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डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट एरिया में अवैध रूप से काटे पेड़, बनाई सड़कें, हाईकोर्ट ने हिमाचल और केंद्र सरकार से मांगा जवाब - Himachal High Court

Himachal High Court: शिमला जिले में डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट एरिया में अवैध रूप से पेड़ काटकर सड़कें बनाने के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. पढ़िए पूरी खबर...

फॉरेस्ट एरिया
फॉरेस्ट एरिया (Etv Bharat FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 10:07 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की सुन्नी तहसीन के तहत आने वाले डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट एरिया यानी सीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ काटने व सड़कें बनाने के मामले में हाईकोर्ट ने हिमाचल एवं केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिका में संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से बनी सड़कों पर वाहनों की आवाजाही रोकने की गुहार लगाई गई है.

इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. तहसील सुन्नी की ग्राम पंचायत हिमरी के तहत ये वन क्षेत्र आता है. याचिका कर्ताओं ने इस वन क्षेत्र को रिजर्व फॉरेस्ट एरिया घोषित करने के आदेश जारी करने की भी हाईकोर्ट से गुहार लगाई है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ कर रही है.

मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने ग्राम पंचायत हिमरी निवासी विजयेंद्र पाल सिंह, देवी राम और देव राज की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सभी प्रतिवादियों से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. यहां बता दें कि प्रार्थियों ने वन, राजस्व और लोक निर्माण विभाग के सचिव सहित प्रधान मुख्य अरण्यपाल, डीएफओ शिमला, डीसी शिमला, उद्योग विभाग के निदेशक को प्रतिवादी बनाया है.

प्रार्थियों का कहना है कि हिमरी ग्राम पंचायत में हिमरी, बागरी, बनुना, गड़ाहू, गढ़ेरी और रियोग गांव आते हैं. इस क्षेत्र में छप्परानी, दबका, फुलगलानी इत्यादि सीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र के तहत हैं. वर्ष 2011 से इन वन क्षेत्रों में कई सड़कें अवैध रूप से बनाई गई. इन सड़कों में हिमरी-दोहरा ग्लां-भरैल, दोहरा ग्लां-छप्परानी, दोहरा ग्लां-ग्लाह और हिमरी-रियोग सडक़ें शामिल हैं.

ये सभी अवैध रूप से बनाई गई हैं. इस डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट यानी डीपीएफ से बाहर भी कुछ सड़कें बिना अनुमति के बनाई गई हैं. उनमें हिमरी-झुटनू, खनेरी बागरी, हिमरी सड़क और कंधारटी सड़क बिना अनुमति बनाई गई है. इन सड़कों के निर्माण के बाद पूरे क्षेत्र में पेड़ों के कटान और तस्करी से जुड़ी गतिविधियां बढ़ने लगी हैं.

वन माफिया के सक्रिय होने से पेड़ों का कटान तेज हो गया. अवैध खनन के मामले भी इस क्षेत्र में बढ़ गए हैं. प्रार्थियों ने इन सड़कों में गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की है. प्रार्थियों ने मांग की है कि हिमरी-नल्लाह सड़क के निर्माण के लिए 657 पेड़ों को काटने की एफसीए (फॉरेस्ट क्लीयरेंस) दी गई है. इसलिए 657 पेड़ों को कटने से बचाया जा सके. मामले पर सुनवाई 12 अगस्त को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें: IGMC अस्पताल में RKS के तहत नियुक्त लैब अटेंडेंट को सरकारी अनुबंध में लाने के आदेश, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की सुन्नी तहसीन के तहत आने वाले डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट एरिया यानी सीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ काटने व सड़कें बनाने के मामले में हाईकोर्ट ने हिमाचल एवं केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिका में संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से बनी सड़कों पर वाहनों की आवाजाही रोकने की गुहार लगाई गई है.

इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. तहसील सुन्नी की ग्राम पंचायत हिमरी के तहत ये वन क्षेत्र आता है. याचिका कर्ताओं ने इस वन क्षेत्र को रिजर्व फॉरेस्ट एरिया घोषित करने के आदेश जारी करने की भी हाईकोर्ट से गुहार लगाई है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ कर रही है.

मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने ग्राम पंचायत हिमरी निवासी विजयेंद्र पाल सिंह, देवी राम और देव राज की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सभी प्रतिवादियों से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. यहां बता दें कि प्रार्थियों ने वन, राजस्व और लोक निर्माण विभाग के सचिव सहित प्रधान मुख्य अरण्यपाल, डीएफओ शिमला, डीसी शिमला, उद्योग विभाग के निदेशक को प्रतिवादी बनाया है.

प्रार्थियों का कहना है कि हिमरी ग्राम पंचायत में हिमरी, बागरी, बनुना, गड़ाहू, गढ़ेरी और रियोग गांव आते हैं. इस क्षेत्र में छप्परानी, दबका, फुलगलानी इत्यादि सीमांकित संरक्षित वन क्षेत्र के तहत हैं. वर्ष 2011 से इन वन क्षेत्रों में कई सड़कें अवैध रूप से बनाई गई. इन सड़कों में हिमरी-दोहरा ग्लां-भरैल, दोहरा ग्लां-छप्परानी, दोहरा ग्लां-ग्लाह और हिमरी-रियोग सडक़ें शामिल हैं.

ये सभी अवैध रूप से बनाई गई हैं. इस डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट यानी डीपीएफ से बाहर भी कुछ सड़कें बिना अनुमति के बनाई गई हैं. उनमें हिमरी-झुटनू, खनेरी बागरी, हिमरी सड़क और कंधारटी सड़क बिना अनुमति बनाई गई है. इन सड़कों के निर्माण के बाद पूरे क्षेत्र में पेड़ों के कटान और तस्करी से जुड़ी गतिविधियां बढ़ने लगी हैं.

वन माफिया के सक्रिय होने से पेड़ों का कटान तेज हो गया. अवैध खनन के मामले भी इस क्षेत्र में बढ़ गए हैं. प्रार्थियों ने इन सड़कों में गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की है. प्रार्थियों ने मांग की है कि हिमरी-नल्लाह सड़क के निर्माण के लिए 657 पेड़ों को काटने की एफसीए (फॉरेस्ट क्लीयरेंस) दी गई है. इसलिए 657 पेड़ों को कटने से बचाया जा सके. मामले पर सुनवाई 12 अगस्त को निर्धारित की गई है.

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