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वित्तीय तंगी के हवाले पर हाईकोर्ट की सख्ती, पूछा- ₹58 हजार करोड़ के बजट में न्यायिक सुविधा को दो करोड़ रुपए भी नहीं? - Himachal High Court

Himachal High Court: हिमाचल हाईकोर्ट ने न्यायिक परिसर सोलन के लिए अधिकृत भूमि नहीं सौंपने को लेकर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कहा सरकार बजट का रोना बंद करे और दो माह के भीतर अधिगृहीत की गई भूमि का कब्जा जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोलन को हैंडओवर करें. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 19, 2024, 9:20 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि जनता को न्यायिक सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार तंगहाली का रोना नहीं रो सकती. हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास अन्य कार्यों के लिए करोड़ों का बजट है, लेकिन न्यायिक परिसर सोलन के लिए क्या दो करोड़ रुपए नहीं हैं? अदालत ने सख्ती दिखाते हुए आदेश जारी किए कि सोलन के जिला अदालत परिसर के विस्तारीकरण को लेकर अधिसूचित भूमि का तुरंत अधिग्रहण किया जाए. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार को 2 माह के भीतर अधिगृहीत की गई भूमि का कब्जा जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोलन को सौंपने के आदेश भी दिए.

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने की. इस मामले में जिला बार एसोसिएशन सोलन की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए गए हैं. अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने अपनी तंगहाली का हवाला दिया था. सरकार ने अदालत में मौजूदा कोर्ट कॉम्प्लेक्स के साथ लगती भूमि का अधिग्रहण करने में असमर्थता जताते हुए कहा था कि इस भूमि की कीमत 2 करोड़ के आसपास होगी. यह एक बड़ी रकम है और इसलिए सरकार ने कोर्ट कॉम्प्लेक्स सोलन के लिए बेर खास नामक स्थान पर भूमि का चयन किया है.

इस पर खंडपीठ ने कहा कि अपने नागरिकों को न्यायिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार वित्तीय संसाधनों की कमी का रोना नहीं रो सकती. जनता को सुविधाएं प्रदान करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के कुछ कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 का बजट 53 हजार करोड़ रुपए से अधिक था. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बजट 58 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और यह पिछले बजट से 5 हजार करोड़ रुपए अधिक है. सरकार ने 2000 करोड़ रुपए गगल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चिन्हित किए हैं. इसके अलावा 250 करोड़ रुपए के सालाना खर्चे वाला प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने की तैयारी भी सरकार ने की हुई है.

राज्य सरकार ने 5 मार्च को 800 करोड़ के खर्चे वाली स्कीम की घोषणा की है, जिसमें 18 से 60 वर्ष की 5 लाख पात्र महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने का जिक्र है. इतना ही नहीं भारी भरकम राशि खर्च कर पुरानी पेंशन योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों का हवाला दिया और सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि कई कामों के लिए खजाने में करोड़ों रुपए हैं. लेकिन अदालत यह समझ पाने में असमर्थ है कि सरकार के पास न्यायिक परिसर सोलन के विस्तार के लिए मात्र 2 करोड़ रुपए की राशि नहीं है.

ये भी पढ़ें: ग्रेच्युटी की बकाया रकम जारी न करने पर उच्च शिक्षा निदेशक को HC का कारण बताओ नोटिस, अवमानना का केस चलाने की चेतावनी

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि जनता को न्यायिक सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार तंगहाली का रोना नहीं रो सकती. हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास अन्य कार्यों के लिए करोड़ों का बजट है, लेकिन न्यायिक परिसर सोलन के लिए क्या दो करोड़ रुपए नहीं हैं? अदालत ने सख्ती दिखाते हुए आदेश जारी किए कि सोलन के जिला अदालत परिसर के विस्तारीकरण को लेकर अधिसूचित भूमि का तुरंत अधिग्रहण किया जाए. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार को 2 माह के भीतर अधिगृहीत की गई भूमि का कब्जा जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोलन को सौंपने के आदेश भी दिए.

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने की. इस मामले में जिला बार एसोसिएशन सोलन की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए गए हैं. अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने अपनी तंगहाली का हवाला दिया था. सरकार ने अदालत में मौजूदा कोर्ट कॉम्प्लेक्स के साथ लगती भूमि का अधिग्रहण करने में असमर्थता जताते हुए कहा था कि इस भूमि की कीमत 2 करोड़ के आसपास होगी. यह एक बड़ी रकम है और इसलिए सरकार ने कोर्ट कॉम्प्लेक्स सोलन के लिए बेर खास नामक स्थान पर भूमि का चयन किया है.

इस पर खंडपीठ ने कहा कि अपने नागरिकों को न्यायिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार वित्तीय संसाधनों की कमी का रोना नहीं रो सकती. जनता को सुविधाएं प्रदान करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के कुछ कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 का बजट 53 हजार करोड़ रुपए से अधिक था. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बजट 58 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और यह पिछले बजट से 5 हजार करोड़ रुपए अधिक है. सरकार ने 2000 करोड़ रुपए गगल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चिन्हित किए हैं. इसके अलावा 250 करोड़ रुपए के सालाना खर्चे वाला प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने की तैयारी भी सरकार ने की हुई है.

राज्य सरकार ने 5 मार्च को 800 करोड़ के खर्चे वाली स्कीम की घोषणा की है, जिसमें 18 से 60 वर्ष की 5 लाख पात्र महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने का जिक्र है. इतना ही नहीं भारी भरकम राशि खर्च कर पुरानी पेंशन योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों का हवाला दिया और सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि कई कामों के लिए खजाने में करोड़ों रुपए हैं. लेकिन अदालत यह समझ पाने में असमर्थ है कि सरकार के पास न्यायिक परिसर सोलन के विस्तार के लिए मात्र 2 करोड़ रुपए की राशि नहीं है.

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