जबलपुर। एक व्यक्ति को दोबारा नौकरी पाने में 25 साल लग गए.मामला नरसिंहपुर जिले के करेली का है.यहां सेंन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने एक दैनिक वेतन भोगी को 7 साल की नौकरी के बाद बिना कारण बताए 1999 में निकाल दिया था. जिसके खिलाफ उसने केन्द्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण में आवेदन दिया था.इस मामले में केन्द्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण ने आवेदक के पक्ष में फैसला दिया लेकिन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.अब हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को फिर से बहाल करने के आदेश जारी किए हैं.
बिना कारण बताए नौकरी से निकाला
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने ढाई दशक पहले 1999 में बिना कारण बताये दैनिक वेतन भोगी को सेवा से पृथक कर दिया था.मामला नरसिंहपुर जिले की करेली ब्रांच का था.नौकरी से निकालने के बाद पीड़ित दिनेश कुमार कहार ने केन्द्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण में आवेदन पेश किया था. केन्द्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण ने उसके पक्ष में आदेश जारी किया था.लेकिन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने उसे दोबारा नौकरी नहीं दी और केंद्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि अनावेदक दिनेष कुमार कहार निवासी नरसिंहपुर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया बैंक की करेली शाखा में उसे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में फरवरी 1992 को सेवा में लिया गया था. सात साल बाद 1999 में उसे बिना किसी कारण बताये सेवा से पृथक कर दिया गया था. जिसके खिलाफ उसने केन्द्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण में अपील की थी.
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हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक विवाद अधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की याचिका को खारिज करते हुए दैनिक वेतन भोगी को सभी लाभ प्रदान करते हुए दोबारा बहाल करने के आदेश जारी किये हैं.अनावेदक कर्मचारी की तरफ से अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद चौधरी ने पैरवी की.