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अस्पताल में डॉक्टर के बाद नर्स ही मरीजों की देखभाल में दिखती हैं तत्पर, एक्सपर्ट से जानिए एग्रेसिव मरीजों को नियंत्रित करने के टिप्स - International Nurses Day 2024 - INTERNATIONAL NURSES DAY 2024

Himachal INTERNATIONAL NURSES DAY 2024: डॉक्टर के बाद रोगियों को नर्स से ही सपोर्ट और सहयोग मिलता है. मरीजों की सेवा के लिए अस्पताल में नर्स हमेशा तैयार दिखती हैं. वो मरीजों को मानसिक रूप से भी सपोर्ट भी देतीं है. ईटीवी भारत ने अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस पर आईजीएमसी में नर्सिंग सुप्रिडेंट नीना शर्मा से विशेष बातचीच की. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal INTERNATIONAL NURSES DAY 2024
आईजीएमसी में नर्सिंग सुप्रिडेंट नीना शर्मा ने अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस पर शेयर किए अनुभव (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 12, 2024, 2:06 PM IST

शिमला: अस्पतालों में मरीजों का इलाज डॉक्टर करते हैं. लेकिन मरीज की देखभाल, उनको इंजेक्शन, उनकी दवाई का जिम्मा वार्ड में नर्स के हवाले होता है. नर्सिंग केयर से मरीज को जल्द ठीक होने में काफी मदद मिलती है. चिकित्सक मरीज को अस्पताल में दाखिल कर लेते हैं ताकि उनकी केयर हो सके और वे जल्दी स्वस्थ हो सके. मरीज की देखभाल का जिम्मा नर्स पर ही रहता है.

मरीजों की देखभाल करने वाली नर्सों के प्रति सम्मान और सराहना के लिए हर साल 12 मई को विश्व भर में नर्स दिवस मनाया जाता है. 1820 में इसी दिन मॉर्डल नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. दुनिया भर में फ्लोरेंस नाइटिंगेल को लेडी विद दी लैंप के नाम से भी जाना जाता है. उन्हीं की याद में हर वर्ष नर्स दिवस 12 मई को मनाया जाता है.

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में भी एक ऐसी नर्स रही है जिन्होंने अपने 35 सालों के नर्सिंग कैरियर में दीन दुखियों की सेवा को ही सच्ची साधना मानती है. आइजीएमसी में बतौर नर्सिंग सुप्रिडेंट नीना शर्मा से जब ईटीवी ने बात कि तो उन्होंने बताया कि 1985 में नर्सिंग की थी और 1989 में आइजीएमसी में बतौर नर्स की नौकरी लगी. उनका उदेश्य शुरू से ही यही था कि अस्पताल में आने वाला हर मरीज दुखी होता है और उनकों यदि इलाज के साथ मदद मिल जाए तो वह जल्दी ठीक हो जाते हैं.

आगे बताया कि इन 35 सालों में उन्होंने विभिन्न वार्डो में नर्स वार्ड सिस्टर, के पद पर अपनी सेवाएं दी. अभी तक वो विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. इसमें मेडिकल स्पेशल, सर्जिकल स्पेशल, जनरल आईसीयू, कार्डियोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो शामिल हैं. मरीज की परेशानी को देखते हुए उसकी हर संभव मदद करती हैं.


गंभीर मरीज की बचाई थी जान
नीना शर्मा ने कहा कि अस्पताल के मेडिसिन विभाग में रोहड़ू से एक मरीज इलाज के लिए आया था. यह पटवारी था और काफी गंभीर अवस्था में इसे लाया गया था. यह दिमागी तौर पर भी काफी डिस्टर्ब था. मरीज की जान बचाने का हर संभव प्रयास किया गया और मेहनत रंग लाई. इस मरीज का इलाज कर इसे ठीक कर घर भेजा गया.

यह होती है नर्सों की ज़िम्मेदारी
नीना शर्मा बताती हैं कि नर्स की सबसे पहले जिम्मेदारी मरीज के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखना होता है. इससे परेशानी में आया मरीज शांत महसूस करता है. इसके बाद मरीज को बेड दिलवाना होता है. मरीज की परेशानियों को देखते हुए उसकी हर संभव सहायता की जाती है. दिन हो या रात मरीज की सेवा में हमेशा तत्पर रहना होता है.

नर्सिंग सुप्रिडेंट बनने के बाद भी वार्ड में खुद जा कर पूछती है मरीज का हाल
नीना शर्मा वर्तमान में आईजीएमसी शिमला में नर्सिंग सुपरीटेंडेंट के पद पर तैनात हैं. लेकिन सेवा की भावना अभी खत्म नहीं हुई है. वह प्रतिदिन बॉर्डर में जाकर खुद मरीजों का हाल पूछती हैं. उन्हें हर संभव सहायता के लिए पूछती है. दुखी मरीज की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं. कोई छोटा बच्चा इलाज के लिए आ जाए तो उसे हौसला देती हैं.

पहले के जमाने में नर्सिंग और आज के दौड़ में बहुत फर्क
नीता शर्मा ने बताया कि पहले की जमाने में स्टाफ की कमी इतनी ज्यादा नहीं रहती थी और मरीज भी काम रहते थे. अब बदलते दौर में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. लेकिन स्टाफ की कमी चिंता का विषय रहता है. 1 मिनट के हवाले 30-30 मरीज रहते हैं ऐसे में मरीजों की सेवा करना एक चुनौती है.

एग्रेसिव मरीजों के सामने बरते संयम
नीना शर्मा ने बताया कि अस्पताल में कई ग्रामीण क्षेत्र से ऐसे मरीज आते हैं जो कि अपने इलाज के दौरान कई बार स्टाफ पर भड़क जाते हैं. उनके साथ बदतमीजी करने पर उतारू हो जाते हैं. अपना इलाज भी ठीक से नहीं करवाते हैं. ऐसे में उन्हें प्यार और संयम से समझा कर उनका इलाज करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: हर साल इस दिन मनाया जाता है 'द लेडी विद द लैंप' का बर्थडे, जानिए क्या है वजह

शिमला: अस्पतालों में मरीजों का इलाज डॉक्टर करते हैं. लेकिन मरीज की देखभाल, उनको इंजेक्शन, उनकी दवाई का जिम्मा वार्ड में नर्स के हवाले होता है. नर्सिंग केयर से मरीज को जल्द ठीक होने में काफी मदद मिलती है. चिकित्सक मरीज को अस्पताल में दाखिल कर लेते हैं ताकि उनकी केयर हो सके और वे जल्दी स्वस्थ हो सके. मरीज की देखभाल का जिम्मा नर्स पर ही रहता है.

मरीजों की देखभाल करने वाली नर्सों के प्रति सम्मान और सराहना के लिए हर साल 12 मई को विश्व भर में नर्स दिवस मनाया जाता है. 1820 में इसी दिन मॉर्डल नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. दुनिया भर में फ्लोरेंस नाइटिंगेल को लेडी विद दी लैंप के नाम से भी जाना जाता है. उन्हीं की याद में हर वर्ष नर्स दिवस 12 मई को मनाया जाता है.

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में भी एक ऐसी नर्स रही है जिन्होंने अपने 35 सालों के नर्सिंग कैरियर में दीन दुखियों की सेवा को ही सच्ची साधना मानती है. आइजीएमसी में बतौर नर्सिंग सुप्रिडेंट नीना शर्मा से जब ईटीवी ने बात कि तो उन्होंने बताया कि 1985 में नर्सिंग की थी और 1989 में आइजीएमसी में बतौर नर्स की नौकरी लगी. उनका उदेश्य शुरू से ही यही था कि अस्पताल में आने वाला हर मरीज दुखी होता है और उनकों यदि इलाज के साथ मदद मिल जाए तो वह जल्दी ठीक हो जाते हैं.

आगे बताया कि इन 35 सालों में उन्होंने विभिन्न वार्डो में नर्स वार्ड सिस्टर, के पद पर अपनी सेवाएं दी. अभी तक वो विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. इसमें मेडिकल स्पेशल, सर्जिकल स्पेशल, जनरल आईसीयू, कार्डियोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो शामिल हैं. मरीज की परेशानी को देखते हुए उसकी हर संभव मदद करती हैं.


गंभीर मरीज की बचाई थी जान
नीना शर्मा ने कहा कि अस्पताल के मेडिसिन विभाग में रोहड़ू से एक मरीज इलाज के लिए आया था. यह पटवारी था और काफी गंभीर अवस्था में इसे लाया गया था. यह दिमागी तौर पर भी काफी डिस्टर्ब था. मरीज की जान बचाने का हर संभव प्रयास किया गया और मेहनत रंग लाई. इस मरीज का इलाज कर इसे ठीक कर घर भेजा गया.

यह होती है नर्सों की ज़िम्मेदारी
नीना शर्मा बताती हैं कि नर्स की सबसे पहले जिम्मेदारी मरीज के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखना होता है. इससे परेशानी में आया मरीज शांत महसूस करता है. इसके बाद मरीज को बेड दिलवाना होता है. मरीज की परेशानियों को देखते हुए उसकी हर संभव सहायता की जाती है. दिन हो या रात मरीज की सेवा में हमेशा तत्पर रहना होता है.

नर्सिंग सुप्रिडेंट बनने के बाद भी वार्ड में खुद जा कर पूछती है मरीज का हाल
नीना शर्मा वर्तमान में आईजीएमसी शिमला में नर्सिंग सुपरीटेंडेंट के पद पर तैनात हैं. लेकिन सेवा की भावना अभी खत्म नहीं हुई है. वह प्रतिदिन बॉर्डर में जाकर खुद मरीजों का हाल पूछती हैं. उन्हें हर संभव सहायता के लिए पूछती है. दुखी मरीज की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं. कोई छोटा बच्चा इलाज के लिए आ जाए तो उसे हौसला देती हैं.

पहले के जमाने में नर्सिंग और आज के दौड़ में बहुत फर्क
नीता शर्मा ने बताया कि पहले की जमाने में स्टाफ की कमी इतनी ज्यादा नहीं रहती थी और मरीज भी काम रहते थे. अब बदलते दौर में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. लेकिन स्टाफ की कमी चिंता का विषय रहता है. 1 मिनट के हवाले 30-30 मरीज रहते हैं ऐसे में मरीजों की सेवा करना एक चुनौती है.

एग्रेसिव मरीजों के सामने बरते संयम
नीना शर्मा ने बताया कि अस्पताल में कई ग्रामीण क्षेत्र से ऐसे मरीज आते हैं जो कि अपने इलाज के दौरान कई बार स्टाफ पर भड़क जाते हैं. उनके साथ बदतमीजी करने पर उतारू हो जाते हैं. अपना इलाज भी ठीक से नहीं करवाते हैं. ऐसे में उन्हें प्यार और संयम से समझा कर उनका इलाज करना चाहिए.

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