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हाइवे, जंगलों और नदी, नालों के रखरखाव पर ध्यान न देने से हाईकोर्ट नाराज, NHAI के लापरवाह अफसरों के खिलाफ एक्शन की चेतावनी - Himachal Pradesh High Court - HIMACHAL PRADESH HIGH COURT

High Court strict on negligence of NHAI officers: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाइवे, जंगलों और नदी, नालों के रखरखाव पर ध्यान नहीं देने को लेकर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही एनएचएआई के लापरवाह अफसरों के खिलाफ एक्शन की चेतावनी दी है. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 4, 2024, 8:35 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने समय रहते नेशनल हाइवेज सहित जंगलों, नदियों और नालों का उचित रखरखाव न करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि लापरवाह अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने दुख जताया है कि 12.06.2024 को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के बावजूद "ब्यास" नदी के तल के बीच से बड़ी चट्टानों और पत्थरों को अभी तक नहीं हटाया गया है.

हाईकोर्ट ने कहा इन पत्थरों से पानी के टकराने से बहाव नदी तट तक आ जाता है और सड़कों को नुकसान पहुंचता है. जंगलों में फेंके गए मलबे से भूमि कटाव होता है और नदी नालों का बहाव रुक जाता है. यह एक सामान्य ज्ञान की बात है, इसलिए हर बार एनएचएआई द्वारा स्थिति को स्टडी करने के बाद एक्शन में आने की बात समझ से परे है.

कोर्ट ने मामले से जुड़ी स्टेट्स रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि उन्हें एनएचएआई का नदी की स्थिति की स्टडी करने के बाद यह कहना कतई स्वीकार्य नहीं है कि इस मानसून सीजन के दौरान नदी से बड़े पत्थरों और चट्टानों को नहीं हटाया जा सकता है. एनएचएआई के पास जून का पूरा महीना था, जब मानसून ने हिमाचल प्रदेश राज्य को नहीं छुआ था और एनएचएआई की तरफ से इस अवधि में कुछ किया जा सकता था. एनएचएआई ने इस दौरान कुछ भी नहीं किया है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एनएचएआई की इस निष्क्रियता के कारण कोई अप्रिय घटना होती है, तो एनएचएआई के अधिकारियों के खिलाफ उचित निर्देश जारी किया जाएगा. मामले पर सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है. इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 12 जून को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे. ताकि नागरिकों को भोजन, ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति बनाई रखी जा सके. एनएचएआई को भी आदेश दिए थे कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े-बड़े पत्थरों और बड़ी चट्टानों को हटाए. ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले वर्ष हुई भरी बरसात के कारण सैकड़ों सड़कें तबाह हो गई थी. हाईकोर्ट ने पहले भी कहा था कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है. आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है, जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भारी बारिश से हुए भूस्खलन से प्रदेश की सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा था.

ये भी पढ़ें: ट्रैफिक पुलिस ने मांगे थे कागजात, चालक ने कर दिया फेसबुक लाइव, हाईकोर्ट पहुंचा मामला तो अदालत ने कहा-ये कोई अपराध नहीं

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने समय रहते नेशनल हाइवेज सहित जंगलों, नदियों और नालों का उचित रखरखाव न करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि लापरवाह अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने दुख जताया है कि 12.06.2024 को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के बावजूद "ब्यास" नदी के तल के बीच से बड़ी चट्टानों और पत्थरों को अभी तक नहीं हटाया गया है.

हाईकोर्ट ने कहा इन पत्थरों से पानी के टकराने से बहाव नदी तट तक आ जाता है और सड़कों को नुकसान पहुंचता है. जंगलों में फेंके गए मलबे से भूमि कटाव होता है और नदी नालों का बहाव रुक जाता है. यह एक सामान्य ज्ञान की बात है, इसलिए हर बार एनएचएआई द्वारा स्थिति को स्टडी करने के बाद एक्शन में आने की बात समझ से परे है.

कोर्ट ने मामले से जुड़ी स्टेट्स रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा कि उन्हें एनएचएआई का नदी की स्थिति की स्टडी करने के बाद यह कहना कतई स्वीकार्य नहीं है कि इस मानसून सीजन के दौरान नदी से बड़े पत्थरों और चट्टानों को नहीं हटाया जा सकता है. एनएचएआई के पास जून का पूरा महीना था, जब मानसून ने हिमाचल प्रदेश राज्य को नहीं छुआ था और एनएचएआई की तरफ से इस अवधि में कुछ किया जा सकता था. एनएचएआई ने इस दौरान कुछ भी नहीं किया है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एनएचएआई की इस निष्क्रियता के कारण कोई अप्रिय घटना होती है, तो एनएचएआई के अधिकारियों के खिलाफ उचित निर्देश जारी किया जाएगा. मामले पर सुनवाई 1 अगस्त को निर्धारित की गई है. इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने गत 12 जून को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे. ताकि नागरिकों को भोजन, ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति बनाई रखी जा सके. एनएचएआई को भी आदेश दिए थे कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े-बड़े पत्थरों और बड़ी चट्टानों को हटाए. ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले वर्ष हुई भरी बरसात के कारण सैकड़ों सड़कें तबाह हो गई थी. हाईकोर्ट ने पहले भी कहा था कि लोक निर्माण विभाग का अगली आपदा से पहले जागना जरूरी है. आपदा के बाद जागने से नुकसान की भरपाई ही करनी होती है, जिससे जनता के धन का दुरुपयोग होता है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भारी बारिश से हुए भूस्खलन से प्रदेश की सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा था.

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