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हिमाचल के वनों को क्यों कहा जाता है हरा सोना? जानें क्या है देवभूमि के जंगलों की खासियत?

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 10:08 AM IST

Updated : Mar 21, 2024, 11:06 AM IST

International Day of Forests 2024: प्रकृति का संतुलन बनाए रखने और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरेभरे जंगलों का सबसे अधिक योगदान हैं. वर्तमान और भावी पीढ़ी में जंगलों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है. हिमाचल के वनों को हरा सोना कहा जाता है.

International Day of Forests 2024
International Day of Forests 2024

शिमला: हर साल 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य वर्तमान और भावी पीढ़ी को जंगलों के प्रति जागरूक करना है, ताकि धरती को वनों की हरियाली से सजाया जा सके. इस बार अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2024 "वन और नवाचार: बेहतर दुनिया के लिए नए समाधान" की थीम पर मनाया जा रहा है. इस थीम का अर्थ ये भी है कि पृथ्वी पर सारा जीवन किसी न किसी तरह से वनों के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. जीवन यापन के लिए मानवों से लेकर जीवन यापन करने के लिए सभी प्रकृति पर आश्रित है. हिमाचल प्रदेश में का ज्यादातर क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है. हिमाचल के वनों को हरा सोना कहा जाता है.

37 हजार KM से ज्यादा वन क्षेत्र

हिमाचल प्रदेश में वन राज्य के कुल राजस्व में 1/3 का योगदान देते हैं और एक बड़ी आबादी को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. वर्तमान में प्रदेश का हरित आवरण 27 फीसदी से अधिक है, वहीं कुल वन क्षेत्र 66 फीसदी है. राज्य ने 2030 तक हरित आवरण 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. जिसे हासिल करने के लिए प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक नए पौधे रोपे जाएंगे, ताकि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. हिमाचल में 31 फीसदी क्षेत्र ट्री लाइन से ऊपर है, जिसमें पेड़ नहीं उग सकते हैं. इसके अलावा प्रदेश में 37 हजार से अधिक किलोमीटर क्षेत्र वनों से लदा है. इसलिए इसे वनों का हरा सोना कहा जाता है.

International Day of Forests 2024
हिमाचल के जंगल

हिमाचल में इन प्रजातियों के वन

हिमाचल प्रदेश में बान, देवदार, चीड़, राई, पाइन, खैर, सैंबल, ऑक, चिलगोजा आदि सहित पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती है. हिमाचल में वन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं. वन न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि जंगलों से ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी, जड़ी-बूटियां, घर निर्माण, बागवानी उत्पादों की पैकेजिंग और कृषि उपकरण जैसी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं. ऐसे में जंगलों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश के कई स्थानों में देवता का वास समझकर पेड़ों की पूजा की जाती है.

International Day of Forests 2024
हिमाचल का ग्रीन कवर एरिया

देवताओं के जंगल

देवभूमि हिमाचल के तहत जिला मंडी के करसोग उपमंडल से करीब 25 किलोमीटर दूरी छतरी मार्ग पर नगेलडी इलाके में सड़क के किनारे ऐसा ही एक वनशीरा देवता का मंदिर हैं. जिसे जंगल का राजा भी कहा जाता है. ये देवता गाड़ियों की रक्षा करने के साथ-साथ देवता जंगलों की भी सुरक्षा करते हैं. स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि यहां से गुजरते वक्त चाहे कोई कितना भी जल्दी में क्यों ना हो, वाहन चालक यहां रुकते हैं और वनशीरा देवता को नंबर प्लेट या गाड़ियों के पुर्जे चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं. इसके बाद ही अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हैं. देवता का वास होने की वजह से यहां पर वन माफिया भी पेड़ काटने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं. मान्यता है कि यहां पेड़ में वनशीरा देवता वास करते हैं.

International Day of Forests 2024
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2024

वनों के लिए सरकार की योजना

हिमाचल प्रदेश में धरती मां की गोद को हरा भरा रखने के लिए प्रदेश सरकार भी प्रयास कर रही है. हिमाचल में ग्रीन एरिया में निर्माण पर प्रतिबंध लगाए जाने के साथ वनों को बचाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. इसमें सामुदायिक वन संवर्धन योजना, जिसका उद्देश्य पौधरोपण के जरिए वनों के संरक्षण और विकास में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना है. इसी तरह विद्यार्थी वन मित्र योजना चलाई गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को वनों के महत्व और पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका के बारे में छात्रों को संवेदनशील बनाना है.

"एक बूटा बेटी के नाम"

एक अन्य योजना वन समृद्धि जन समृद्धि योजना हिमाचल सरकार द्वारा चलाई गई है. जिसका मकसद स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के जरिए राज्य में उपलब्ध गैर काष्ठ वन उत्पाद संसाधनों को सुदृढ़ करना और अच्छी तकनीक अपनाकर अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना है. वहीं, साल 2019 से एक नई योजना "एक बूटा बेटी के नाम" चलाई गई है. जिसके तहत राज्य में कहीं भी बालिका शिशु के जन्म पर वन विभाग की ओर से माता-पिता को चयनित वानिकी प्रजाति के पांच पौधे भेंट किए जाते हैं. ऐसे में लड़की के माता-पिता निजी भूमि या वन भूमि में मानसून और शीत ऋतु पौधे रोपकर बेटी पैदा होने की खुशी मनाते हैं.

ये भी पढ़ें: देश को प्राणवायु दे रहा देवभूमि का फॉरेस्ट कवर, हिमाचल की देव परंपरा भी सिखाती है पेड़ लगाना

शिमला: हर साल 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य वर्तमान और भावी पीढ़ी को जंगलों के प्रति जागरूक करना है, ताकि धरती को वनों की हरियाली से सजाया जा सके. इस बार अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2024 "वन और नवाचार: बेहतर दुनिया के लिए नए समाधान" की थीम पर मनाया जा रहा है. इस थीम का अर्थ ये भी है कि पृथ्वी पर सारा जीवन किसी न किसी तरह से वनों के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. जीवन यापन के लिए मानवों से लेकर जीवन यापन करने के लिए सभी प्रकृति पर आश्रित है. हिमाचल प्रदेश में का ज्यादातर क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है. हिमाचल के वनों को हरा सोना कहा जाता है.

37 हजार KM से ज्यादा वन क्षेत्र

हिमाचल प्रदेश में वन राज्य के कुल राजस्व में 1/3 का योगदान देते हैं और एक बड़ी आबादी को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. वर्तमान में प्रदेश का हरित आवरण 27 फीसदी से अधिक है, वहीं कुल वन क्षेत्र 66 फीसदी है. राज्य ने 2030 तक हरित आवरण 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. जिसे हासिल करने के लिए प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक नए पौधे रोपे जाएंगे, ताकि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. हिमाचल में 31 फीसदी क्षेत्र ट्री लाइन से ऊपर है, जिसमें पेड़ नहीं उग सकते हैं. इसके अलावा प्रदेश में 37 हजार से अधिक किलोमीटर क्षेत्र वनों से लदा है. इसलिए इसे वनों का हरा सोना कहा जाता है.

International Day of Forests 2024
हिमाचल के जंगल

हिमाचल में इन प्रजातियों के वन

हिमाचल प्रदेश में बान, देवदार, चीड़, राई, पाइन, खैर, सैंबल, ऑक, चिलगोजा आदि सहित पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती है. हिमाचल में वन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं. वन न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि जंगलों से ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी, जड़ी-बूटियां, घर निर्माण, बागवानी उत्पादों की पैकेजिंग और कृषि उपकरण जैसी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं. ऐसे में जंगलों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश के कई स्थानों में देवता का वास समझकर पेड़ों की पूजा की जाती है.

International Day of Forests 2024
हिमाचल का ग्रीन कवर एरिया

देवताओं के जंगल

देवभूमि हिमाचल के तहत जिला मंडी के करसोग उपमंडल से करीब 25 किलोमीटर दूरी छतरी मार्ग पर नगेलडी इलाके में सड़क के किनारे ऐसा ही एक वनशीरा देवता का मंदिर हैं. जिसे जंगल का राजा भी कहा जाता है. ये देवता गाड़ियों की रक्षा करने के साथ-साथ देवता जंगलों की भी सुरक्षा करते हैं. स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि यहां से गुजरते वक्त चाहे कोई कितना भी जल्दी में क्यों ना हो, वाहन चालक यहां रुकते हैं और वनशीरा देवता को नंबर प्लेट या गाड़ियों के पुर्जे चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं. इसके बाद ही अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हैं. देवता का वास होने की वजह से यहां पर वन माफिया भी पेड़ काटने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं. मान्यता है कि यहां पेड़ में वनशीरा देवता वास करते हैं.

International Day of Forests 2024
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2024

वनों के लिए सरकार की योजना

हिमाचल प्रदेश में धरती मां की गोद को हरा भरा रखने के लिए प्रदेश सरकार भी प्रयास कर रही है. हिमाचल में ग्रीन एरिया में निर्माण पर प्रतिबंध लगाए जाने के साथ वनों को बचाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. इसमें सामुदायिक वन संवर्धन योजना, जिसका उद्देश्य पौधरोपण के जरिए वनों के संरक्षण और विकास में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना है. इसी तरह विद्यार्थी वन मित्र योजना चलाई गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को वनों के महत्व और पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका के बारे में छात्रों को संवेदनशील बनाना है.

"एक बूटा बेटी के नाम"

एक अन्य योजना वन समृद्धि जन समृद्धि योजना हिमाचल सरकार द्वारा चलाई गई है. जिसका मकसद स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के जरिए राज्य में उपलब्ध गैर काष्ठ वन उत्पाद संसाधनों को सुदृढ़ करना और अच्छी तकनीक अपनाकर अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना है. वहीं, साल 2019 से एक नई योजना "एक बूटा बेटी के नाम" चलाई गई है. जिसके तहत राज्य में कहीं भी बालिका शिशु के जन्म पर वन विभाग की ओर से माता-पिता को चयनित वानिकी प्रजाति के पांच पौधे भेंट किए जाते हैं. ऐसे में लड़की के माता-पिता निजी भूमि या वन भूमि में मानसून और शीत ऋतु पौधे रोपकर बेटी पैदा होने की खुशी मनाते हैं.

ये भी पढ़ें: देश को प्राणवायु दे रहा देवभूमि का फॉरेस्ट कवर, हिमाचल की देव परंपरा भी सिखाती है पेड़ लगाना

Last Updated : Mar 21, 2024, 11:06 AM IST
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