शिमला: हिमाचल प्रदेश सचिवालय में नौकरी के नाम बड़ा फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. सचिवालय में फर्जी नियुक्ति पत्र (अपॉइंटमेंट लेटर) से नौकरी हासिल करने के मामले में पुलिस जांच में कई खुलासे हुए हैं. वहीं, शिमला पुलिस ने मामले में पांच और लोगों को गिरफ्तार किया है. शिमला पुलिस की जांच में सामने आया है कि नौकरी के नाम पर आरोपियों ने 25 युवाओं से लाखों रुपयों की ठगी की है.
आरोपी के घर पुलिस की दबिश
फर्जीवाड़े के आरोप में शिमला पुलिस ने कोटखाई के रहने वाले आरोपी परीक्षित आजाद को गिरफ्तार किया था. उसके बाद पुलिस ने सोलन से 3 आरोपी, जोगिंद्रनगर और शिमला के जुन्गा से 1-1 आरोपी को गिरफ्तार किया है. डीएसपी अमित ठाकुर ने बताया कि पुलिस ने पूछताछ के आधार पर आरोपी परीक्षित आजाद के विकास नगर स्थित किराये के मकान में दबिश दी. किराये के मकान से पुलिस ने 6 फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर, प्रिंटर, लैपटॉप, मोबाइल, लिफाफे, डायरी समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. पुलिस को पूरे प्रकरण में किसी बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका है. वहीं, अब पुलिस जांच तेजी से आगे बढ़ा रही है.
इस तरह हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
डीएसपी अमित ठाकुर ने बताया कि पुलिस जांच में सामने आया है कि सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देकर आरोपी ने करीब 25 बेरोजगारों को ठगा है. इनमें से कई युवकों को नौकरी में ज्वाइन करने के लिए फरवरी और मार्च के नियुक्ति पत्र तक जारी कर दिए गए हैं. मामले की जांच कर रही पुलिस के मुताबिक 19 फरवरी को जिला कांगड़ा के पालमपुर निवासी पारस, चपरासी और अजय, क्लर्क के नियुक्ति पत्र लेकर सचिवालय के विशेष प्रशासन विभाग के सामने पेश हुए थे.
जब पारस और अजय सचिवालय पहुंचे तो अपॉइंटमेंट लेटर फर्जी निकले.
बेरोजगारों से 50 से 75 हजार रुपये की ठगी
जिसके बाद सचिवालय उप सचिव मंजिल बसंल की ओर से छोटा शिमला थाने में शिकायत की गई. दोनों युवकों से पूछताछ के दौरान पता चला कि दोनों से करीब 50 से 75 हजार रुपये खाते में डलवा कर आरोपी परीक्षित ने उन्हें फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर जारी किए थे. इसके बाद छोटा शिमला थाना पुलिस टीम ने जांच शुरू की और फौरन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने परीक्षित के कमरे से फर्जी नियुक्ति पत्र बनाने से संबंधित सामान सहित अन्य दस्तावेजों को कब्जे में ले लिया है.
किराये के कमरे में बनाता था फर्जी नियुक्ती पत्र
डीएसपी अमित ठाकुर ने बताया कि आरोपी परीक्षित क्लर्क और चपरासी पदों के फर्जी नियुक्ति पत्र अपने किराये के मकान में तैयार करता था. इन्हें युवाओं को जारी कर उनसे 50 से 75 हजार रुपये तक ठगता था. परीक्षित अपने ही खाते में युवाओं से रुपये डलवाता था. जांच टीम ने किराये के मकान से डीओ लेटर, काले, नीले, हरे और लाल पेन, डायरी सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. वहीं, इस फर्जीवाड़े से राजधानी में सनसनी फैल गई है.