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करगिल की चोटियों पर कण-कण में बिखरी है हिमाचल के 52 वीरों की शौर्य गाथा, भारतीय सेना के मुकुट पर सजे हैं देवभूमि के अमर सितारे - kargil war - KARGIL WAR

भारत करगिल युद्ध की रजत जयंती मना रहा है. भारतीय वीरों के बलिदान से भारत ने ये युद्ध जीता था. इस युद्ध में हिमाचल के 52 वीर जवानों ने प्राणों की आहुति दी थी. कैप्टन विक्रम बत्रा और संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को अदम्य साहस के लिए युद्ध सेना मेडल और जेके पठानिया को उत्तम युद्ध सेना मेडल मिला. लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच को बलिदान उपरांत युद्ध सेना मेडल दिया गया था.

ईटीवी भारत
कैप्टन विक्रम बत्रा और ले. सौरभ कालिया ((फाइल फोटो))
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 5:38 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 12:10 PM IST

शिमला: ढाई दशक पहले दुनिया के कठिनतम रण क्षेत्र में भारतीय सेना ने जो शौर्य गाथा लिखी है, उसे समूचे विश्व के युद्ध इतिहास में याद किया जाएगा. युद्ध रणनीति के विशेषज्ञ ये स्वीकार करते हैं कि विश्व की कोई भी सेना ऐसी परिस्थितियों में युद्ध नहीं जीत सकती थी. करगिल में पाकिस्तान की नापाक सेना चोटियों पर अति सुरक्षित बंकरों में अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर कुटिलता से जमी हुई थी.

ऐसी कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में भारतीय सेना ने तलहटी से जाकर चोटी पर पाकिस्तान के सैनिकों को मार भगाने का अदम्य साहस दिखाया. इस साहसपूर्ण गाथा का वर्णन जब भी होगा, देश के अन्य वीर सपूतों के साथ हिमाचल के 52 बहादुरों को भी श्रद्धा से याद किया जाएगा. करगिल युद्ध में हिमाचल के वीरों ने दो परमवीर चक्र हासिल किए. परमवीर विक्रम बत्रा 7 जुलाई के युद्ध में हमसे बिछड़ गए, लेकिन बलिदान से पहले वे भारतीय सेना का काम आसान कर गए थे. परमवीर संजय कुमार का देशवासी अभी भी दर्शन कर पाते हैं, ये सौभाग्य की बात है. संजय कुमार इस समय भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद पर हैं.

कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा का कोड ये दिल मांगे मोर (फाइल फोटो)

यहां करगिल युद्ध के 25 साल पूरा होने के अवसर पर भारत मां के अमर सपूतों की स्मृति साझा करने का विनम्र प्रयास है. नई पीढ़ी को इन नायकों के नाम श्रद्धा से लेने की जरूरत है. इस युद्ध में दो परमवीर चक्र हिमाचल को मिले. कैप्टन विक्रम बत्रा परमवीर चक्र से अलंकृत (बलिदान उपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार. ऊना जिले से संबंध रखने वाले कैप्टन अमोल कालिया को वीरचक्र से सम्मानित किया गया. ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को अदम्य साहस के लिए युद्ध सेना मेडल और जेके पठानिया को उत्तम युद्ध सेना मेडल मिला. लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच को बलिदान उपरांत युद्ध सेना मेडल दिया गया था.

ईश्वर के नाम जैसे पवित्र हैं ये नाम

भारतीय परंपरा में देश के लिए बलिदान होने वाले सपूतों को पवित्र माना गया है. उनके नाम का स्मरण ईश्वर तत्व की तरह करने की परंपरा है. ऐसे में देश की रक्षा के लिए करगिल जैसे कठिनतम युद्ध क्षेत्र में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले हिमाचल के 52 सपूतों को याद करना ईश्वर को याद करने सरीखा है.

जिला कांगड़ा

1. कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता (बलिदान उपरांत)

2. कैप्टन सौरभ कालिया

3. ग्रेनेडियर विजेंद्र सिंह

4. राइफलमैन राकेश कुमार

5. लांस नायक वीर सिंह

6. राइफलमैन अशोक कुमार

7. राइफलमैन सुनील कुमार

8. सिपाही लखबीर सिंह

9. नायक ब्रह्मदास

10. राइफलमैन जगजीत सिंह

11. सिपाही संतोष सिंह

12. हवलदार सुरेंद्र सिंह

13. लांसनायक पदम सिंह

14. ग्रेनेडियर सुरजीत सिंह

15. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह

जिला मंडी

1. कैप्टन दीपक गुलेरिया

2. नायब सूबेदार खेम चंद राणा

3. हवलदार कृष्ण चंद

4. नायक स्वर्ण कुमार

5. सिपाही टेक सिंह

6. सिपाही राजेश कुमार चौहान

7. सिपाही नरेश कुमार

8. सिपाही हीरा सिंह

9. ग्रेनेडियर पूर्ण चंद

10. नायक मेहर सिंह

11. लास नायक अशोक कुमार

जिला हमीरपुर

1. हवलदार कश्मीर सिंह

2. हवलदार राजकुमार

3. हवलदार स्वामीदास चंदेल

4. सिपाही राकेश कुमार

5. राइफलमैन प्रवीण कुमार

6. सिपाही सुनील कुमार

7. राइफलमैन दीपचंद

जिला बिलासपुर

1. हवलदार उधम सिंह

2. नायक मंगल सिंह

3. राइफलमैन विजय पाल

4. हवलदार राजकुमार

5. नायक अश्विनी कुमार

6. हवलदार प्यार सिंह

7. नायक मस्त राम

जिला शिमला

1. ग्रेनेडियर यशवंत सिंह

2. राइफलमैन श्याम सिंह

3. ग्रेनेडियर नरेश कुमार

4. ग्रेनेडियर अनंत राम

जिला ऊना

1. कैप्टन अमोल कालिया

2. राइफलमैन मनोहर लाल

जिला सोलन

1. सिपाही धर्मेंद्र सिंह

2. राइफलमैन प्रदीप कुमार

जिला सिरमौर

1. राइफलमैन कुलविंदर सिंह

2. राइफलमैन कल्याण सिंह

जिला चंबा

1. सिपाही खेम राज

जिला कुल्लू

1. हवलदार डोला राम

कैप्टन सौरभ कालिया करगिल युद्ध के पहले शहीद

हिमाचल के पालमपुर के रहने वाले कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथी करगिल युद्ध के पहले शहीदों में गिने जाते है. उन्हें पाकिस्तानी सैनिकों ने अमानवीय यातनाएं दी थी. उनकी आंखों और शरीर को सिगरेट से दागा गया था. उनके दांत और हड्डियां तोड़ दी गई थी. उनके नाखुन तक निकाल दिए गए थे. कई दिनों बाद उनका पार्थिव शरीर पाकिस्तान ने सौंपा था. उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल था.

करगिल युद्ध के पहले शहीद ले. सौरभ कालिया
करगिल युद्ध के पहले शहीद ले. सौरभ कालिया (फाइल फोटो)

डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को किया ढेर

आनी के बलिदानी सैनिक डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को ढेर किया था. डोलाराम एक शानदार बॉक्सर भी थे और पर्वतारोहण में भी महारत रखते थे. डोलाराम ने अपने सीने पर 5 गोलियां झेली और भारत मां पर बलिदान हो गए. ऐसे अदम्य साहस की कहानियां युगों तक आने वाली पीढ़ी के सैनिकों को प्रेरित करती रहेगी.

मंडी में बना करगिल शहीद स्मारक
मंडी में बना करगिल शहीद स्मारक (ईटीवी भारत)

कैप्टन विक्रम ने साथियों संग प्वॉइंट 5140 की चोटी पर किया कब्जा

हिमाचल में कांगड़ा जिले के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था. बचपन में पिता से अमर शहीदों की गाथाएं सुनकर विक्रम को भी देश की सेवा का शौक पैदा हुआ. वर्ष 1996 में वे मिलेट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई. जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को प्वॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना को ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने प्वॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. इस महान नायक ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए.

ये भी पढ़ें: अब नौकरी की मांग के लिए दृष्टिबाधित संघ का सुक्खू सरकार के खिलाफ धरना, बीच सड़क पर लगाया जाम

शिमला: ढाई दशक पहले दुनिया के कठिनतम रण क्षेत्र में भारतीय सेना ने जो शौर्य गाथा लिखी है, उसे समूचे विश्व के युद्ध इतिहास में याद किया जाएगा. युद्ध रणनीति के विशेषज्ञ ये स्वीकार करते हैं कि विश्व की कोई भी सेना ऐसी परिस्थितियों में युद्ध नहीं जीत सकती थी. करगिल में पाकिस्तान की नापाक सेना चोटियों पर अति सुरक्षित बंकरों में अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर कुटिलता से जमी हुई थी.

ऐसी कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में भारतीय सेना ने तलहटी से जाकर चोटी पर पाकिस्तान के सैनिकों को मार भगाने का अदम्य साहस दिखाया. इस साहसपूर्ण गाथा का वर्णन जब भी होगा, देश के अन्य वीर सपूतों के साथ हिमाचल के 52 बहादुरों को भी श्रद्धा से याद किया जाएगा. करगिल युद्ध में हिमाचल के वीरों ने दो परमवीर चक्र हासिल किए. परमवीर विक्रम बत्रा 7 जुलाई के युद्ध में हमसे बिछड़ गए, लेकिन बलिदान से पहले वे भारतीय सेना का काम आसान कर गए थे. परमवीर संजय कुमार का देशवासी अभी भी दर्शन कर पाते हैं, ये सौभाग्य की बात है. संजय कुमार इस समय भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद पर हैं.

कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा का कोड ये दिल मांगे मोर (फाइल फोटो)

यहां करगिल युद्ध के 25 साल पूरा होने के अवसर पर भारत मां के अमर सपूतों की स्मृति साझा करने का विनम्र प्रयास है. नई पीढ़ी को इन नायकों के नाम श्रद्धा से लेने की जरूरत है. इस युद्ध में दो परमवीर चक्र हिमाचल को मिले. कैप्टन विक्रम बत्रा परमवीर चक्र से अलंकृत (बलिदान उपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार. ऊना जिले से संबंध रखने वाले कैप्टन अमोल कालिया को वीरचक्र से सम्मानित किया गया. ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को अदम्य साहस के लिए युद्ध सेना मेडल और जेके पठानिया को उत्तम युद्ध सेना मेडल मिला. लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच को बलिदान उपरांत युद्ध सेना मेडल दिया गया था.

ईश्वर के नाम जैसे पवित्र हैं ये नाम

भारतीय परंपरा में देश के लिए बलिदान होने वाले सपूतों को पवित्र माना गया है. उनके नाम का स्मरण ईश्वर तत्व की तरह करने की परंपरा है. ऐसे में देश की रक्षा के लिए करगिल जैसे कठिनतम युद्ध क्षेत्र में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले हिमाचल के 52 सपूतों को याद करना ईश्वर को याद करने सरीखा है.

जिला कांगड़ा

1. कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता (बलिदान उपरांत)

2. कैप्टन सौरभ कालिया

3. ग्रेनेडियर विजेंद्र सिंह

4. राइफलमैन राकेश कुमार

5. लांस नायक वीर सिंह

6. राइफलमैन अशोक कुमार

7. राइफलमैन सुनील कुमार

8. सिपाही लखबीर सिंह

9. नायक ब्रह्मदास

10. राइफलमैन जगजीत सिंह

11. सिपाही संतोष सिंह

12. हवलदार सुरेंद्र सिंह

13. लांसनायक पदम सिंह

14. ग्रेनेडियर सुरजीत सिंह

15. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह

जिला मंडी

1. कैप्टन दीपक गुलेरिया

2. नायब सूबेदार खेम चंद राणा

3. हवलदार कृष्ण चंद

4. नायक स्वर्ण कुमार

5. सिपाही टेक सिंह

6. सिपाही राजेश कुमार चौहान

7. सिपाही नरेश कुमार

8. सिपाही हीरा सिंह

9. ग्रेनेडियर पूर्ण चंद

10. नायक मेहर सिंह

11. लास नायक अशोक कुमार

जिला हमीरपुर

1. हवलदार कश्मीर सिंह

2. हवलदार राजकुमार

3. हवलदार स्वामीदास चंदेल

4. सिपाही राकेश कुमार

5. राइफलमैन प्रवीण कुमार

6. सिपाही सुनील कुमार

7. राइफलमैन दीपचंद

जिला बिलासपुर

1. हवलदार उधम सिंह

2. नायक मंगल सिंह

3. राइफलमैन विजय पाल

4. हवलदार राजकुमार

5. नायक अश्विनी कुमार

6. हवलदार प्यार सिंह

7. नायक मस्त राम

जिला शिमला

1. ग्रेनेडियर यशवंत सिंह

2. राइफलमैन श्याम सिंह

3. ग्रेनेडियर नरेश कुमार

4. ग्रेनेडियर अनंत राम

जिला ऊना

1. कैप्टन अमोल कालिया

2. राइफलमैन मनोहर लाल

जिला सोलन

1. सिपाही धर्मेंद्र सिंह

2. राइफलमैन प्रदीप कुमार

जिला सिरमौर

1. राइफलमैन कुलविंदर सिंह

2. राइफलमैन कल्याण सिंह

जिला चंबा

1. सिपाही खेम राज

जिला कुल्लू

1. हवलदार डोला राम

कैप्टन सौरभ कालिया करगिल युद्ध के पहले शहीद

हिमाचल के पालमपुर के रहने वाले कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथी करगिल युद्ध के पहले शहीदों में गिने जाते है. उन्हें पाकिस्तानी सैनिकों ने अमानवीय यातनाएं दी थी. उनकी आंखों और शरीर को सिगरेट से दागा गया था. उनके दांत और हड्डियां तोड़ दी गई थी. उनके नाखुन तक निकाल दिए गए थे. कई दिनों बाद उनका पार्थिव शरीर पाकिस्तान ने सौंपा था. उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल था.

करगिल युद्ध के पहले शहीद ले. सौरभ कालिया
करगिल युद्ध के पहले शहीद ले. सौरभ कालिया (फाइल फोटो)

डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को किया ढेर

आनी के बलिदानी सैनिक डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को ढेर किया था. डोलाराम एक शानदार बॉक्सर भी थे और पर्वतारोहण में भी महारत रखते थे. डोलाराम ने अपने सीने पर 5 गोलियां झेली और भारत मां पर बलिदान हो गए. ऐसे अदम्य साहस की कहानियां युगों तक आने वाली पीढ़ी के सैनिकों को प्रेरित करती रहेगी.

मंडी में बना करगिल शहीद स्मारक
मंडी में बना करगिल शहीद स्मारक (ईटीवी भारत)

कैप्टन विक्रम ने साथियों संग प्वॉइंट 5140 की चोटी पर किया कब्जा

हिमाचल में कांगड़ा जिले के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था. बचपन में पिता से अमर शहीदों की गाथाएं सुनकर विक्रम को भी देश की सेवा का शौक पैदा हुआ. वर्ष 1996 में वे मिलेट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई. जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को प्वॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना को ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने प्वॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. इस महान नायक ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए.

ये भी पढ़ें: अब नौकरी की मांग के लिए दृष्टिबाधित संघ का सुक्खू सरकार के खिलाफ धरना, बीच सड़क पर लगाया जाम

Last Updated : Jul 25, 2024, 12:10 PM IST
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