रायपुर : छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के तहत अब नौनिहालों की पढ़ाई होगी.लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत कई पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है. एक वर्ग का मानना है कि नई शिक्षा नीति सिर्फ एक पक्ष यानी छात्रों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. जबकि दूसरे पहलू शिक्षक को लेकर इस नीति पर कोई ज्यादा जोर नहीं दिया गया है.जिसे लेकर अब शिक्षा नीति के नफा और नुकसान की बातें सामने आ रही हैं.
नई शिक्षा नीति के फायदे : शिक्षाविद डॉ जवाहर सूरी शेट्टी के अनुसार यदि नई शिक्षा नीति के फायदे की बात की जाए तो दो-तीन फायदे इसमें देखने को मिल रहे हैं.जिसमें पहली बार व्यापक रूप में डेढ़ लाख लोगों और संस्थाओं के साथ चर्चा करने के बाद यह नीति तैयार की गई है. दूसरा इसमें छात्र को केंद्र बिंदु बनाकर नीति तैयार की गई है . इसमें शिक्षकों को शामिल नहीं किया गया है.उनकी मानसिकता, मानसिक संतुलन उनकी मेंटल हेल्थ और टेक्नोलॉजी उन सब को मिलाकर यह नीति तैयार की गई है.
वैश्विक रूप में तैयार हुई शिक्षा नीति : जवाहर सूरी शेट्टी के मुताबिक इस नई शिक्षा नीति को वैश्विक रूप पर तैयार किया गया है. इसलिए यह बेहतर मानी जा सकती है.क्योंकि अभी तक दुनिया की शिक्षा से हम अलग-अलग थे. अब इस शिक्षा को वैश्विक रूप दिया गया है. जिस तरह में दुनिया में शिक्षा दी जाती. इस तरीके से अब हमारे यहां भी शिक्षा दी जाएगी. इस वैश्वीकरण को लेकर यदि बच्चों के भविष्य की बात की जाए तो इसे रोजगार परख बनाया गया है.
कौशल विकास में बच्चे होंगे निपुण : छठवीं से लेकर 12वीं तक एक समानांतर शिक्षा का स्तर चलेगा. जो की कौशल विकास होगा और कक्षा वाली शिक्षा भी जारी रहेगी दोनों ही साथ चलेंगे.वह कौशल छठवीं से 12वीं तक का उसने जो किया है तो स्नातक में भी वह उसका फायदा ले सकता है. इसके सर्टिफाइड बॉडी एक शासकीय संस्थान होगी, ना की स्कूल होगा, इसलिए उसका मूल्य अलग होगा.
नई शिक्षा नीति में स्थानीय बोली और भाषा का ध्यान : सूरी के मुताबिक नई शिक्षा नीति में स्थानीय बोली भाषाओं को शामिल किया गया है जो काफी लाभप्रद होगा. इस शिक्षा नीति में उसे महत्व दिया गया है.
''इसमें किए गए रिसर्च में पता चला कि 8 साल से कम के बच्चों में 65% वह शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं.दुनिया को लगभग समझ लेते हैं. उस वक्त हम ज्यादा ऊपर न जाकर नीचे लेवल पर यदि बच्चों को शिक्षित किया जाए ज्यादा बेहतर शिक्षा होगी. यही कारण है की नई शिक्षा नीति में घर की भाषा को स्कूल में शामिल किया है और उसके बाद हिंदी अंग्रेजी में ले जाने की बात कही गई है.''- डॉ जवाहर सूरी शेट्टी,शिक्षाविद्
नई शिक्षा नीति के नुकसान : वही नई शिक्षा नीति के नुकसान की बात की जाए तो यह बहुत बड़ी और व्यापक स्तर की पॉलिसी है, इसमें शिक्षकों को जब तक आप प्रशिक्षित नहीं करेंगे ,तब तक यह पॉलिसी फेल होने के पूरे चांस हैं. इतने कम समय में आप इसे लागू कर रहे हैं , ऐसे में सारे शिक्षकों को इससे कैसे अवगत कराया जाएगा.उसमें क्या-क्या दिक्कतें होंगी ये सारी चीजें देखनी होंगी.
बच्चों के स्कूल में प्रवेश की बाध्यता : इसके अलावा नई शिक्षा नीति में यदि दूसरी त्रुटि की बात की जाए तो 6 साल की उम्र को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए बाध्य कर दिया गया.यदि मान लो कोई बच्चा प्रवेश के दौरान 6 साल से एक दिन भी कम होता है तो उसे फिर पूरा 1 साल तक इंतजार करना पड़ेगा. यानी वो पहली कक्षा में 7 साल की उम्र में प्रवेश करेगा.यह थोड़ा उचित नहीं है उसे 6 साल में बांधने की जगह 5 से 6 साल भी किया जा सकता है.
''यदि नई शिक्षा नीति लागू करने में छत्तीसगढ़ की चुनौती को लेकर बात की जाए तो जो चुनौती पूरे देश में है. वहीं छत्तीसगढ़ में भी हैं. क्योंकि शिक्षक कमी सभी जगह पर है. इस दौरान शिक्षकों की कमी, दूसरा शिक्षकों को प्रशिक्षण, तीसरा अभिभावकों की तैयारी किस तरह की. मूलभूत सुधार शिक्षा व्यवस्था में हो रही है. उसे समझना और बच्चों को सपोर्ट करना. यह तीनों चीज सबसे ज्यादा जरूरी है.''-डॉ जवाहर सूरी शेट्टी,शिक्षाविद्
नई शिक्षा नीति लागू होना कहीं जल्दबाजी तो नहीं : स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर डॉक्टर जवाहर ने कहा कि शिक्षा नीति का एक चैप्टर है टेक्नोलॉजी. वो टेक्नोलॉजी जहां मूलभूत संरचना है ही नहीं. उसमें टेक्नोलॉजी बाद की बात है. जहां टेक्नोलॉजी मौजूद नहीं वहां घर में मोबाइल का उपयोग कर पढ़ लेते हैं और अन्य संसाधनों के जरिए भी इसे पढ़ा और समझ सकते हैं. 2020 से नई शिक्षा नीति पर चर्चा हो रही है.कोविड के बाद से लगातार इसे लेकर प्रशिक्षण जारी है.देरी जरूर है ,लेकिन कभी तो इसे शुरू करना ही पड़ेगा. यह जल्दबाजी से लागू हुई है ऐसा नहीं है. 22 से 24 तक 2 साल निकल गया और अनेक प्रशिक्षण हो चुके हैं . आज नहीं तो कल शुरू करना पड़ता. जल्दबाजी इसलिए भी नहीं है क्योंकि शिक्षा नीति में 2040 तक का प्रावधान है. इसलिए कई ऐसी चीज है जो 2035 में होगी, 2030 में होगी.यह धीरे-धीरे करके ही चलेगा.