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सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने का 22 साल पुराना आदेश रद्द - Court martial cancelled

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 26, 2024, 8:42 PM IST

सशस्त्र सेना प्राधिकरण ने सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने के 22 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है. साथी के बैंक खाते से रुपए निकालने के मामले में सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल किया गया था.

कोर्ट मार्शल का आदेश रद्द
कोर्ट मार्शल का आदेश रद्द (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : सशस्त्र सेना प्राधिकरण ने साथी के बैंक खाते से रुपए निकालने के मामले में सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने के 22 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अधिकरण ने उसे समान रैंक पर मानते हुए समस्त परिलाभ व पेंशन देने को कहा है. प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि बर्खास्तगी आदेश से बाद की अवधि का उसे वेतन नहीं दिया जाएगा. प्राधिकरण ने यह आदेश पूर्व सीएफएन चंद्रभान की याचिका पर दिए. प्राधिकरण ने कहा कि वास्तव में बैंक कर्मचारी ने अपने फायदे के लिए याचिकाकर्ता को फंसाया है और उसे सेवा से बर्खास्त कर उसके साथ घोर अन्याय किया गया है. इसके साथ ही प्राधिकरण ने आदेश की कॉपी बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक को उचित कार्रवाई के लिए भेजा है.

याचिका में अधिवक्ता प्रवीण बलवदा ने प्राधिकरण को बताया कि याचिकाकर्ता 7011 ईएमई बटालियन जालंधर में सीएफएन के पद पर कार्यरत था. उस पर आरोप था कि उसने 4 दिसंबर, 2001 को एसबीआई बैंक की जालंधर कैंट शाखा में सीएफएन एसपी सिंह के खाते से उसके फर्जी साइन कर 35 हजार रुपए निकाल लिए. इस मामले में उस पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की गई और 5 मार्च, 2002 को उसे तीन माह का सिविल कारावास देते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- पूर्व ब्रिगेडियर को किया गिरफ्तार, कोर्ट स्टे के चलते पूछताछ कर छोड़ा, भूपेश हाड़ा ने जितेंद्र सिंह पर लगाए गंभीर आरोप - Former Bundi Royal Family Dispute

याचिका में कहा गया कि उसे रुपए की जरुरत थी और उसने बैंक कर्मी जीपी सिंह को इस बारे में बताया था. इस पर जीपी सिंह ने उसे दस दिन के लिए यह राशि एक हजार रुपए ब्याज काटकर दी थी. इस दौरान बैंक के निकासी फॉर्म पर जीपी सिंह ने साइन किए थे. वहीं, तय समय पर याचिकाकर्ता ने यह राशि लौटा भी दी थी. मामले में कोर्ट मार्शल की कार्रवाई में घटना के मुख्य आरोपी जीपी सिंह को सरकारी गवाह बनाया गया और उसकी गवाही पर याचिकाकर्ता को दंडित किया गया, जबकि उसकी गवाही विश्वसनीय नहीं थी और उसने खुद को बचाने के लिए याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ दिया. इस पर सुनवाई करते हुए प्राधिकरण ने कोर्ट मार्शल के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को समान रैंक का परिलाभ देने को कहा है.

जयपुर : सशस्त्र सेना प्राधिकरण ने साथी के बैंक खाते से रुपए निकालने के मामले में सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने के 22 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अधिकरण ने उसे समान रैंक पर मानते हुए समस्त परिलाभ व पेंशन देने को कहा है. प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि बर्खास्तगी आदेश से बाद की अवधि का उसे वेतन नहीं दिया जाएगा. प्राधिकरण ने यह आदेश पूर्व सीएफएन चंद्रभान की याचिका पर दिए. प्राधिकरण ने कहा कि वास्तव में बैंक कर्मचारी ने अपने फायदे के लिए याचिकाकर्ता को फंसाया है और उसे सेवा से बर्खास्त कर उसके साथ घोर अन्याय किया गया है. इसके साथ ही प्राधिकरण ने आदेश की कॉपी बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक को उचित कार्रवाई के लिए भेजा है.

याचिका में अधिवक्ता प्रवीण बलवदा ने प्राधिकरण को बताया कि याचिकाकर्ता 7011 ईएमई बटालियन जालंधर में सीएफएन के पद पर कार्यरत था. उस पर आरोप था कि उसने 4 दिसंबर, 2001 को एसबीआई बैंक की जालंधर कैंट शाखा में सीएफएन एसपी सिंह के खाते से उसके फर्जी साइन कर 35 हजार रुपए निकाल लिए. इस मामले में उस पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की गई और 5 मार्च, 2002 को उसे तीन माह का सिविल कारावास देते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

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याचिका में कहा गया कि उसे रुपए की जरुरत थी और उसने बैंक कर्मी जीपी सिंह को इस बारे में बताया था. इस पर जीपी सिंह ने उसे दस दिन के लिए यह राशि एक हजार रुपए ब्याज काटकर दी थी. इस दौरान बैंक के निकासी फॉर्म पर जीपी सिंह ने साइन किए थे. वहीं, तय समय पर याचिकाकर्ता ने यह राशि लौटा भी दी थी. मामले में कोर्ट मार्शल की कार्रवाई में घटना के मुख्य आरोपी जीपी सिंह को सरकारी गवाह बनाया गया और उसकी गवाही पर याचिकाकर्ता को दंडित किया गया, जबकि उसकी गवाही विश्वसनीय नहीं थी और उसने खुद को बचाने के लिए याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ दिया. इस पर सुनवाई करते हुए प्राधिकरण ने कोर्ट मार्शल के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को समान रैंक का परिलाभ देने को कहा है.

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