कांगड़ा: देशभर में लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. पिछली बार की तरह इस बार भी 7 चरणों में लोकसभा चुनावों के लिए मतदान होगा. जिसमें पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और 1 जून को अंतिम चरण के लिए वोटिंग होगी. हिमाचल में भी 7 वें चरण में 1 जून को लोकसभा की चार सीटों के लिए मतदान होगा. इसके अलावा प्रदेश में विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने की वजह से खाली हुए 6 विधानसभा सीटों के लिए भी 1 जून को ही वोट डाले जाएंगे. वहीं, 4 जून की लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे. हिमाचल में चुनाव प्रकिया शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हो, इसके लिए निर्वाचन विभाग तैयारी में जुट गया है. जिसके लिए हिमाचल में इस बार 56,38,422 मतदाताओं की सुविधा के लिए 7,990 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. जिसके लिए 50 हजार से अधिक चुनावी कर्मचारियों कि तैनाती की गई हैं.
पौंग टापू में स्थित यूनिक मतदान केंद्र: हिमाचल में होने जा रहे आम चुनाव को लेकर कई रोचक तथ्य जुड़े हैं. इसमें लाहौल स्पीति निर्वाचन क्षेत्र का टशीगंग विश्व का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ है, जो समुद्रतल से 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं, फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र में पौंग टापू पर स्थित सथ कुठेडा ऐसा एक यूनिक मतदान केंद्र हैं, जहां 97 वोटरों के लिए पोलिंग पार्टी को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए नाव से साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसके अलावा बैजनाथ निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत एक ऐसा ही बड़ा भंगाल अति दुर्गम पोलिंग बूथ है, जहां के लिए पोलिंग टीम को सड़क मार्ग से होकर पहुंचने में तीन दिन लगते हैं. ऐसे में इस पोलिंग बूथ पर हेलीकॉप्टर के माध्यम से पोलिंग टीम को पहुंचाया जाता है. देश भर में शायद ही कहीं पर ऐसे यूनिक मतदान केंद्र हो.
यूनिक होने के साथ चुनौतीपूर्ण भी: हिमाचल पहाड़ी राज्य होने के साथ यहां भौगोलिक दृष्टि से कई अति दुर्गम क्षेत्र भी है. भले ही देश के लिए ये यूनिक मतदान केंद्र हो, लेकिन यहां तक पहुंचने में पोलिंग पार्टियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां पर लोगों का जीवन भी कठिनाइयों से भरा है. ऐसे में बात चाहे हिमाचल में स्थित विश्व के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र टशीगंग की हो या फिर पौंग डैम में टापू पर बनाए गए सथ कुठेडा मतदान केंद्र की, जहां मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को 3 दिन का पैदल सफर तय करना पड़ता है. ऐसे क्षेत्रों में मतदान केंद्रों में चुनाव प्रक्रिया को पूरी करना निर्वाचन विभाग के लिए काफी चुनौतियों भरा रहता है.
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