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पुरानी दिल्ली में आज भी त्योहार के रूप में मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, देखते ही बनती ही रौनक - Independence Day 2024

INDEPENDENCE DAY 2024: यूं तो स्वतंत्रता दिवस से भारत के प्रत्येक हिस्से से कई सारे किस्से जुड़े हुए हैं, जिनकी याद उस वक्त के लोगों को गाहे-बेगाहे आती रहती है. लेकिन पुरानी दिल्ली का इस दिन खास रिश्ता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आज भी यहां स्वतंत्रता दिवस को त्योहार के रूप में मनाया जाता है. पहले स्वतंत्रता दिवस को देखने वाले लोगों इस दिन की खासगी पर रोशनी डाली. सुनिए उन्हीं की जुबानी..

पुरानी दिल्ली का स्वतंत्रता दिवस से है पुराना रिश्ता
पुरानी दिल्ली का स्वतंत्रता दिवस से है पुराना रिश्ता (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 15, 2024, 11:26 AM IST

Updated : Aug 15, 2024, 3:14 PM IST

नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली, स्वतंत्रता दिवस और आजादी के जश्न का अपना एक इतिहास रहा है. अगर मौजूदा पुरानी दिल्ली के इतिहास को खंगाला जाए, तो यहां स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कई पुरानी यादें मिलेंगी. जब देशभर में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब राजधानी की अधिकतर जनता वॉल सिटी के अंदर सीमित थी. इसी को अब पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है. आज भी यहां कहीं ऐसे बुजुर्ग मौजूद है, जो स्वतंत्रता दिवस की यादों को भूले नहीं हैं.

पुरानी दिल्ली की विशेषता है कि यहां स्वतंत्रता दिवस का दिन, आजादी के दिन के प्रतीक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक विशेष त्योहार के रूप में मनाया जाता है. ऐतिहासिक जामा मस्जिद के सामने मौजूद मटिया महल बाजार, मुगलकाल से है. यहां रहने वाले लोगों ने आजादी की लड़ाइयां और प्रथम स्वतंत्रता दिवस का जश्न भी देखा है. इसमें कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लाल किले के मंच पर हाथ भी मिलाया है. कुछ लोगों तो यहां तक कहते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन जितना जश्न पुरानी दिल्ली में मनाया जाता है, उतना पूरे देश में कहीं नहीं मनाया जाता.

प्रधानमंत्री से मिलाया था हाथ: मटिया महल बाजार में रहने वाले इस्लामुद्दीन नदीम ने बताया कि वे 82 साल के हैं, लेकिन जब देश आजाद हुआ था तब की यादें आज भी उनके जहन में ताजा हैं. उन्होंने बताया कि पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में वे वह अपने दोस्तों के साथ शामिल हुए थे. इस दौरान वह अपने दोस्तों के साथ मंच पर पहुंचे थे और जवाहरलाल नेहरू से हाथ भी मिलाया था. यह उनके लिए कभी न भूल पाने वाला पल था. उन्होंने आगे बताया कि जामा मस्जिद के आसपास ज्यादातर मुस्लिम आबादी रहती है. जिस तरह यहां आजादी का जश्न मनाया जाता है, ऐसा देश में कहीं भी नहीं मनाया जाता है. इस दौरान यहां की रौनक देखते ही बनती है. पुरानी दिल्ली के लोगों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर लोग घर परिवार में विशेष पकवान बनाते थे, जिसे आसपास के घरों में बांटा जाता था. अमूमन अब दिवाली और ईद पर किया जाता है

स्वतंत्रता दिवस से पहले सजा तिरंगा
स्वतंत्रता दिवस से पहले सजा तिरंगा (ETV Bharat)

जाते थे स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने: वहीं मटिया महल बाजार के व्यवसायी फजलू रहमान ने बताया कि, उनके बचपन में 15 अगस्त के दिन उनकी मां सुबह-सुबह उन्हें तैयार कर देती थीं, ताकी वे लालकिला जाकर प्रधानमंत्री को तिरंगा फहराते देख पाएं. लेकिन वर्तमान में सुरक्षा कारणों के चलते आम जनता और बच्चों को बिना पास के वहां जाने की अनुमति नहीं है. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराने के बाद जनता के बीच घूमा करते थे. इस दौरान कोई सवाल पूछे जाने पर वह जवाब भी दिया करते थे.

यह भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा, जानें तिरंगे में अब तक आए बदलाव के बारे में

इसलिए उड़ाइ जाती है पतंग: उनके अलावा मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर और इतिहासकार फिरोज बख्त अहमद ने बताया कि, अगर किसी को सच में आजादी का जश्न देखना है तो उनको पुरानी दिल्ली जाए. इस दिन वहां छतों पर देशभक्ति के गाने बजाकर लोग पतंग उड़ाते हैं. दरअसल 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा झंडा फहराए जाने के बाद लोगों ने पतंग उड़ाए थे. तब से लेकर अब तक, ये सिलसिला जारी है.

यह भी पढ़ें- स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र थी दिल्ली, आजादी की अलख जगाने में स्वतंत्रता सेनानियों का हमराह बना रेलवे

नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली, स्वतंत्रता दिवस और आजादी के जश्न का अपना एक इतिहास रहा है. अगर मौजूदा पुरानी दिल्ली के इतिहास को खंगाला जाए, तो यहां स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कई पुरानी यादें मिलेंगी. जब देशभर में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब राजधानी की अधिकतर जनता वॉल सिटी के अंदर सीमित थी. इसी को अब पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है. आज भी यहां कहीं ऐसे बुजुर्ग मौजूद है, जो स्वतंत्रता दिवस की यादों को भूले नहीं हैं.

पुरानी दिल्ली की विशेषता है कि यहां स्वतंत्रता दिवस का दिन, आजादी के दिन के प्रतीक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक विशेष त्योहार के रूप में मनाया जाता है. ऐतिहासिक जामा मस्जिद के सामने मौजूद मटिया महल बाजार, मुगलकाल से है. यहां रहने वाले लोगों ने आजादी की लड़ाइयां और प्रथम स्वतंत्रता दिवस का जश्न भी देखा है. इसमें कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लाल किले के मंच पर हाथ भी मिलाया है. कुछ लोगों तो यहां तक कहते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन जितना जश्न पुरानी दिल्ली में मनाया जाता है, उतना पूरे देश में कहीं नहीं मनाया जाता.

प्रधानमंत्री से मिलाया था हाथ: मटिया महल बाजार में रहने वाले इस्लामुद्दीन नदीम ने बताया कि वे 82 साल के हैं, लेकिन जब देश आजाद हुआ था तब की यादें आज भी उनके जहन में ताजा हैं. उन्होंने बताया कि पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में वे वह अपने दोस्तों के साथ शामिल हुए थे. इस दौरान वह अपने दोस्तों के साथ मंच पर पहुंचे थे और जवाहरलाल नेहरू से हाथ भी मिलाया था. यह उनके लिए कभी न भूल पाने वाला पल था. उन्होंने आगे बताया कि जामा मस्जिद के आसपास ज्यादातर मुस्लिम आबादी रहती है. जिस तरह यहां आजादी का जश्न मनाया जाता है, ऐसा देश में कहीं भी नहीं मनाया जाता है. इस दौरान यहां की रौनक देखते ही बनती है. पुरानी दिल्ली के लोगों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर लोग घर परिवार में विशेष पकवान बनाते थे, जिसे आसपास के घरों में बांटा जाता था. अमूमन अब दिवाली और ईद पर किया जाता है

स्वतंत्रता दिवस से पहले सजा तिरंगा
स्वतंत्रता दिवस से पहले सजा तिरंगा (ETV Bharat)

जाते थे स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने: वहीं मटिया महल बाजार के व्यवसायी फजलू रहमान ने बताया कि, उनके बचपन में 15 अगस्त के दिन उनकी मां सुबह-सुबह उन्हें तैयार कर देती थीं, ताकी वे लालकिला जाकर प्रधानमंत्री को तिरंगा फहराते देख पाएं. लेकिन वर्तमान में सुरक्षा कारणों के चलते आम जनता और बच्चों को बिना पास के वहां जाने की अनुमति नहीं है. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराने के बाद जनता के बीच घूमा करते थे. इस दौरान कोई सवाल पूछे जाने पर वह जवाब भी दिया करते थे.

यह भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा, जानें तिरंगे में अब तक आए बदलाव के बारे में

इसलिए उड़ाइ जाती है पतंग: उनके अलावा मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर और इतिहासकार फिरोज बख्त अहमद ने बताया कि, अगर किसी को सच में आजादी का जश्न देखना है तो उनको पुरानी दिल्ली जाए. इस दिन वहां छतों पर देशभक्ति के गाने बजाकर लोग पतंग उड़ाते हैं. दरअसल 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा झंडा फहराए जाने के बाद लोगों ने पतंग उड़ाए थे. तब से लेकर अब तक, ये सिलसिला जारी है.

यह भी पढ़ें- स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र थी दिल्ली, आजादी की अलख जगाने में स्वतंत्रता सेनानियों का हमराह बना रेलवे

Last Updated : Aug 15, 2024, 3:14 PM IST
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