जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो में सेना व विभिन्न सुरक्षा बलों के हथियार रखे जाते हैं, लेकिन इनका जब बिहार से कनेक्शन निकला तो हड़कंप मच गया. कुछ साल पहले बिहार के मुंगेर में पुलिस सड़क पर वाहनों की चेकिंग कर रही थी. इसी दौरान इमरान नाम के एक शख्स को पकड़ा गया. इस संदिग्ध के वाहन से पुलिस को दो AK47 राइफल बरामद हुई थीं. इमरान से जब पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह AK-47 राइफल जबलपुर से खरीद कर लाया था.
फिर शुरू हुई छापेमार कार्रवाई
बिहार में पकड़े गए इमरान के जबलपुर कनेक्शन की जानकारी जब जबलपुर पुलिस को लगी तो फिर शुरू हुई ताबड़तोड़ छापामार कार्रवाई. जबलपुर पुलिस ने गोरखपुर क्षेत्र में रहने वाले पुरुषोत्तम रजक के घर छापा मारा. इस छापे में गोरखपुर पुलिस को इंसास राइफल की एक मैगजीन और AK-47 के तीन कारतूस और उससे जुड़ी हुई कई चीजें मिलीं. पुलिस ने पुरुषोत्तम रजक, उसकी पत्नी और उसके बेटे को तत्काल हिरासत में ले लिया.
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करता था पहला आरोपी
तत्कालीन गोरखपुर सीएसपी आलोक शर्मा ने बताया, '' पुलिस के सामने एक बड़ी समस्या यह थी कि आखिर पुरुषोत्तम रजक के पास AK-47 राइफल के असली कलपुर्जे आ कहां से रहे थे? पूछताछ में पता लगा कि पुरुषोत्तम ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करता था. जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में देश भर से सुरक्षा एजेंसियों की राइफलें आती हैं. जब राइफलें खराब हो जाती हैं तो उन्हें जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में दे दिया जाता है. इनमें से ज्यादातर पुरानी राइफल कबाड़ हो जाती हैं और उन्हें स्टोर में जमा कर दिया जाता है. इसी जगह पर सेंट्रल आर्डिनेंस डिपो स्टोर कीपर सुरेश ठाकुर काम करता था. कबाड़ हो चुकी राइफल सुरक्षा एजेंसियों के काम की नहीं होतीं लेकिन इनके पार्ट्स एक नई गन बनाने के लिए काम में लाए जा सकते हैं, पुरुषोत्तम रजक इस काम में माहिर था.''
डिपो से ऐसे गायब हुईं AK-47
डिपो स्टोर कीपर सुरेश ठाकुर AK-47 के पार्ट्स धीरे-धीरे करके चोरी करता था और अपनी मोटरसाइकिल में छुपा लेता था. यह काम वह इतने शातिर अंदाज में करता जा रहा था कि स्टोर में ना तो बंदूक की संख्या कम हो रही थी और ना ही किसी को इस बात का अंदाजा था. सुरेश ठाकुर यह सामान पुरुषोत्तम रजक को दे देता था. पुरुषोत्तम एक-एक पार्ट को जोड़कर नई बंदूक तैयार कर देता था. अब इस राइफल को पुरुषोत्तम और उसकी पत्नी टुकड़ों में ही ट्रेन के माध्यम से जबलपुर से कटनी तक ले जाते थे. यहां से इमरान की टीम काम करती थी और इमरान इन्हें जबलपुर से बिहार के मुंगेर तक ले जाता था.
तो कहा गायब हुई बाकी की 77 AK-47 ?
गौरतलब है कि AK-47 दुनिया की सबसे खतरनाक बंदूकों में से एक मानी जाती है. इसका ज्यादा इस्तेमाल आतंकवादी और नक्सलवादी करते हैं. पुरुषोत्तम इमरान को यह बंदूक तीन से चार लाख रुपए में बेच देता था. इसके बाद इमरान इस मुह मांगी कीमत में इसे आगे बेचता था. जांच एजेंसियों की पूछताछ में लगभग 98 राइफल बेचने की बात सामने आई है इनमें से अब तक मात्र 21 AK-47 राइफल ही बरामद की जा सकी हैं. अभी भी 77 AK-47 राइफल कहां हैं, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है. यह खतरनाक हथियार जिसके पास भी है वह समाज में अशांति पैदा कर सकता है.
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तस्करी से जुड़े सभी आरोपी जेल में
जबलपुर पुलिस ने इस तस्करी से जुड़े चार आरोपियों को पकड़ कर जेल में भेज दिया है. इनके खिलाफ चालान भी पेश कर दिया गया है. सभी आरोपियों पर केस भी चल रहे हैं लेकिन अभी भी इस मामले से जुड़े बिहार के कुछ आरोपियों के बयान होना बाकी हैं. इस मामले के बाद कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं मिले. जैसे कि क्या केवल 98 एके-47 ही बेची गई थीं या इनकी संख्या इससे कहीं ज्यादा है? ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के सेंट्रल आर्डिनेंस डिपो से लगातार बंदूक के निकलती रही तो फिर पुलिस ने यहां के बाकी अधिकारी कर्मचारियों को आरोपी क्यो नहीं बनाया? जबलपुर से ट्रेन के माध्यम से इतनी बड़ी तस्करी हो रही थी तो फिर जीआरपी और आरपीएफ क्या कर रही थी?