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15 मौतों के बाद होश में आया परिवहन विभाग, IRTE के साथ मिलकर अब तय की जाएगी स्पीड लिमिट - IRTE will study hilly roads

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 24, 2024, 7:06 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 7:13 PM IST

उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए परिवहन विभाग ने सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) फरीदाबाद के साथ एमओयू साइन किया है. आईआरटीई के विशेषज्ञ पहाड़ों में सड़कों का अध्ययन कर वाहनों की स्पीड लिमिट तय करेंगे.

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कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर बढ़ते सड़क हादसों का एक बड़ा कारण रफ्तार है, जिस पर अब उत्तराखंड का परिवहन विभाग लगाम लगाने जा रहे है. पहाड़ों में वाहनों की गति सीमा को निर्धारित के लिए उत्तराखंड परिवहन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है.

दरअसल, उत्तराखंड परिवहन विभाग ने सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) फरीदाबाद के साथ एमओयू साइन किया है. एमओयू के तहत ट्रायल बेसिस पर आईआरटीई ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच यानी 110 किलोमीटर लंबी सड़क का अध्ययन करेंगा. अध्यन के बाद आईआरटीई स्पीड लिमिट तय करेंगा. उत्तराखंड परिवहन विभाग का प्रयाय है कि वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाकर सड़क हादसे में कमी लाई जा सके.

उत्तराखंड में हाल ही कुछ सड़कों हादसों ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है. बीते दिनों रुद्रप्रयाग में हुए टेंपो ट्रैवलर हादसे में 15 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की थी. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि ऐसा कोई मेकैनिज्म तैयार किया जाए, जिससे सड़क हादसे में कमी आ सके.

इसी क्रम में परिवहन आयुक्त कार्यालय ने आईआरटीई के साथ एमओयू साइन किया है. इसके तहत पहले चरण और ट्रायल बेसिस पर ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क पर ट्रैफिक दबाव, सड़क की चौड़ाई, सुरक्षा उपाय, सड़क की ढलान के साथ ही पहले हो चुके हादसों के आधार पर अध्ययन करेगी.

बता दें कि राज्य में वाहनों की गति सीमा तय करने के लिए कोई भी विशेषज्ञ एजेंसी नहीं है, जिसके चलते आईआरटीई के साथ एमओयू साइन किया गया है. आईआरटीई की ओर से अध्ययन किए जाने के बाद सड़क मार्गो पर अलग-अलग स्थान पर वाहनों की गतिसीमा तय की जाएगी. साथ ही इसे सख्ती से लागू भी कराया जाएगा, ताकि बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके.

आईआरटीई की ओर से ऋषिकेश और श्रीनगर के बीच किए जाने वाले ट्रायल का अध्ययन सफल होने के बाद प्रदेश भर के सड़कों की भी गतिसीमा का अध्ययन कराया जाएगा. इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह बताया कि अभी ट्रायल बेसिस पर ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क पर स्पीड लिमिट का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए सड़क यातायात शिक्षा संस्थान के साथ एमओयू किया गया है.

इसके अलावा आईआरटीई की ओर से राज्य के परिवहन अधिकारियों को भी सड़को पर गतिसीमा तय करने के मानकों संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा. ताकि भविष्य में परिवहन विभाग के अधिकारी भी मानकों के अनुसार सड़कों की गतिसीमा को तय कर सकेंगे. साथ ही कहा कि जल्द ही परिवहन मुख्यालय स्तर से गति सीमा में बदलाव संबंधित नियम भी लागू किया जाएगा.

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देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर बढ़ते सड़क हादसों का एक बड़ा कारण रफ्तार है, जिस पर अब उत्तराखंड का परिवहन विभाग लगाम लगाने जा रहे है. पहाड़ों में वाहनों की गति सीमा को निर्धारित के लिए उत्तराखंड परिवहन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है.

दरअसल, उत्तराखंड परिवहन विभाग ने सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) फरीदाबाद के साथ एमओयू साइन किया है. एमओयू के तहत ट्रायल बेसिस पर आईआरटीई ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच यानी 110 किलोमीटर लंबी सड़क का अध्ययन करेंगा. अध्यन के बाद आईआरटीई स्पीड लिमिट तय करेंगा. उत्तराखंड परिवहन विभाग का प्रयाय है कि वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाकर सड़क हादसे में कमी लाई जा सके.

उत्तराखंड में हाल ही कुछ सड़कों हादसों ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है. बीते दिनों रुद्रप्रयाग में हुए टेंपो ट्रैवलर हादसे में 15 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद से ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की थी. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि ऐसा कोई मेकैनिज्म तैयार किया जाए, जिससे सड़क हादसे में कमी आ सके.

इसी क्रम में परिवहन आयुक्त कार्यालय ने आईआरटीई के साथ एमओयू साइन किया है. इसके तहत पहले चरण और ट्रायल बेसिस पर ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क पर ट्रैफिक दबाव, सड़क की चौड़ाई, सुरक्षा उपाय, सड़क की ढलान के साथ ही पहले हो चुके हादसों के आधार पर अध्ययन करेगी.

बता दें कि राज्य में वाहनों की गति सीमा तय करने के लिए कोई भी विशेषज्ञ एजेंसी नहीं है, जिसके चलते आईआरटीई के साथ एमओयू साइन किया गया है. आईआरटीई की ओर से अध्ययन किए जाने के बाद सड़क मार्गो पर अलग-अलग स्थान पर वाहनों की गतिसीमा तय की जाएगी. साथ ही इसे सख्ती से लागू भी कराया जाएगा, ताकि बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके.

आईआरटीई की ओर से ऋषिकेश और श्रीनगर के बीच किए जाने वाले ट्रायल का अध्ययन सफल होने के बाद प्रदेश भर के सड़कों की भी गतिसीमा का अध्ययन कराया जाएगा. इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह बताया कि अभी ट्रायल बेसिस पर ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क पर स्पीड लिमिट का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए सड़क यातायात शिक्षा संस्थान के साथ एमओयू किया गया है.

इसके अलावा आईआरटीई की ओर से राज्य के परिवहन अधिकारियों को भी सड़को पर गतिसीमा तय करने के मानकों संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा. ताकि भविष्य में परिवहन विभाग के अधिकारी भी मानकों के अनुसार सड़कों की गतिसीमा को तय कर सकेंगे. साथ ही कहा कि जल्द ही परिवहन मुख्यालय स्तर से गति सीमा में बदलाव संबंधित नियम भी लागू किया जाएगा.

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Last Updated : Jun 24, 2024, 7:13 PM IST
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