जोधपुर : आरएएस प्रियंका बिश्नोई मौत मामले में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश व न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या आठ ने शुक्रवार को आदेश दिया. कोर्ट ने वसुंधरा अस्पताल के मालिक डॉ. संजय मकवाना, डॉ. रेणु मकवाना, डॉ. विनोद शैली और डॉ. जितेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट का आदेश मिलते ही चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में सभी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा में एफआईआर दर्ज हो गई है.
मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में लिखा कि परिवादी सहीराम बिश्नोई द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर कार्यालय रिपोर्ट और पुलिस थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड जोधपुर की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन किया गया. जिसमें कई कारण ऐसे हैं, जिसके चलते पुलिस थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड जोधपुर को निर्देशित किया जाता है कि उक्त परिवाद को दर्ज कर अनुसंधान नतीजा शीघ्रतापूर्वक न्यायालय के समक्ष पेश करें. थाने के सब इंस्पेक्टर फगलू राम ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया.
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कोर्ट ने अपने आदेश में डॉक्टर्स के नोबेल प्रोफेशन को लेकर ख्यातनाम डॉ. बिल एच. वॉरन और वेस फिशर के इस पेशे को लेकर दिए गए ध्येय वाक्य को भी शामिल किए, जो निम्न है- "सफेद कोट को गरिमा और गर्व के साथ पहनें- एक चिकित्सक के रूप में जनता की सेवा करना एक सम्मान और विशेषाधिकार है." "एक डॉक्टर के रूप में लोग आप पर भरोसा करेंगे. आप पर भरोसा करें और आपके प्रयासों की सराहना करें, आप लोगों के लिए अद्भुत काम कर सकते हैं, ऐसा तब नहीं होता है अगर आप सिस्टम को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते."
परिवाद में पेश किए तथ्य : सहीराम बिश्नोई के द्वारा पेश किए गए परिवार में कलेक्टर द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट में अस्पताल के स्टाफ और मरीज के परिजनों के बयानों में विरोधाभास, मल्टीप्ल ऑर्गन डिसइन्फेक्शन सिंड्रोम जैसी परेशानी के बाद भी निदान उपचार पर ध्यान नहीं दिया गया. ब्रेन की सीटी स्कैन नहीं करवाई गई. परिवार ने अहमदाबाद में हुए उपचार के तथ्य भी शामिल किए. साथ ही उपचार में लापरवाही करने के आरोप लगाए हैं.
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सर्जरी के बाद बिगड़ी थी तबीयत : प्रियंका बिश्नोई 5 सितंबर को वसुंधरा अस्पताल में एक सर्जरी के लिए भर्ती हुई थीं. सर्जरी के बाद वो स्वस्थ थीं, लेकिन अगले दिन 6 सितंबर को उनकी तबीयत खराब हो गई. डॉक्टर ने अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लिए और उपचार शुरू किया, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी.
7 सितंबर को परिजन उन्हें लेकर अहमदाबाद के निजी अस्पताल पहुंचे, जहां 18 सितंबर की रात को उन्होंने अंतिम सांस ली. परिजनों ने इस मामले में षड्यंत्रपूर्वक लापरवाही करने का आरोप लगाया था. जिसके चलते कलेक्टर ने मेडिकल कॉलेज से जांच करवाई थी, जिसमें अस्पताल को क्लीन चिट दे दी गई. उसके बाद जयपुर से एक टीम ने भी अस्पताल की गलती नहीं मानी, लेकिन विस्तृत जांच की सिफारिश की थी. इस बीच प्रियंका के ससुर ने कोर्ट में इस्तगासा दायर किया, जिस पर शुक्रवार को आदेश जारी हुआ.