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घटिया दवाओं के उत्पादन पर हिमाचल हाईकोर्ट सख्त, दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करने के दिए आदेश - Himachal High Court - HIMACHAL HIGH COURT

Himachal High Court Strict On Substandard Drugs Production: हिमाचल प्रदेश में घटिया दवाओं के निर्माण के बढ़ते मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करने पर विचार करने को आदेश दिए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 7:11 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाओं के उत्पादन की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने इसे रोकने के लिए दोषी दवा निर्माताओं और प्रयोगशालाओं के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं कि अफ्रीकन देशों में हिमाचल प्रदेश में बनाई दवाओं का इस्तेमाल करने से अनेकों मौतें हुई हैं. अब समय आ गया है जब नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए.

अदालत ने कहा कि यह व्यथित कर देने वाली बात है कि बद्दी में दो राज्य दवा प्रयोगशालाओं को चलाने के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था होने के बावजूद उन्हें संचालित नहीं किया जा रहा. यहां तक कि एक प्रयोगशाला के लिए भवन का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार ने जनता का धन खर्च कर बनाया. इन प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होते हुए भी इन्हे न चलाया जाना खेद का विषय है. कोर्ट ने सरकार को इन प्रयोगशालाओं के संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करने के प्रयास करने के आदेश दिए.

मामले की सुनवाई के दौरान पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए हैं. लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने बारहवीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी. अदालत ने राज्य सरकार से प्रयोगशाला के निर्माण और संचालन सहित नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी सजा संबंधी प्रावधान पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.

दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है. खबरों में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया. नकली पाई जाने वालों में एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है. मामले पर सुनवाई 28 अगस्त को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी कैंडिडेट अनुराग ठाकुर ने भरा नामांकन, पांचवीं बार जीत का किया दावा, कांग्रेस पर साधा निशाना

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाओं के उत्पादन की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने इसे रोकने के लिए दोषी दवा निर्माताओं और प्रयोगशालाओं के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं कि अफ्रीकन देशों में हिमाचल प्रदेश में बनाई दवाओं का इस्तेमाल करने से अनेकों मौतें हुई हैं. अब समय आ गया है जब नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए.

अदालत ने कहा कि यह व्यथित कर देने वाली बात है कि बद्दी में दो राज्य दवा प्रयोगशालाओं को चलाने के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था होने के बावजूद उन्हें संचालित नहीं किया जा रहा. यहां तक कि एक प्रयोगशाला के लिए भवन का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार ने जनता का धन खर्च कर बनाया. इन प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होते हुए भी इन्हे न चलाया जाना खेद का विषय है. कोर्ट ने सरकार को इन प्रयोगशालाओं के संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करने के प्रयास करने के आदेश दिए.

मामले की सुनवाई के दौरान पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए हैं. लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने बारहवीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी. अदालत ने राज्य सरकार से प्रयोगशाला के निर्माण और संचालन सहित नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी सजा संबंधी प्रावधान पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.

दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है. खबरों में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया. नकली पाई जाने वालों में एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है. मामले पर सुनवाई 28 अगस्त को निर्धारित की गई है.

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