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अंग्रेजों के सामने आजादी के नारे लगाने पर मिली थी कड़ी सजा, आठ दिन बाद तक शहर में चला रंगा, पढ़िए कानपुर की होली का इतिहास - Holi of Kanpur

आगामी 25 मार्च को पूरे देश में रंगों का पर्व होली मनाने की तैयारी है. हर जगह अलग-अलग परंपराएं और कहानियां होली से जुड़ी हुई हैं. सालों बाद आज भी लोग होली पर उन घटनाओं को याद करते हैं. ऐसी ही अनूठी होली है कानपुर शहर की, जो आजादी के संघर्ष से जुड़ी हुई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 9:03 AM IST

अनूठी है कानपुर शहर की होली.

कानपुर: आगामी 25 मार्च को पूरे देश में रंगों का पर्व होली मनाने की तैयारी है. हर जगह अलग-अलग परंपराएं और कहानियां होली से जुड़ी हुई हैं. सालों बाद आज भी लोग होली पर उन घटनाओं को याद करते हैं. ऐसी ही अनूठी होली है कानपुर शहर की, जो आजादी के संघर्ष से जुड़ी हुई है. यह एक ऐसा शहर है, जहां होली के दिन के अलावा अगले 6-7 दिनों तक खेली जाती है.

गंगा मेला का पर्व भी बेहद खास : दरअसल, 6-7 दिनों बाद अनुराधा नक्षत्र पड़ता है और इसी दिन कानपुर में अंग्रेजों के समय से गंगा मेला का पर्व भी मनाया जाता है. इस पर्व की भी अपनी खासियत है. गंगा मेला पर कानपुर के हटिया स्थित रज्जन बाबू पार्क से रंगों का एक ठेला निकलता है, जिसके आगे भैंसे चल रही होती है. वहीं, ठेले व वाहनों पर होलियारों की फौज खड़ी रहती है, जो एक दूसरे पर रंग फेंकते हुए निकलते हैं. खास बात यह है, कि ठेला अंग्रेजों के समय से यानी साल 1942 से लगातार निकल रहा है. साथ ही यह आजादी की क्रांति से जुड़ा है. कानपुर के इस गंगा मेला की गूंज भारत के साथ ही विदेशों में भी होती है.

होली खेल रहे थे युवक, अंग्रेजों ने किया था अरेस्ट: हटिया होली महोत्सव कमेटी के ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया- सन 1942 में कुछ युवक हटिया में होली खेल रहे थे और नारा लगा रहे थे, हम आजाद हैं...हिंदुस्तान आजाद है. अंग्रेजों को यह बात नागवार गुजरी तो उन्होंने युवकों को अरेस्ट कर लिया. फिर क्या था, हटिया व आसपास के लोगों ने तय किया कि तब तक रोज रंग खेला जाएगा, जब तक युवकों को छोड़ा नहीं जाता. इसके बाद पूरा मामला ब्रिटिश सरकार तक पहुंचा. फिर जिस दिन युवकों की रिहाई हुई तो खुशी के चलते रास्ते भर रंग खेला गया था. तब से लेकर हर साल गंगा मेला पर हटिया की होली बिल्कुल अनूठी होली होती है. शाम को रज्जन बाबू पार्क में लोग परिवार के साथ आते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के साथ ही कई तरह के व्यंजनों का स्वाद लेते हैं.

यह भी पढ़ें : VIDEO, रंगभरी एकादशी पर उमड़ा जनसैलाब, देखिये काशी विश्वनाथ मंदिर में होली का उत्सव

यह भी पढ़ें : रंगों की फुहार के दिन सफर बनेगा यादगार, होली पर IRCTC ने इस ट्रेन में की है खास व्यवस्था

अनूठी है कानपुर शहर की होली.

कानपुर: आगामी 25 मार्च को पूरे देश में रंगों का पर्व होली मनाने की तैयारी है. हर जगह अलग-अलग परंपराएं और कहानियां होली से जुड़ी हुई हैं. सालों बाद आज भी लोग होली पर उन घटनाओं को याद करते हैं. ऐसी ही अनूठी होली है कानपुर शहर की, जो आजादी के संघर्ष से जुड़ी हुई है. यह एक ऐसा शहर है, जहां होली के दिन के अलावा अगले 6-7 दिनों तक खेली जाती है.

गंगा मेला का पर्व भी बेहद खास : दरअसल, 6-7 दिनों बाद अनुराधा नक्षत्र पड़ता है और इसी दिन कानपुर में अंग्रेजों के समय से गंगा मेला का पर्व भी मनाया जाता है. इस पर्व की भी अपनी खासियत है. गंगा मेला पर कानपुर के हटिया स्थित रज्जन बाबू पार्क से रंगों का एक ठेला निकलता है, जिसके आगे भैंसे चल रही होती है. वहीं, ठेले व वाहनों पर होलियारों की फौज खड़ी रहती है, जो एक दूसरे पर रंग फेंकते हुए निकलते हैं. खास बात यह है, कि ठेला अंग्रेजों के समय से यानी साल 1942 से लगातार निकल रहा है. साथ ही यह आजादी की क्रांति से जुड़ा है. कानपुर के इस गंगा मेला की गूंज भारत के साथ ही विदेशों में भी होती है.

होली खेल रहे थे युवक, अंग्रेजों ने किया था अरेस्ट: हटिया होली महोत्सव कमेटी के ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया- सन 1942 में कुछ युवक हटिया में होली खेल रहे थे और नारा लगा रहे थे, हम आजाद हैं...हिंदुस्तान आजाद है. अंग्रेजों को यह बात नागवार गुजरी तो उन्होंने युवकों को अरेस्ट कर लिया. फिर क्या था, हटिया व आसपास के लोगों ने तय किया कि तब तक रोज रंग खेला जाएगा, जब तक युवकों को छोड़ा नहीं जाता. इसके बाद पूरा मामला ब्रिटिश सरकार तक पहुंचा. फिर जिस दिन युवकों की रिहाई हुई तो खुशी के चलते रास्ते भर रंग खेला गया था. तब से लेकर हर साल गंगा मेला पर हटिया की होली बिल्कुल अनूठी होली होती है. शाम को रज्जन बाबू पार्क में लोग परिवार के साथ आते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के साथ ही कई तरह के व्यंजनों का स्वाद लेते हैं.

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