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भोपाल गैस त्रासदी मामले पर बनी मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट पर सुनवाई, सरकार ने कोर्ट को ये बताया

High Court on Bhopal Gas Tragedy Case: भोपाल गैस त्रासदी मामले पर बनी मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस रिपोर्ट पर सरकार ने अपना पक्ष रखा और कोर्ट को सिलसिलेवार जानकारी दी.

High Court on Bhopal Gas Tragedy Case
भोपाल गैस त्रासदी मामले पर सुनवाई
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 8:49 PM IST

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित बनी मॉनिटरिंग कमेटी की हाईकोर्ट में दायर रिपोर्ट पर सुनवाई हुई. इस रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी के कोर्डिनेटर के पद पर डॉ डीपी अग्रवाल बने रहेंगे.वहीं कोर्ट को बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी ने अधिवक्ता को मानदेय प्रदान करने के लिए फंड की मांग की गई थी. इसके लिए उन्हें शासकीय अधिवक्ता उपलब्ध कराने के लिए पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था. (hearing on monitoring committee report)

अधिवक्ता करेंगे निशुल्क पैरवी

मॉनिटरिंग कमेटी के अधिवक्ता ने निशुल्क पैरवी करने के संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा को जानकारी दी है. अब युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की है.

क्या है मामला

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. साथ ही मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही है.

2015 में दायर की गई थी अवमानना याचिका

याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी.अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं पर कार्य हुआ है. जिसके कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड रहा है. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किए जाने पर युगलपीठ ने अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के निर्देश दिए थे.

ये भी पढ़ें:

हाईकोर्ट में सरकार ने दी जानकारी

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोग्राफर उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके अलावा भोपाल एम्स से एमओयू साइन हुआ है और गैस पीड़ित व्यक्तियों को कैंसर का फ्री इलाज होगा. याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की. अब युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की है.

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित बनी मॉनिटरिंग कमेटी की हाईकोर्ट में दायर रिपोर्ट पर सुनवाई हुई. इस रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी के कोर्डिनेटर के पद पर डॉ डीपी अग्रवाल बने रहेंगे.वहीं कोर्ट को बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी ने अधिवक्ता को मानदेय प्रदान करने के लिए फंड की मांग की गई थी. इसके लिए उन्हें शासकीय अधिवक्ता उपलब्ध कराने के लिए पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था. (hearing on monitoring committee report)

अधिवक्ता करेंगे निशुल्क पैरवी

मॉनिटरिंग कमेटी के अधिवक्ता ने निशुल्क पैरवी करने के संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा को जानकारी दी है. अब युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की है.

क्या है मामला

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. साथ ही मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे. जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही है.

2015 में दायर की गई थी अवमानना याचिका

याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी.अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं पर कार्य हुआ है. जिसके कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड रहा है. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किए जाने पर युगलपीठ ने अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के निर्देश दिए थे.

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हाईकोर्ट में सरकार ने दी जानकारी

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोग्राफर उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके अलावा भोपाल एम्स से एमओयू साइन हुआ है और गैस पीड़ित व्यक्तियों को कैंसर का फ्री इलाज होगा. याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की. अब युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की है.

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