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राजा नाहर सिंह से अंग्रेजों को हर बार करना पड़ा हार का सामना, तब वीर योद्धा से छल कर दुश्मनों ने ऐसे दिलाई थी फांसी - Independence Day Special 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 15, 2024, 2:56 PM IST

Independence Day Special 2024: स्वतंत्रता दिवस यानी आजादी दिवस और देश के आजादी दिवस पर हरियाणा में फरीदाबाद के राजा नाहर सिंह का जिक्र होना बहुत गर्व की बात है. क्योंकि इस महान योद्धा ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी आवाज को बुलंद किया था. राजा नाहर सिंह वह वीर योद्धा थे जिन्होंने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए थे. अपने निडर और बहादुर अंदाज के लिए जाने जाने वाले राजा नाहर सिंह को 18 साल की उम्र में ही सियासी गद्दी पर बैठा दिया था. इस रिपोर्ट में विस्तार से जानिए उनके आजादी के लिए लड़ाई के किस्से.

Independence Day Special 2024
Independence Day Special 2024 (Etv Bharat)

फरीदाबाद: जब आजादी की लड़ाई का जिक्र होगा, तब फरीदाबाद के महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जिक्र भी जरुर होगा. राजा नाहर सिंह ने सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी. उनका बलिदान पूरे देश के लिए गौरव की बात है. नाहर सिंह को याद किए बिना फरीदाबाद में आजादी का जश्न नहीं मनाया जाता. 6 अप्रैल 1821 को इस महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जन्म महाराज राम सिंह के घर हुआ. 16 साल की आयु में उनका विवाह कपूरथला घराने की राजकुमारी किशन कौर से हुआ था.

राजा नाहर सिंह का जन्म: आज भी राजा नाहर सिंह के वंशज प्रपौत्र राजकुमार तेवतिया अनिल तेवतिया और सुनील तेवतिया फरीदाबाद में ही रहते हैं. राजा नाहर सिंह के प्रपौत्र राजकुमार तेवतिया राजा नाहर सिंह कोई याद करते हुए बताते हैं कि 6 अप्रैल 1821 को महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जन्म महाराज राम सिंह के घर हुआ. 16 साल की आयु में उनका विवाह कपूरथला घराने की राजकुमारी किशन कौर से हुआ हुआ. जिसके बाद 18 वर्ष की आयु में उनके पिता का स्वर्गवास हो गया. पिता के स्वर्गवास के बाद राजा नाहर सिंह को 20 जनवरी 1839 को उन्हें राजगद्दी पर बिठाया गया. तब उन्हें रियासत का राजा घोषित किया गया.

वीर योद्धा के सामने अंग्रेजों ने टेके घुटने: शासन के दौरान अंग्रेजी सरकार को राजा नाहर सिंह से खतरा दिखाई देने लगा. इसके बाद राजा नाहर सिंह और अंग्रेजों के बीच कई बार लड़ाई हुई. हर बार अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी. समय बितता गया और लगातार अंग्रेजों के साथ टकराव भी जारी रहा है. इसी बीच 10 मई 1857 में अंबाला और मेरठ में सैनिक विद्रोह की चिंगारी भड़क गई. जिससे देश भर में बगावत के सुर बुलंद हो गए और इसी बीच राजा नाहर सिंह भी इस संग्राम में शामिल हो गए और अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया. इसके परिणामस्वरूप दिल्ली पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो गया.

जब मुग्लों के सिपाही बने थे राजा नाहर सिंह: दिल्ली की गद्दी पर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को बैठा दिया. उनकी देखरेख की जिम्मेदारी राजा नाहर सिंह को सौंपी गई. क्योंकि राजा नाहर सिंह काफी निडर और बहादुर राजा थे. उन्होंने कई बार अंग्रेजी हुकूमत के साथ जमकर मुकाबला किया था और हर बार अंग्रेजी हुकूमत को हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए दिल्ली की देखभाल का जिम्मा राजा नाहर सिंह को सौंपा गया था. इस रणनीति से अंग्रेजी हुकूमत काफी परेशान था. इसके बाद अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह के खिलाफ षड्यंत्र रचने शुरू कर दिए.

अंग्रेजों ने किया छल तो खानी पड़ी थी फांसी: अंग्रेजों ने षड्यंत्र के तहत एक दूत राजा नाहर सिंह के पास संदेश भेजा कि वह बहादुर शाह जफर से संधि करना चाहते हैं. संदेश मिलते ही राजा नाहर सिंह दिल्ली पहुंच गए और जैसे ही लाल किले के अंदर घुसे इस दौरान अंग्रेजी सेनाओं ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन पर सरकारी खजाने को लूटने का केस दर्ज किया गया. इलाहाबाद कोर्ट में ये केस चलता रहा. सरकारी खजाना लूटने के आरोप में दोषी ठहराते हुए राजा नाहर सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद मात्र 36 साल की उम्र में महान योद्धा राजा नाहर सिंह को 9 जनवरी 1958 को चांदनी चौक के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई. इसके साथ ही उनके साथी को भी फांसी दी गई थी.

फरीदाबाद में हर साल मनाया जाता है शहादत दिवस: आपको बता दें आज भी 9 जनवरी को शहादत दिवस के रूप में फरीदाबाद में मनाया जाता है. उनकी शहादत को याद करते हुए फरीदाबाद में उनके नाम से राजा नाहर सिंह स्टेडियम बनाया गया. बल्लभगढ़ मेट्रो स्टेशन का नाम राजा नाहर सिंह मेट्रो स्टेशन रखा गया. कई पार्क राजा नाहर सिंह के नाम से बनाए गए. आज भी राजा नाहर सिंह का महल फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में मौजूद है. जिसे अब सरकार टूरिज्म प्लेस के रूप में प्रयोग करती है. इसके अलावा आज भी राजा नाहर सिंह के वंशज उनकी धरोहर को राजा नाहर सिंह महल में संयोजे हुए हैं. इसके अलावा अलग-अलग सामाजिक संगठन की हर साल राजा नाहर सिंह की याद में कार्यक्रमों का आयोजन करती है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के हिसार-हांसी का 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बेहद अहम किस्सा, जब कचहरी में चली थी गोलियां - Independence Day Special 2024

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फरीदाबाद: जब आजादी की लड़ाई का जिक्र होगा, तब फरीदाबाद के महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जिक्र भी जरुर होगा. राजा नाहर सिंह ने सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी. उनका बलिदान पूरे देश के लिए गौरव की बात है. नाहर सिंह को याद किए बिना फरीदाबाद में आजादी का जश्न नहीं मनाया जाता. 6 अप्रैल 1821 को इस महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जन्म महाराज राम सिंह के घर हुआ. 16 साल की आयु में उनका विवाह कपूरथला घराने की राजकुमारी किशन कौर से हुआ था.

राजा नाहर सिंह का जन्म: आज भी राजा नाहर सिंह के वंशज प्रपौत्र राजकुमार तेवतिया अनिल तेवतिया और सुनील तेवतिया फरीदाबाद में ही रहते हैं. राजा नाहर सिंह के प्रपौत्र राजकुमार तेवतिया राजा नाहर सिंह कोई याद करते हुए बताते हैं कि 6 अप्रैल 1821 को महान योद्धा राजा नाहर सिंह का जन्म महाराज राम सिंह के घर हुआ. 16 साल की आयु में उनका विवाह कपूरथला घराने की राजकुमारी किशन कौर से हुआ हुआ. जिसके बाद 18 वर्ष की आयु में उनके पिता का स्वर्गवास हो गया. पिता के स्वर्गवास के बाद राजा नाहर सिंह को 20 जनवरी 1839 को उन्हें राजगद्दी पर बिठाया गया. तब उन्हें रियासत का राजा घोषित किया गया.

वीर योद्धा के सामने अंग्रेजों ने टेके घुटने: शासन के दौरान अंग्रेजी सरकार को राजा नाहर सिंह से खतरा दिखाई देने लगा. इसके बाद राजा नाहर सिंह और अंग्रेजों के बीच कई बार लड़ाई हुई. हर बार अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी. समय बितता गया और लगातार अंग्रेजों के साथ टकराव भी जारी रहा है. इसी बीच 10 मई 1857 में अंबाला और मेरठ में सैनिक विद्रोह की चिंगारी भड़क गई. जिससे देश भर में बगावत के सुर बुलंद हो गए और इसी बीच राजा नाहर सिंह भी इस संग्राम में शामिल हो गए और अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया. इसके परिणामस्वरूप दिल्ली पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो गया.

जब मुग्लों के सिपाही बने थे राजा नाहर सिंह: दिल्ली की गद्दी पर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को बैठा दिया. उनकी देखरेख की जिम्मेदारी राजा नाहर सिंह को सौंपी गई. क्योंकि राजा नाहर सिंह काफी निडर और बहादुर राजा थे. उन्होंने कई बार अंग्रेजी हुकूमत के साथ जमकर मुकाबला किया था और हर बार अंग्रेजी हुकूमत को हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए दिल्ली की देखभाल का जिम्मा राजा नाहर सिंह को सौंपा गया था. इस रणनीति से अंग्रेजी हुकूमत काफी परेशान था. इसके बाद अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह के खिलाफ षड्यंत्र रचने शुरू कर दिए.

अंग्रेजों ने किया छल तो खानी पड़ी थी फांसी: अंग्रेजों ने षड्यंत्र के तहत एक दूत राजा नाहर सिंह के पास संदेश भेजा कि वह बहादुर शाह जफर से संधि करना चाहते हैं. संदेश मिलते ही राजा नाहर सिंह दिल्ली पहुंच गए और जैसे ही लाल किले के अंदर घुसे इस दौरान अंग्रेजी सेनाओं ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन पर सरकारी खजाने को लूटने का केस दर्ज किया गया. इलाहाबाद कोर्ट में ये केस चलता रहा. सरकारी खजाना लूटने के आरोप में दोषी ठहराते हुए राजा नाहर सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद मात्र 36 साल की उम्र में महान योद्धा राजा नाहर सिंह को 9 जनवरी 1958 को चांदनी चौक के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई. इसके साथ ही उनके साथी को भी फांसी दी गई थी.

फरीदाबाद में हर साल मनाया जाता है शहादत दिवस: आपको बता दें आज भी 9 जनवरी को शहादत दिवस के रूप में फरीदाबाद में मनाया जाता है. उनकी शहादत को याद करते हुए फरीदाबाद में उनके नाम से राजा नाहर सिंह स्टेडियम बनाया गया. बल्लभगढ़ मेट्रो स्टेशन का नाम राजा नाहर सिंह मेट्रो स्टेशन रखा गया. कई पार्क राजा नाहर सिंह के नाम से बनाए गए. आज भी राजा नाहर सिंह का महल फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में मौजूद है. जिसे अब सरकार टूरिज्म प्लेस के रूप में प्रयोग करती है. इसके अलावा आज भी राजा नाहर सिंह के वंशज उनकी धरोहर को राजा नाहर सिंह महल में संयोजे हुए हैं. इसके अलावा अलग-अलग सामाजिक संगठन की हर साल राजा नाहर सिंह की याद में कार्यक्रमों का आयोजन करती है.

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