शिमला: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद मचे सियासी संग्राम की गूंज से दिल्ली भी हिल गई है. प्रदेश में उत्तरी भारत की एकमात्र कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए अब दिल्ली सक्रिय हो गई है. ऐसे में हिमाचल में छिड़ी सियासी लड़ाई को सुलझाने के लिए कांग्रेस हाईकमान आगे आ गया है. सूत्रों के मुताबिक सत्ता के लिए चल रही खींचतान पर विराम लगाने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिल्ली बुलाया गया है.
प्रियंका गांधी से मुलाकात करेंगे CM सुक्खू
ऐसे में अब मंत्रियों के बाद हिमाचल में छाए सियासी संकट के बाद सीएम सुक्खू पहली बार दिल्ली जा सकते हैं. इस दौरान सीएम की प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात हो सकती है. इससे पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव हिमाचल के चार मंत्रियों से मिलकर सरकार और संगठन के बीच चल रहे गतिरोध पर फीडबैक ले चुकी है. बता दें कि 4 मार्च को डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और पंचायती राज मंत्री ने दिल्ली जाकर प्रियंका से मुलाकात की थी. वहीं, इससे पहले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह प्रियंका गांधी से मिले थे. 6 मार्च को उद्योग मंत्री हर्षवर्धन को दिल्ली बुलाया गया था.
बागियों को लेकर हो सकता है फैसला
कांग्रेस के संगठन और सरकार में बागियों को लेकर भी आपसी सहमति नहीं है. सीएम सुक्खू लगातार बागियों पर शब्दों के प्रहार कर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का बागियों के प्रति रवैया नर्म है. होली लॉज गुट बागियों की लगातार पैरवी कर रहा है. विक्रमादित्य सिंह खुद चंडीगढ़ जाकर दो बार बागियों से मुलाकात कर चुके हैं. इस पर भी बागियों का सुक्खू सरकार के प्रति गुस्सा फूट रहा है और वे अपनी बयानबाजी से लगाकर सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में दिल्ली में बागियों को लेकर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि इस पर अंतिम फैसला हाईकमान को ही लेना है.
सरकार तो बचा ली, लेकिन मसला हल नहीं हुआ
हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के लिए क्रॉस वोटिंग होने से उपजे विवाद के बाद हाईकमान ने ऑब्जर्वर्स को शिमला भेजा. इस दौरान किसी तरह से सरकार तो गिरने से बचा ली गई, लेकिन संगठन और सरकार के बीच की अंदरूनी लड़ाई खत्म नहीं हो रही है. ऐसे में संगठन और सरकार के बीच तालमेल बिठाने को कमेटी गठित करने का वादा किया था, लेकिन ये प्रयास भी अभी सिरे नहीं चढ़ा है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक ऑब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट में संगठन में भी बदलाव करने की सिफारिश की है। ये इसलिए भी कि पार्टी में तीन वर्किंग प्रेसिडेंट अपने पद को छोड़ चुके हैं.
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