नई दिल्ली: कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में न्याय की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के समर्थन में भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) जूनियर डॉक्टर नेटवर्क ने 12 घंटे की भूख हड़ताल का आह्वान किया था. हालांकि, दिल्ली के अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की ओर से किसी प्रकार की हड़ताल देखने को नहीं मिली. अस्पतालों में सभी सेवाएं सुचारू रूप से जारी रहीं, जिससे मरीजों को इलाज में कोई कठिनाई नहीं हुई.
दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में प्रतिदिन की तरह बड़ी संख्या में मरीज ओपीडी में पहुंचे, और चिकित्सकों ने सभी मरीजों की देखभाल की. दिल्ली एम्स में भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया, वहां भी डॉक्टर अपने ड्यूटी पर मौजूद रहे. एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर इंद्रशेखर ने कहा कि वे कोलकाता के डॉक्टरों के साथ खड़े हैं और उनकी मांगों का समर्थन करते हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही बैठक करेंगे, ताकि यह तय किया जा सकेगा कि किस तरह से आंदोलन को समर्थन दिया जाए.
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दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों जैसे ज़ीटीबी, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, जीबी पंत, गुरु नानक आई केयर, लाल बहादुर शास्त्री और स्वामी दयानंद अस्पताल में भी डॉक्टरों की हड़ताल का कोई असर नहीं देखा गया. इस स्थिति के कारण मरीजों को अस्पतालों में इलाज कराने में कोई परेशानी नहीं हुई.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने भी पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में आईटीओ स्थित आईएमए हेडक्वार्टर पर चार घंटे का धरना दिया. डीएमए के पदाधिकारियों ने पश्चिम बंगाल सरकार से अपील की कि वे जल्द से जल्द हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों की मांगों को सुनें. उनका कहना था कि डॉक्टरों की मांगें बिल्कुल जायज हैं और लंबे समय से उनकी समस्याओं की अनदेखी हो रही है.
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