धर्मशाला: ट्यूलिप गार्डन का जिक्र आते ही सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का नाम जेहन में आता है, लेकिन अब आप हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में भी ट्यूलिप गार्डन का दीदार कर सकते हैं. यहां सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में 6 किस्मों के 50000 ट्यूलिप के पौधे लगाए गए हैं. जिसका नजारा बहुत ही अद्भुत है. इस ट्यूलिप गार्डन को देखने के लिए अब देश के कई हिस्सों से पर्यटक देखने आ रहे हैं.
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन की सुंदरता को निहारने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचने लगे हैं. कश्मीर के बाद अब पालमपुर में देश का दूसरा ट्यूलिप गार्डन हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह ट्यूलिप गार्डन पूरी तरह से स्वदेशी ट्यूलिप पौध से विकसित किया गया है. ट्यूलिप हॉलैंड में बहुतायत में पाया जाता है. इस पुष्प का गहरा रंग और सुंदर आकार लोगों को आकर्षित करता है. यह अपनी समरूपता के लिए विश्व भर में विख्यात है. इसकी कई खूबसूरत प्रजातियां हैं.
सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर में 6 किस्मों के 50000 ट्यूलिप के पौधे) लगाए हैं. सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने इस बारे में जानकारी जी. उन्होंने कहा ट्यूलिप गार्डन के माध्यम से ट्यूलिप फूल को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे है और सीएसआईआर फलोरी क्लचर मिशन के तहत इस को फूल बढ़ावा दिया जा रहा है. यह प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है. पर्यटक दूर-दूर इसकी सुंदरता को देखने के लिए आते है, बल्कि टूरिज्म को बढ़ावा देने सहायक सिद्ध हो रहा है. डॉ. सुदेश कुमार यादव ने कहा यहां पर 6 किस्मों के 50 हजार बल्ब (पौधे) लगाए गए हैं.
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. भव्य भार्गव ने कहा ट्यूलिप गार्डन का यह तीसरा वर्ष है. इस बार ट्यूलिप की 6 किस्मों के 50 हजार के पौधे लगाए गए हैं. 50 किसान ट्यूलिप का कार्य कर रहे हैं. प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला के जुड़े हुए है. पिछले वर्ष लेह लद्दाख और कारगिल में ट्यूलिप का ट्रायल किया गया था, जो सफल रहा है. इस वर्ष मंडी और शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में ट्यूलिप का ट्रायल शुरू किया जा रहा है.
डॉ. भव्य भार्गव ने कहा देश में ट्यूलिप का आयात हॉलैंड से किया जाता है और 22 जनवरी को श्री राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए ट्यूलिप के फूलों अयोध्या भेजा गया था. ट्यूलिप की काफी मांग है. यहां सौ रुपये का एक ट्यूलिप बिक रहा है. ट्यूलिप गार्डन देखने आए हुए पर्यटकों ने कहा कि उन्हे यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है. पहले ट्यूलिप गार्डन को देखने के लिए श्रीनगर जाना पड़ता था. संस्थान द्वारा बहुत सराहनीय कार्य किया गया है.
ये भी पढ़ें: 'मिनी स्विट्जरलैंड' की सुंदरता के आगे कुल्लू-मनाली सब फेल!, बर्फबारी के बाद डलहौजी में दिखा जन्नत सा नजारा