शिमला: सुख की सरकार में व्यवस्था परिवर्तन के बीच एक बड़ा फैसला हुआ है. ये फैसला पुलिस विभाग के कर्मचारियों की बस यात्रा को लेकर लिया गया है. राज्य सरकार ने पुलिस विभाग के कर्मचारियों की सरकारी बस यात्रा को लेकर एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार अब पहले पुलिस कर्मचारी पूरी टिकट लेंगे और बाद में उन्हें पैसे रिंबर्स किए जाएंगे. यानी रिंबर्समेंट (प्रतिपूर्ति) होगी. लेकिन इस फैसले के बाद पुलिस कर्मचारियों में कुछ बिंदुओं को लेकर असंतोष है.
सबसे पहले तो पुलिस कर्मचारियों ने कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन की तरफ से प्रयोग किए गए शब्द फ्री बस यात्रा पर नाराजगी जताई है. पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि वे फ्री में बस यात्रा नहीं करते हैं. हर महीने उनके वेतन से इस मद में 210 रुपए की रकम कटती है. ये रकम साल भर में पांच करोड़ बनती है. पुलिस कर्मचारियों के वेतन से जो 210 रुपए प्रति माह कटते हैं, वो हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम को जाते हैं. निगम को इस मद में सालाना पांच करोड़ रुपए के करीब रकम मिलती है. ऐसे में मंत्री हर्षवर्धन चौहान का ये कहना कि फ्री बस यात्रा की सुविधा है, वो गलत है. पुलिस वालों का कहना है कि सभी कर्मचारी बसों में यात्रा नहीं करते हैं. अस्सी फीसदी जवान तो एचआरटीसी की बसों में यात्रा नियमित रूप से नहीं करते हैं. यानी पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि यात्रा के खर्च से अधिक तो उनके वेतन से पैसे कटते हैं. ऐसे में एचआरटीसी बसों में यात्रा को फ्री कहकर प्रचारित करना पुलिस वालों की छवि पर विपरीत असर डालता है.
टिकट की रिंबर्समेंट वाला प्लान लागू हुआ तो नुकसान!: पुलिस कर्मचारियों का मानना है कि यदि टिकट लेकर बाद में उसके रिंबर्समेंट वाली प्रक्रिया लागू हुई तो कहीं सरकार को नुकसान न हो जाए. वो इस तरह की यदि किसी पुलिस कर्मचारी ने समन देने के लिए शिमला से कांगड़ा जाना हो तो आने जाने का किराया कम से कम हजार रुपए होगा. उस पैसे को राज्य सरकार को रिंबर्स करना होगा. हो सकता है ये प्रक्रिया महंगी पड़े.
वहीं, एचआरटीसी प्रबंधन का मानना है कि 18700 पुलिस कर्मचारी हैं, जो सरकारी बसों में यात्रा करने के पात्र हैं. यदि इनमें से आधे कर्मचारी भी एचआरटीसी की बसों में सफर करें तो साल का किराया अनुमानित 35 करोड़ रुपए बनता है. अभी एचआरटीसी को मात्र पांच करोड़ रुपए ही पुलिस विभाग से मिलते हैं. ये एचआरटीसी के लिए घाटे का सौदा है. वहीं, नई व्यवस्था इस तरह से प्रस्तावित है कि जो पुलिस कर्मचारी आधिकारिक ड्यूटी पर जाएगा, उसे फुल टिकट रिंबर्स होगा. यदि कोई कर्मचारी ऑफिशियल ड्यूटी पर नहीं है और बस में यात्रा कर रहा है तो उसे पूरा टिकट लेना होगा और वो पैसा रिंबर्स भी नहीं होगा. इस तरह से एचआरटीसी को तो इसका लाभ होने वाला है.
उल्लेखनीय है कि कई पुलिस कर्मचारी जिनका घर अपने ड्यूटी स्थल से नजदीक है तो नियमित रूप से घर जाएं तो सरकारी बसों में उनका किराया नहीं लगता है. ये आवागमन ऑफिशियल ड्यूटी नहीं है. ऐसे में देखना ये है कि राज्य सरकार इसे कैसे लागू करेगी. यहां गौरतलब है कि चूंकि पुलिस फोर्स में कोई यूनियन नहीं बनाई जा सकती और न ही कोई प्रेस बयान जारी करने की अनुमति होती है, लिहाजा पुलिस कर्मचारियों ने अपना पक्ष परोक्ष रूप से रखा है.
वहीं, कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया था कि पुलिस कर्मचारियों की यात्रा से जुड़े फैसले को कैबिनेट में लिया गया है. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सरकारी बसों में पुलिस कर्मचारियों की यात्रा की मौजूदा व्यवस्था को बदला जाए. अब फुल टिकट लेकर उसके रिंबर्समेंट के लिए क्लेम करना होगा. फिलहाल, ये मामला अब पुलिस व एचआरटीसी प्रबंधन के बीच खींचतान का कारण बन सकता है.
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