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क्या होती है IVF की आखिरी उम्र, निसंतान दंपतियों के लिए वरदान है ये तकनीक, जानें क्या कहते हैं स्पेशलिस्ट - IVF technology

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 3, 2024, 8:21 PM IST

IVF Technology last Age: बेबी नहीं होने से परेशान कपल्स या किसी भी हेल्थ इश्यूज से जूझ रहीं महिलाओं के लिए IVF एक उम्मीद की किरण है. आईवीएफ तकनीक का लोगों को काफी फायदा हो रहा है. क्या है आईवीएफ और कैसे लोगों को इस तकनीक का फायदा मिलता है इस पर चंडीगढ़ पीजीआई की डॉ. शालिनी गैण्डेर ने ईटीवी भारत पर विस्तार से जानकारी दी है.

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IVF Technology last Age (Etv Bharat)

चंडीगढ़: हर देश में आईवीएफ को लेकर अलग-अलग कानून है. भारत में इसको लेकर कानून बनाए गए हैं. साल 2021 में आईवीएफ को लेकर नियमों में बदलाव किया गया था. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट बनाया गया था. इस एक्ट के मुताबिक 50 साल की उम्र तक महिलाएं मां बन सकती है. जबकि पुरुष 55 साल तक पिता बन सकते हैं. आईवीएफ क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे होता है? पेरेंट्स को इसकी सही गाइडेंस के लिए ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शालिनी गैण्डेर से खास बातचीत की.

सही गाइडेंस न मिलने से लोग परेशान: डॉ. शालिनी ने बताया कि माता-पिता न बनने की समस्या को लेकर लोगों की संख्या बढ़ रही है. रोजाना पीजीआई में 100-150 लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं. इसमें ज्यादातर वो लोग शामिल हैं, जिनको निजी अस्पतालों से भी उम्मीद खत्म हो चुकी है. ऐसे में उनको सही गाइडेंस नहीं मिल पाती तो हताश होकर वे चंडीगढ़ पीजीआई की ओर रुख करते हैं.

ऐसे किया जाता है IVF: डॉ. शालिनी बताती हैं कि आईवीएफ के लिए महिला-पुरुष दोनों के ही कई तरह के टेस्ट भी किए जाते हैं. टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद आगे का प्रोसीजर शुरू होता है. इसके लिए सबसे पहले पुरुष के सीमेन को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है. जांच के दौरान इनमें खराब शुक्राणुओं को अलग किया जाता है. इसके बाद महिला के शरीर से अंडों को इंजेक्शन के जरिए बाहर निकाला जाता है. उनको फ्रीज करके रखा जाता है. इन अंडों के साथ अच्छे सीमेन को लैब में विशेष तरीके से फर्टिलिटी किया जाता है. इससे जो भ्रूण तैयार होता है, उसको कैथिटर की मदद से महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके कुछ हफ्तों के बाद महिलाओं के भी टेस्ट किए जाते हैं. भ्रूण की अच्छी ग्रोथ के लिए महिलाओं को सही गाइडेंस भी दी जाती है.

50 साल बाद महिलाएं नहीं करा सकती IVF: डॉ. शालिनी ने बताया कि 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को आईवीएफ के कराने का नियम है. यह नियम बनाने का एक बड़ा कारण है कि 50 साल की उम्र के बाद अधिकतर महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है. ऐसे में बच्चे पैदा करने के लिए अंडे लगभग खत्म हो जाते हैं. ऐसे में किसी दूसरी महिला का एग लिया जाता है. कई मामलों में संतान किसी दूसरे महिला के एग की होती है. वहीं, 50 साल के बाद महिलाओं में कई तरह की बीमारियां होने का भी रिस्क होता है. इस समय महिलाओं की बीपी, शुगर जैसी समस्याएं बढ़ जाती है. जिससे आईवीएफ कराने पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. यहां तक की महिलाओं की जान तक भी जा सकती है.

सुरक्षित है IVF तकनीक: यदि महिला के पीरियडस समय पर सही तरीके से आते हों और उसकी हेल्थ नॉर्मल हो. तो इस तरकनीक का इस्तेमाल करने से न तो मां को कोई खतरा होता है और न ही बच्चे पर इसका कोई असर होता है. ये एक सामान्य प्रक्रिया है. आईवीएफ कराने के बाद महिलाएं घर के काम भी कर सकती हैं और वर्किंग वुमेन ऑफिस में भी काम कर सकती है. ये हर तरह से नॉर्मल ही होता है. आईवीएफ सुरक्षित प्रेगनेंसी और सुरक्षित बच्चे की गारंटी देता है. इससे महिलाओं को घबराने की या चिंता करने जैसी कोई बात नहीं होती.

50 के बाद IVF का इस्तेमाल करने पर हो चुका है विवाद: गौरतलब है कि पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां ने 58 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया. उन्होंने आईवीएफ का इस्तेमाल किया था. जिसके चलते विवाद भी शुरू हो गया था. इसके लिए उनसे रिपोर्ट भी मांगी गई थी. क्योंकि भारत में 50 साल के बाद महिलाएं आईवीएफ का सहारा लेकर बच्चे को जन्म नहीं दे सकती.

ये भी पढ़ें: मूसेवाला की मां की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट तलब करने पर मान सरकार ने स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब, दिया कारण बताओ नोटिस - pujab gov moose wala mother ivf

ये भी पढ़ें: एंब्रियोलॉजिस्ट्स ने लाखों का सपना किया साकार, जानिए इसका महत्व - World Embryologist Day

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चंडीगढ़: हर देश में आईवीएफ को लेकर अलग-अलग कानून है. भारत में इसको लेकर कानून बनाए गए हैं. साल 2021 में आईवीएफ को लेकर नियमों में बदलाव किया गया था. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट बनाया गया था. इस एक्ट के मुताबिक 50 साल की उम्र तक महिलाएं मां बन सकती है. जबकि पुरुष 55 साल तक पिता बन सकते हैं. आईवीएफ क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे होता है? पेरेंट्स को इसकी सही गाइडेंस के लिए ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शालिनी गैण्डेर से खास बातचीत की.

सही गाइडेंस न मिलने से लोग परेशान: डॉ. शालिनी ने बताया कि माता-पिता न बनने की समस्या को लेकर लोगों की संख्या बढ़ रही है. रोजाना पीजीआई में 100-150 लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं. इसमें ज्यादातर वो लोग शामिल हैं, जिनको निजी अस्पतालों से भी उम्मीद खत्म हो चुकी है. ऐसे में उनको सही गाइडेंस नहीं मिल पाती तो हताश होकर वे चंडीगढ़ पीजीआई की ओर रुख करते हैं.

ऐसे किया जाता है IVF: डॉ. शालिनी बताती हैं कि आईवीएफ के लिए महिला-पुरुष दोनों के ही कई तरह के टेस्ट भी किए जाते हैं. टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद आगे का प्रोसीजर शुरू होता है. इसके लिए सबसे पहले पुरुष के सीमेन को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है. जांच के दौरान इनमें खराब शुक्राणुओं को अलग किया जाता है. इसके बाद महिला के शरीर से अंडों को इंजेक्शन के जरिए बाहर निकाला जाता है. उनको फ्रीज करके रखा जाता है. इन अंडों के साथ अच्छे सीमेन को लैब में विशेष तरीके से फर्टिलिटी किया जाता है. इससे जो भ्रूण तैयार होता है, उसको कैथिटर की मदद से महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके कुछ हफ्तों के बाद महिलाओं के भी टेस्ट किए जाते हैं. भ्रूण की अच्छी ग्रोथ के लिए महिलाओं को सही गाइडेंस भी दी जाती है.

50 साल बाद महिलाएं नहीं करा सकती IVF: डॉ. शालिनी ने बताया कि 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को आईवीएफ के कराने का नियम है. यह नियम बनाने का एक बड़ा कारण है कि 50 साल की उम्र के बाद अधिकतर महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है. ऐसे में बच्चे पैदा करने के लिए अंडे लगभग खत्म हो जाते हैं. ऐसे में किसी दूसरी महिला का एग लिया जाता है. कई मामलों में संतान किसी दूसरे महिला के एग की होती है. वहीं, 50 साल के बाद महिलाओं में कई तरह की बीमारियां होने का भी रिस्क होता है. इस समय महिलाओं की बीपी, शुगर जैसी समस्याएं बढ़ जाती है. जिससे आईवीएफ कराने पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. यहां तक की महिलाओं की जान तक भी जा सकती है.

सुरक्षित है IVF तकनीक: यदि महिला के पीरियडस समय पर सही तरीके से आते हों और उसकी हेल्थ नॉर्मल हो. तो इस तरकनीक का इस्तेमाल करने से न तो मां को कोई खतरा होता है और न ही बच्चे पर इसका कोई असर होता है. ये एक सामान्य प्रक्रिया है. आईवीएफ कराने के बाद महिलाएं घर के काम भी कर सकती हैं और वर्किंग वुमेन ऑफिस में भी काम कर सकती है. ये हर तरह से नॉर्मल ही होता है. आईवीएफ सुरक्षित प्रेगनेंसी और सुरक्षित बच्चे की गारंटी देता है. इससे महिलाओं को घबराने की या चिंता करने जैसी कोई बात नहीं होती.

50 के बाद IVF का इस्तेमाल करने पर हो चुका है विवाद: गौरतलब है कि पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां ने 58 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया. उन्होंने आईवीएफ का इस्तेमाल किया था. जिसके चलते विवाद भी शुरू हो गया था. इसके लिए उनसे रिपोर्ट भी मांगी गई थी. क्योंकि भारत में 50 साल के बाद महिलाएं आईवीएफ का सहारा लेकर बच्चे को जन्म नहीं दे सकती.

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