शिमला: हिमाचल में आखिर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का संघर्ष रंग लाया है. क्लास फोर कर्मचारियों का रिटायरमेंट 60 साल किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में 112 याचिकाएं डाली गई थी. अब हाईकोर्ट से उनके हक में फैसला आया है. जिस पर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने खुशी जताई है. हिमाचल प्रदेश सचिवालय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष टेक चंद शर्मा ने याचिका कर्ताओं सहित हाईकोर्ट का आभार जताया है.
उनका कहना है कि सरकार ने चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों को डेली वेज पर रखा है. पहले क्लास फोर की रिटायरमेंट की उम्र 60 रखी गई थी, लेकिन बाद ने इसको घटाकर 58 साल किया गया. उन्होंने कहा कि सचिवालय में सैंकड़ों क्लास फोर कर्मचारी ऐसे थे, जो पहले डेली वेज रहे और बाद में रेगुलर होने पर पेंशन के लिए जरूरी सर्विस भी पूरे नहीं कर पाए. हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों युवाओं को फायदा होगा.
पहले सोच समझ कर रखी थी 60 साल उम्र: हिमाचल प्रदेश सचिवालय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के महासचिव साहिल वर्मा का कहना है कि ईटीवी के माध्यम से जानकारी मिली कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 58 साल से बढ़ाकर 60 साल की गई है. इसके लिए हाईकोर्ट का आभार है. उनका कहना है कि क्लास फोर को डेली वेज पर लंबा समय लगना पड़ता था, इसलिए पहले रिटायरमेंट की उम्र पहले सोच समझ कर 60 साल रखी गई थी. हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है, उससे आने वाले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को बहुत फायदा हुआ है. पिछले साल रिटायर होने वाले क्लास फोर कर्मचारियों की कार्यकाल की अवधि एक साल कम रहने की वजह से उन्हें ओपीएस का लाभ नहीं मिल सका. उन्होंने कहा कि अब हाई कोर्ट के फैसले से आने वाले क्लास फोर कर्मचारियों को फायदा होगा. हिमाचल प्रदेश सचिवालय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ की कोषाध्यक्ष सीमा कंवर का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत है. इस फैसले का लाभ प्रदेश के हर चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों को होगा.
हाई कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला: हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि क्लास फोर कर्मचारियों को 60 साल की आयु पूरी होने पर ही रिटायर किया जाए. यही नहीं, हाईकोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों को 60 साल की आयु से पहले रिटायर किया गया है, उन्हें वापस बुलाया जाए. हाईकोर्ट ने अहम व्यवस्था करते हुए कहा कि क्लास फोर कर्मचारियों के साथ ये भेदभाव गैर कानूनी है. साथ ही आदेश जारी किया कि जो कर्मचारी 10 मई 2001 के बाद सरकारी सेवाओं में लगे हैं, उन्हें भी अब 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा. इसके अलावा जिन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 60 वर्ष की आयु से पहले रिटायर कर दिया गया है, उन्हें वापस नौकरी के लिए वापस बुलाया जाए. ये भी आदेश दिए गए हैं कि ऐसे कर्मियों को भी 60 साल पर ही रिटायर किया जाए.
इस तरह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उन कर्मचारियों को भी बड़ी राहत दी है, जिन्हें 60 वर्ष की आयु पूरी होने के कारण वापस नौकरी पर नहीं रखा जा रहा था. कोर्ट ने ऐसे सेवानिवृत कर्मचारियों को मुआवजे के तौर पर पेंशन काटकर दो वर्ष की तनख्वाह देने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने साथ ही 21 फरवरी 2018 को राज्य सरकार की तरफ से जारी उस अधिसूचना को भी रद्द कर दिया, जिसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि 10 मई 2001 के बाद नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 58 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा.
इस अधिसूचना को एक साथ कई याचिकाओं के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी. अदालत में एक साथ 112 याचिकाओं का निपटारा किया गया. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार को यह निर्देश जारी किए कि जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अंतरिम आदेश के तहत अपनी सेवाएं 58 वर्ष के बाद भी जारी रखे हुए हैं, वह 60 वर्ष की आयु तक कार्य करेंगे. इसके साथ ही जिन कर्मचारियों को अंतरिम आदेश नहीं मिले हैं, उनकी सेवाएं बहाल करने के बाद वे 60 वर्ष की आयु तक कार्य करेंगे. अदालत ने कहा कि जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पहले ही 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं उन्हें 58 वर्ष के बाद 2 वर्ष वित्तीय लाभों का भुगतान किया जाए. अदालत ने ये भी कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी एक समरूप वर्ग होने के कारण उनके बीच रिटायरमेंट की आयु को लेकर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.
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