शिमला: हिमाचल प्रदेश की टॉप ब्यूरोक्रेसी में बदलाव के संकेत हैं. इसके पीछे एक से अधिक कारण दिखाई दे रहे हैं. पहला कारण ये है कि एचपी रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरपर्सन डॉ. श्रीकांत बाल्दी दिसंबर की 12 तारीख को रिटायर हो जाएंगे. उनकी कुर्सी संभालने के लिए मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के नाम की चर्चा है. हालांकि प्रबोध सक्सेना नए साल में मार्च महीने में रिटायर होंगे, लेकिन उन्हें जनवरी 2025 में ही एचपी रेरा की कुर्सी मिल सकती है. मौजूदा रेरा चेयरपर्सन श्रीकांत बाल्दी भी हिमाचल के मुख्य सचिव रह चुके हैं.
रेरा के चेयरपर्सन की कुर्सी की खास बात है कि यहां 65 साल की आयु तक सेवाकाल होता है. चेयरपर्सन का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है. बाल्दी ने पहली जनवरी 2020 को रेरा के पहले चेयरपर्सन का कार्यभार संभाला था. दिलचस्प बात ये है कि बाल्दी ने जब चेयरपर्सन का कार्यभार संभाला, उनकी मुख्य सचिव के रूप में सेवाओं का अभी एक सप्ताह बाकी था.
संयोग देखिए कि जिस समय श्रीकांत बाल्दी मुख्य सचिव से रेरा चेयरपर्सन के रूप में कार्यभार संभालने गए, उनके बाद अनिल खाची मुख्य सचिव हुए. अनिल खाची उससे पहले वित्त विभाग संभाल रहे थे. श्रीकांत बाल्दी ने भी लंबे समय तक वित्त विभाग संभाला और मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना भी वित्त विभाग देख चुके हैं. यानी पैटर्न लगभग सेम ही देखने में आ रहा है.
प्रबोध सक्सेना के नाम की चर्चा क्यों ?
राज्य में अफसरशाही के गलियारों में नए सीएस यानी मुख्य सचिव को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. दरअसल, रेरा में चेयरपर्सन के साथ ही सदस्य राजीव शर्मा भी रिटायर हो रहे हैं. इस तरह दिसंबर महीने में रेरा की टॉप अथॉरिटी के पद खाली हो जाएंगे. वहीं, इस पद के लिए जो नियुक्ति प्रक्रिया है, उसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली कमेटी का रोल है. अभी सरकार ने नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया शुरू करनी है. ऐसे में रेरा को लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता. वहीं, पुख्ता सूत्रों के अनुसार मौजूदा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने खुद को रेरा की नई नियुक्ति प्रक्रिया से अलग किया है. इस नियुक्ति की फाइल से मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का अलग होना ये दर्शाता है कि वो रेरा में जा सकते हैं. इसके संकेत हालांकि अक्टूबर में ही मिलने शुरू हो गए थे.
सक्सेना यदि रेरा गए तो कौन होगा बॉस ?
अब यदि प्रबोध सक्सेना रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरपर्सन की दौड़ में होते हैं तो जाहिर है उनकी कुर्सी के लिए भी राज्य सरकार को चेहरा तलाशना होगा. सीनियोरिटी देखें तो इस समय 1988 बैच के आईएएस संजय गुप्ता का नाम सबसे पहला है. फिर 1993 बैच अफसर केके पंत का नाम है. वे अभी एसीएस रैंक के अफसर हैं. इसके अलावा एक चर्चा ये भी है कि मुख्य सचिव की कुर्सी हिमाचल से संबंध रखने वाले अफसर ओंकार चंद शर्मा को दी जाए. वे 1994 बैच के आईएएस अफसर हैं और इस समय एसीएस रैंक के अधिकारी हैं. फिलहाल, 2024 के जाने और नए साल के आगमन के पहले ही महीने अफसरशाही में बदलाव देखने को मिलेंगे.
सीनियर जर्नलिस्ट धनंजय शर्मा ने कहा, "रेरा के चेयरपर्सन का कार्यकाल पांच साल का होता है. ऐसे में इस कुर्सी पर सभी की निगाह रहती है. जहां तक नए मुख्य सचिव का सवाल है तो अभी एक वर्ग ये भी चाहता है हिमाचल के अफसर को मौका दिया जाए. वैसे वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में सीएस के पद के लिए सीनियोरिटी को दरकिनार कर वीसी फारका को मुख्य सचिव बनाया गया था. देखना है कि क्या इस बार सरकार सीनियोरिटी को महत्व देती है या अपनी पसंद के अफसर को".
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