जयपुर. अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस हर साल 15 मई को मनाया जाता है, जिसका मकसद परिवार के महत्व पर जोर देना है. एकल परिवारों को लेकर बढ़ती सोच के बीच परिवारों के महत्व को याद दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर से ये दिवस मनाया जाता है. छोटे परिवार के बढ़ते चलन के बीच जयपुर में गोपी गिरधारी लाल गोठवाल परिवार एक ऐसा उदाहर पेश कर रहा है, जिसे देख समाज का हर तबका कहता है कि परिवार हो तो ऐसा. 8 भाइयों के 45 से अधिक सदस्यों का परिवार एक कड़ी से जुड़ा हुआ है. सभी भाइयों का अलग-अलग व्यापार है, लेकिन पूरे परिवार का खाना आज भी एक ही किचन में बनता है.
एक छत के नीचे एक साथ : आज की दुनिया में बहुत से लोग सोचते हैं कि संयुक्त परिवार में एक साथ रहना पुराने जमाने की बात है, लेकिन यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि परिवार हमें एक साथ रहना सिखाता है. हमें समुदाय का हिस्सा होने का एहसास कराता है. हमेशा एक-दूसरे का समर्थन करता है. जयपुर के गोठवाल परिवार के मुखिया घनश्याम टेलर कहते हैं कि संयुक्त परिवार में रहने के संस्कार उनके पिता से मिले. पिताजी कहते थे अगर सब मिल कर रहोगे तो दुनिया की हर मुसीबत का सामना कर लोगे. अलग-अलग रहोगे तो बड़ी-बड़ी खुशियां भी खालीपन देगी. यही वजह है कि हम 8 भाइयों का परिवार आज भी एक साथ एक छत के नीचे रहता है.
हम घर में बहू नहीं बेटी लाते हैं : गिरधारी लाल कहते हैं कि हम कभी परिवार के सदस्यों की गिनती नहीं करते, लेकिन छोटे-बड़े सभी को मिलाकर 45 से ज्यादा ही हैं. पूरे परिवार का खाना एक ही किचन में बनता है. सबको अपनी पसंद का काम करने के साथ खाने और रहने की आजादी है. संयुक्त परिवार में रहते हैं तो सभी एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखते हैं. कोई किसी की बात को टालता नहीं है. कई बार छोटे भी कुछ अच्छी बात कह जाते हैं तो उनके भी विचारों का पूरा सम्मान किया जाता है. घनश्याम टेलर कहते हैं कि जो मजा संयुक्त परिवार में है, एकल परिवार में नहीं है. संयुक्त परिवार में परेशानी का सामना करने के लिए कई हाथ एक साथ होते हैं. खुशियों को बांटने के लिए कई सदस्य मौजूद रहते हैं. सभी को एक माला में पिरो कर रखने के सवाल पर गिरधारी लाल कहते हैं कि परिवार विघटन मेंं सबसे बड़ी समस्या बहू के आने पर होती है, लेकिन हम घर में बहू नहीं बेटी लाते हैं, जो अपने आप ही परिवार को जोड़ लेती हैं.
हर मुश्किल होती है यहां आसान : घनश्याम टेलर के छोटे भाई की बहू रूपा और किरण कहती हैं कि परिवार एक ऐसी जगह है जहां आपको हर समस्या का हल मिल सकता है. चाहे आप कितनी भी बड़ी समस्या में हों, परिवार के लोग उसे सुलझाकर ही रहते हैं. किसी की तबियत खराब होती है तो परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेकर डॉक्टर के पास चला जाता है. खुशियां हो या परेशानियां परिवार के साथ होते हैं तो सबमें मजा आता है. हमें इस घर में हर पल बेटी होने का अहसास होता है. कई बार कुछ विचारों में मतभेद होते हैं, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य संभाल लेते हैं. संयुक्त परिवार तो ईश्वर का दिया हुआ वो आशीर्वाद है, जो हर किसी को नसीब नहीं होता.
अत्यधिक बोझ महसूस नहीं करता है : पुत्रवधू रीना कहती हैं एक संयुक्त परिवार में अंतर्निहित सहायता प्रणाली होती है, जो कठिन परिस्थितियों में काफी मददगार हो सकती है. परिवार के कई सदस्यों के आस-पास होने से यह गारंटी मिलती है कि कोई भी अलग-थलग या अत्यधिक बोझ महसूस नहीं करता है. चाहे वह कठिन समय के दौरान भावनात्मक समर्थन प्रदान करना हो या दैनिक गतिविधियों में व्यावहारिक सहायता प्रदान करना हो. उन्होंने बताया कि वो एकल परिवार में बड़ी हुईं, जब शादी होकर आई तो परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ देख लगा कैसे सबको मैनेज करेंगे. इस परिवार के हर सदस्य से मिले प्यार के आगे कब सभी चीजें आसान हो गईं, पता ही नहीं चला. फिर बच्चों का लालन पालन हो या पीहर जाना कभी भी किसी तरह की कोई समस्या ही नहीं आई.
बच्चों को मिलते हैं अच्छे संस्कार : संयुक्त परिवार का सबसे महत्वपूर्ण लाभ एक ही छत के नीचे रहने वाली कई पीढ़ियों के साथ गहरे रिश्ते बनाने का मौका है. बुजुर्ग युवा सदस्यों को जीवन, अनुभवों और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में आवश्यक सबक सिखा सकते हैं. बेटी शिवानी और कोमल कहती हैं कि संयुक्त परिवार में रहते हैं तो आप को बाहर किसी दोस्त की जरूरत नहीं होती. परिवार में इतने सदस्य हैं कि सभी एक दूसरे के दोस्त हैं. शादी के बाद किस तरह के परिवार में रहना पसंद करेंगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी पसंद है कि उनकी शादी भी संयुक्त परिवार में ही हो.
कोई डॉक्टर तो कोई फैशन डिजाइनर : गोठवाल परिवार के सदस्य अपना-अपना व्यापार करते हैं. व्यापार का नाम भी परिवार के बुजुर्गों के नाम पर रखा गया है. इसके साथ परिवार की बहुएं भी आत्मनिर्भर हैं. इनमें से कोई डॉक्टर है तो कोई फैशन डिजाइनर. घनश्याम टेलर कहते हैं बेटियां जिस तरह से अपनी पढ़ाई करके अपना करियर बनाना चाहती हैं, वैसे ही बहुओं को पूरी तरह से आजादी है. ये गलत धारणा है कि संयुक्त परिवार में फ्रीडम खत्म हो जाती है. सब में आपसी समझ होनी चाहिए, एक दूसरे के फैसले का सम्मान करना आना चाहिए, फिर किसी तरह कोई दिक्कत नहीं होगी.