामले में जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया है.इसी को लेकर कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है.अब 12 फरवरी को इस मामले में सुनवाई होगी.
स्कूल नोटिस पर डीईओ का तर्क
मंदसौर में 2018 में एक नाबालिग के साथ गैंगरेप हुआ था. उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता और उसके परिवार से वादा किया था कि सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का ख्याल रखेगी. सरकार ने इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का दाखिला करवाया था.इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने इंदौर कलेक्टर और जिला शिक्षा विभाग को 14 लाख रुपये बकाया का नोटिस भेजा था. इस नोटिस पर जिला शिक्षा अधिकारी का तर्क था कि प्रवेश के लिए सरकार द्वारा स्कूल को दिए गए पत्र में यह उल्लेख नहीं किया गया था कि फीस का भुगतान कौन करेगा.
हाईकोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी
इस संबंध में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किये जाने के आदेश दिये थे. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ में सरकार की तरफ से हलफनामा के साथ जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अगली सुनवाई 12 फरवरी को निर्धारित की है. युगलपीठ ने कहा कि हम यह समझने में असफल हैं कि सरकार दुबारा ऐसा अनुरोध कैसे कर सकती है,वह भी जनहित याचिका में.
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मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित किया था मामला
याचिका को सुनवाई के लिए इंदौर खंडपीठ ने मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित किया गया था. हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि नाबालिग बलात्कार पीड़िता राज्य द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद भी उत्पीड़न से गुजर रही है.यह काफी चौंकाने वाली स्थिति है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग ,कलेक्टर तथा स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी हलफनामा में जवाब पेश करने के आदेश जारी किये थे.