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हाईकोर्ट का अहम फैसला, ग्रेच्युटी का अधिकार सेवा अवधि पर निर्भर, रिटायरमेंट की उम्र पर नहीं - High Court Order on Gratuity

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 11, 2024, 10:57 PM IST

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी, न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है उस पर. कोर्ट ने कहा कि 60 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो, जो उसके पास नहीं है.

इलाहाबाद हाइकोर्ट
इलाहाबाद हाइकोर्ट (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी, न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है उस पर. कोर्ट ने कहा कि 60 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो, जो उसके पास नहीं है. कर्मचारी को ग्रेच्युटी का अधिकार उसके द्वारा सेवा किए गए वर्षों के नंबर के अनुसार मिलता है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सेहरून निशा की याचिका पर दिया है.

सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज में शिक्षिका याची ने 57 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना. सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए नियम बनाने वाले 14 दिसंबर 2011 के शासनादेश में यह प्रावधान है कि जो लोग दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करते हैं, वे पेंशन के हकदार नहीं हैं. जब तक कि वे 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं चुनते हैं, ऐसी स्थिति में वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं. याची उक्त शासनादेश के दायरे से बाहर होने के कारण ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं थी. उसने याचिका के माध्यम से इसकी मांग की थी.

कोर्ट ने याची की ग्रेच्युटी के लिए याचिका को अस्वीकार करने के आदेश में तर्क को त्रुटिपूर्ण पाते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए समय दिया. इसके जवाब में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने गत तीन मई को एक ज्ञापन जारी किया. उन्होंने मामले पर पुनर्विचार करने से इनकार करने के लिए संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज मंडल द्वारा उठाई गई आपत्ति का हवाला दिया.

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपना पक्ष दोहराया कि वर्तमान नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी केवल उन्हीं को देय है, जिन्होंने 60 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट का विकल्प चुना है. उन लोगों से अलग किया जाना चाहिए, जिन्होंने 62 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट का विकल्प चुना है. उन शिक्षकों के मामले में भी जिनकी मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले हो गई है, कोर्ट ने कहा कि जहां किसी व्यक्ति के पास 60 की बजाय 62 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प है तो इससे उसका ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार समाप्त नहीं होगा. कोर्ट ने माना कि ग्रेच्युटी केवल 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले लोगों के लिए ही अधिकार नहीं है. यह कर्मचारियों द्वारा उनकी सेवा के वर्षों के नंबर के आधार पर अर्जित की जाती है.

कोर्ट ने माना कि संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज मंडल और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज का तर्क बिना सोचे-समझे दिया गया है. याची को देय ग्रेच्युटी की स्वीकृति, गणना और हस्तांतरण के लिए परमादेश किया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज संभाग और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज भी इस आदेश का संज्ञान लेंगे और भविष्य में इस तरह की व्याख्या नहीं दोहराएंगे.

यह भी पढ़ें :इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, रेप नहीं हुआ तो उसका केस चलाना अवैध - Allahabad High Court Order

यह भी पढ़ें :अधिकारियों के बढ़ते मीडिया प्रेम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, कहा- प्रदेश सरकार इस पर रोक लगाए - Allahabad High Court Order

प्रयागराज : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी, न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है उस पर. कोर्ट ने कहा कि 60 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो, जो उसके पास नहीं है. कर्मचारी को ग्रेच्युटी का अधिकार उसके द्वारा सेवा किए गए वर्षों के नंबर के अनुसार मिलता है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सेहरून निशा की याचिका पर दिया है.

सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज में शिक्षिका याची ने 57 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना. सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए नियम बनाने वाले 14 दिसंबर 2011 के शासनादेश में यह प्रावधान है कि जो लोग दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करते हैं, वे पेंशन के हकदार नहीं हैं. जब तक कि वे 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं चुनते हैं, ऐसी स्थिति में वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं. याची उक्त शासनादेश के दायरे से बाहर होने के कारण ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं थी. उसने याचिका के माध्यम से इसकी मांग की थी.

कोर्ट ने याची की ग्रेच्युटी के लिए याचिका को अस्वीकार करने के आदेश में तर्क को त्रुटिपूर्ण पाते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए समय दिया. इसके जवाब में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने गत तीन मई को एक ज्ञापन जारी किया. उन्होंने मामले पर पुनर्विचार करने से इनकार करने के लिए संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज मंडल द्वारा उठाई गई आपत्ति का हवाला दिया.

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपना पक्ष दोहराया कि वर्तमान नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी केवल उन्हीं को देय है, जिन्होंने 60 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट का विकल्प चुना है. उन लोगों से अलग किया जाना चाहिए, जिन्होंने 62 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट का विकल्प चुना है. उन शिक्षकों के मामले में भी जिनकी मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले हो गई है, कोर्ट ने कहा कि जहां किसी व्यक्ति के पास 60 की बजाय 62 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प है तो इससे उसका ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार समाप्त नहीं होगा. कोर्ट ने माना कि ग्रेच्युटी केवल 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले लोगों के लिए ही अधिकार नहीं है. यह कर्मचारियों द्वारा उनकी सेवा के वर्षों के नंबर के आधार पर अर्जित की जाती है.

कोर्ट ने माना कि संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज मंडल और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज का तर्क बिना सोचे-समझे दिया गया है. याची को देय ग्रेच्युटी की स्वीकृति, गणना और हस्तांतरण के लिए परमादेश किया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि संयुक्त निदेशक (पेंशन) ​​प्रयागराज संभाग और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज भी इस आदेश का संज्ञान लेंगे और भविष्य में इस तरह की व्याख्या नहीं दोहराएंगे.

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