शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के आखिरी दिन मंगलवार को बिजली पर दुग्ध सेस (Milk Cess) और पर्यावरण सेस (Environment Cess) वाला संशोधन विधेयक पास हो गया. जिसके बाद हिमाचल में बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर भार बढ़ना तय है. घरेलू उपभोक्ताओं की जेब पर हर यूनिट पर 10 पैसे और औद्योगिक इकाइयों पर 2 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 6 रुपये प्रति यूनिट तक का बोझ पड़ेगा.
विपक्ष के हंगामे के बीच पास हुआ बिल
सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) संशोधन विधेयक 2024 पेश किया था. मंगलवार को विपक्ष की ओर से इस बिल का विरोध किया गया. विपक्ष ने कहा कि "ये बिल आम जनता पर बोझ है. इसकी मार घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ प्रदेश में लगने वाले उद्योगों के मालिकों पर भी पड़ेगी. इससे बिजली महंगी होगी और उद्योगपति हिमाचल में आने से परहेज करेंगे. जब शराब पर सेस लिया जा रहा है तो बिजली पर क्यों" विपक्ष की ओर से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की गई, हालांकि विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश विद्युत (शुल्क) संशोधन विधेयक 2024 विधानसभा में पास हो गया.
वहीं नेता विपक्ष जयराम ठाकुर के फ्री बिजली बंद करने को लेकर उठाए गए सवाल पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन कहा कि हमने अभी तक 125 यूनिट फ्री बिजली बंद हीं की है
घरेलू उपभोक्ताओं को हर यूनिट पर 10 पैसे देने होंगे
इस विधेयक में दो संशोधन किए गए हैं. पहले संशोधन के मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं को हर यूनिट बिजली की खपत पर 10 पैसे मिल्क सेस देना होगा. यानी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की हर यूनिट 10 पैसे महंगी हो जाएगी. हालांकि जिन घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य होगा, उन्हें ये सेस नहीं देना होगा.
गौरतलब है कि हिमाचल में करीब 22 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं. इस सेस से इकट्ठा होने वाले राजस्व का इस्तेमाल हिमाचल में दूध उत्पादन बढ़ाने और दूध उत्पादकों को फायदा पहुंचाने के लिए होगा.
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उद्योगों को हर यूनिट पर देना होगा पर्यावरण सेस
इस बिल के दूसरे संशोधन के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में मौजूद उद्योगों से पर्यावरण सेस लिया जाएगा. जो 2 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 6 रुपये प्रति यूनट तक होगा. ये सेस लघु औद्योगिक ऊर्जा पर सबसे कम 2 पैसे प्रति यूनिट होगा. वहीं मध्यम औद्योगिक ऊर्जा पर 4 पैसे, बड़े उद्योगों पर 10 पैसे और कमर्शियल सेक्टर पर भी 10 पैसे प्रति यूनिट पर्यावरण सेस लगेगा.
इसके अलावा अस्थाई कनेक्शन पर 2 रुपए, स्टोन क्रेशर पर भी 2 रुपए प्रति यूनिट पर्यावरण सेस लगेगा. वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जिंग स्टेशन पर सबसे ज्यादा 6 रुपए प्रति यूनिट पर्यावरण सेस लगेगा. इस सेस से इकट्ठा होने वाले राजस्व का इस्तेमाल रिन्यूएबल एनर्जी से बिजली उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश में करीब 2 लाख औद्योगिक या व्यावसायिक उपभोक्ता हैं, जिनपर पर्यावरण सेस का बोझ पड़ेगा.
हिमाचल में शराब पर भी है Cow Cess और Milk Cess
गौरतलब है कि बिजली से पहले हिमाचल में शराब पर भी काउ सेस और मिल्क सेस लिया जाता है. हिमाचल में पूर्व की बीजेपी सरकार ने शराब पर काउ सेस लगाया था जो मौजूदा समय में लगभग 2.5 फीसदी है. वहीं मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पिछले साल शराब की बोतल पर मिल्क सेस लगाया था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पहले बजट में साल 2023-24 में शराब पर मिल्क सेस का प्रावधान किया था. जिसके तहत शराब की हर बोतल पर 10 रुपये मिल्क सेस वसूला जाता है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान पशुपालकों की आय बढ़ाने का वादा किया था और गाय का दूध 80 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 100 रुपये प्रति लीटर खरीदने का वादा किया था. शराब पर मिल्क सेस के ऐलान के बाद सीएम सुक्खू ने कहा था कि इस सेस से मिलने वाले राजस्व को दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने पर खर्च किया जाएगा.