ETV Bharat / state

डिप्टी डायरेक्टर्स (एजुकेशन) के पद भरने को निर्धारित किया गया कोटा असंवैधानिक करार, हाईकोर्ट ने किया खारिज - High Court rejects quota

Himachal High Court Rejects Deputy Director Posts Quota In Education Department: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए निर्धारित किए गए कोटे को खारिज कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 27, 2024, 6:39 PM IST

शिमला: हिमाचल में शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए निर्धारित किए गए कोटे को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने इस कोटे को भेदभाव वाला बताया है. साथ ही कहा है कि ये कोटा असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है. दरअसल, राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए 60 प्रतिशत कोटा हेडमास्टर से प्रमोट होने वाले प्रिंसिपल्स के लिए तय किया था. इसके अलावा चालीस फीसदी कोटा लेक्चरर से प्रमोट हुए प्रिंसिपल्स के लिए रखा था. इसके बाद कोटे को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. लेक्चरर से प्रिंसिपल बनने वालों ने अपने कोटे में कटौती को भेदभाव वाला फैसला बताया था और इसे अदालत में चुनौती दी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिका को मंजूर करते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वो सभी प्रिंसिपल्स की एक सामान्य सीनियोरिटी लिस्ट तैयार करे. अदालत ने आदेश दिए कि प्रिंसिपल्स की सीनियोरिटी उनके कैडर में शामिल होने की तिथि से निर्धारित की जाए. साथ ही इसी सीनियोरिटी लिस्ट से डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए उनकी उम्मीदवारी के निर्धारण पर विचार किया जाए.

क्या है पूरा मामला: मामले के अनुसार 14 सितंबर 2005 को राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन कर शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों के लिए प्रिंसिपल्स का अलग-अलग कोटा निर्धारित किया था. सरकार का कहना था कि टीजीटी के रूप में लंबे समय तक सेवा करने के बाद किसी अध्यापक को हेडमास्टर के पद पर प्रमोट किया जाता है. वहीं, लेक्चरर के लिए 50 फीसदी कोटा सीधी भर्ती से और 50 फीसदी कोटा टीजीटी से प्रमोशन के लिए रखा गया है. ऐसी परिस्थिति में लेक्चरर के रूप में नियुक्त व्यक्ति लाभकारी स्थिति में होता है जो काफी कम समय में प्रमोट होकर प्रधानाचार्य बन जाता है. हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंसिपल्स का एक स्वतंत्र कैडर है. इसलिए यह कोई मायने नहीं रखता कि वे किस प्रकार से प्रधानाचार्य बने हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने वाला विधेयक पेश, बिना चर्चा हुआ पारित

शिमला: हिमाचल में शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए निर्धारित किए गए कोटे को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने इस कोटे को भेदभाव वाला बताया है. साथ ही कहा है कि ये कोटा असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है. दरअसल, राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए 60 प्रतिशत कोटा हेडमास्टर से प्रमोट होने वाले प्रिंसिपल्स के लिए तय किया था. इसके अलावा चालीस फीसदी कोटा लेक्चरर से प्रमोट हुए प्रिंसिपल्स के लिए रखा था. इसके बाद कोटे को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. लेक्चरर से प्रिंसिपल बनने वालों ने अपने कोटे में कटौती को भेदभाव वाला फैसला बताया था और इसे अदालत में चुनौती दी.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिका को मंजूर करते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वो सभी प्रिंसिपल्स की एक सामान्य सीनियोरिटी लिस्ट तैयार करे. अदालत ने आदेश दिए कि प्रिंसिपल्स की सीनियोरिटी उनके कैडर में शामिल होने की तिथि से निर्धारित की जाए. साथ ही इसी सीनियोरिटी लिस्ट से डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों को भरने के लिए उनकी उम्मीदवारी के निर्धारण पर विचार किया जाए.

क्या है पूरा मामला: मामले के अनुसार 14 सितंबर 2005 को राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन कर शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर्स के पदों के लिए प्रिंसिपल्स का अलग-अलग कोटा निर्धारित किया था. सरकार का कहना था कि टीजीटी के रूप में लंबे समय तक सेवा करने के बाद किसी अध्यापक को हेडमास्टर के पद पर प्रमोट किया जाता है. वहीं, लेक्चरर के लिए 50 फीसदी कोटा सीधी भर्ती से और 50 फीसदी कोटा टीजीटी से प्रमोशन के लिए रखा गया है. ऐसी परिस्थिति में लेक्चरर के रूप में नियुक्त व्यक्ति लाभकारी स्थिति में होता है जो काफी कम समय में प्रमोट होकर प्रधानाचार्य बन जाता है. हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंसिपल्स का एक स्वतंत्र कैडर है. इसलिए यह कोई मायने नहीं रखता कि वे किस प्रकार से प्रधानाचार्य बने हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने वाला विधेयक पेश, बिना चर्चा हुआ पारित

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.