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कुल्लू के तोष में हुई थी हरियाणा के युवक वैभव की मौत, हाईकोर्ट ने दिए सीबीआई जांच के साथ तुरंत एफआईआर करने के आदेश - HIMACHAL HC ON VAIBHAV DEATH CASE

हरियाणा के युवक वैभव की मौत मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. वहीं, कोर्ट ने एफआईआर करने के आदेश दिए.

हरियाणा के वैभव मौत मामले में हाईकोर्ट के आदेश
हरियाणा के वैभव मौत मामले में हाईकोर्ट के आदेश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 1 hours ago

शिमला: हरियाणा के चार युवक घूमने के लिए कुल्लू जिला के तोष इलाके में आए थे. यहां एक युवक वैभव यादव की मौत हो गई थी. पिछले साल 9 दिसंबर को वैभव की मौत हुई थी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले में राज्य पुलिस के कुछ अफसरों की कथित संलिप्तता को देखते हुए मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी किए. साथ ही एसपी सीबीआई शिमला को तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए। यही नहीं, हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए कि वो जांच को तार्किक निष्कर्ष (लॉजिकल कन्क्लूजन) तक ले जाए. इसके अलावा हाईकोर्ट ने हिमाचल पुलिस को अपने डीजीपी के माध्यम से तीन दिन के भीतर मामले से जुड़ा मूल रिकॉर्ड सीबीआई को उपलब्ध करवाने के निर्देश भी दिए.

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस अधिकारियों की तरफ से कर्तव्यों की उपेक्षा को दर्शाता है, बल्कि कानून के जनादेश का भी घोर उल्लंघन करता है. खंडपीठ ने कहा कि यदि एफआईआर समय पर दर्ज की गई होती तो पुलिस को जांच करने की और शक्ति मिलती. साथ ही जांच के बाद पुलिस अपने निष्कर्ष पर पहुंच सकती थी. यदि पुलिस की राय में मामले के तथ्य एफआईआर तुरंत रजिस्टर्ड करने लायक न होते तो प्रारंभिक जांच पूरी की जानी चाहिए थी.

हाईकोर्ट के अनुसार 14 फरवरी 2024 को वैभव यादव के पिता ने आशंका जताई थी कि उनके बेटे की हत्या की गई है. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास संज्ञेय अपराध होने की सूचना थी. एफआईआर दर्ज करने के लिए और कुछ भी आवश्यक नहीं था. इस प्रकार वर्तमान मामले के तथ्य पुलिस विभाग के निर्लज्ज आचरण को दर्शाते हैं. इस आचरण ने पुलिस में पहले से ही कम हो रहे सार्वजनिक भरोसे में और भी अधिक योगदान दिया है.

क्या है पूरा मामला

पिछले साल 9 दिसंबर को हरियाणा के चार युवक वैभव यादव, कुशाग्र, शशांक शर्मा और रितिका मित्तल हिमाचल में कुल्लू जिला के तोष नामक स्थान पर गए थे. वैभव यादव की उसी शाम को मौत हो गई. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन पुलिस ने वहां कोई गड़बड़ी नहीं पाई. फिर 11 दिसंबर 2023 को वैभव यादव के शव का पोस्टमार्टम किया गया और पार्थिव देह परिजनों को सौंप दी गई. बाद में 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता बलदेव यादव ने हिमाचल पुलिस के डीजीपी को एक लिखित अनुरोध के जरिए बताया कि उनके बेटे की मौत संदिग्ध है. उस लिखित अनुरोध की एक प्रति एसएचओ पुलिस स्टेशन, कुल्लू को भी भेजी गई थी. पत्र में बताया गया कि 10 दिसंबर 2023 को मृतक के परिजनों के साथ पुलिस अधिकारियों का असहयोगात्मक रवैया था.

कथित तौर पर मृतक के चाचा के अनुरोध के बावजूद मृतक के तीन साथियों और होटल स्टाफ से उनकी मौजूदगी में पूछताछ नहीं की गई. पत्र के माध्यम से मृतक के पिता ने विनय यादव नामक एक प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी के आचरण पर भी सवाल उठाए. मृतक के पिता का आरोप था कि ट्रेनी आईपीएस ने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था. मृतक के पिता ने कुशाग्र, शशांक और रितिका के घटना के बाद के आचरण को भी संदेहास्पद बताया. पिता ने अपने बेटे के बीमार होने का बहाना बनाकर उसके कमरे में अकेले रहने के बारे में भी सवाल उठाया था, जबकि कुशाग्र के पिता ने कथित तौर पर टेलीफोन पर बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता यानी वैभव के पिता को बताया था कि कुशाग्र, शशांक और रितिका भी बीमार थे और उल्टियां कर रहे थे.

बलदेव यादव की शिकायत के जवाब में 6 मार्च 2024 को एसपी कुल्लू ने एएसपी कुल्लू संजीव चौहान को जांच सौंपी. इसके अलावा पुलिस के आचरण से असंतुष्ट होने के कारण पिता बलदेव यादव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिनांक 10 जुलाई को एक पत्र लिखा. इस पृष्ठभूमि में तत्काल हाईकोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत की थी. फिलहाल, अब मामले की जांच सीबीआई करेगी.

ये भी पढ़ें: टॉयलेट करने गाड़ी से नीचे उतरा युवक, पैर फिसलकर 400 मीटर गहरी खाई में गिरा

शिमला: हरियाणा के चार युवक घूमने के लिए कुल्लू जिला के तोष इलाके में आए थे. यहां एक युवक वैभव यादव की मौत हो गई थी. पिछले साल 9 दिसंबर को वैभव की मौत हुई थी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले में राज्य पुलिस के कुछ अफसरों की कथित संलिप्तता को देखते हुए मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी किए. साथ ही एसपी सीबीआई शिमला को तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए। यही नहीं, हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए कि वो जांच को तार्किक निष्कर्ष (लॉजिकल कन्क्लूजन) तक ले जाए. इसके अलावा हाईकोर्ट ने हिमाचल पुलिस को अपने डीजीपी के माध्यम से तीन दिन के भीतर मामले से जुड़ा मूल रिकॉर्ड सीबीआई को उपलब्ध करवाने के निर्देश भी दिए.

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस अधिकारियों की तरफ से कर्तव्यों की उपेक्षा को दर्शाता है, बल्कि कानून के जनादेश का भी घोर उल्लंघन करता है. खंडपीठ ने कहा कि यदि एफआईआर समय पर दर्ज की गई होती तो पुलिस को जांच करने की और शक्ति मिलती. साथ ही जांच के बाद पुलिस अपने निष्कर्ष पर पहुंच सकती थी. यदि पुलिस की राय में मामले के तथ्य एफआईआर तुरंत रजिस्टर्ड करने लायक न होते तो प्रारंभिक जांच पूरी की जानी चाहिए थी.

हाईकोर्ट के अनुसार 14 फरवरी 2024 को वैभव यादव के पिता ने आशंका जताई थी कि उनके बेटे की हत्या की गई है. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास संज्ञेय अपराध होने की सूचना थी. एफआईआर दर्ज करने के लिए और कुछ भी आवश्यक नहीं था. इस प्रकार वर्तमान मामले के तथ्य पुलिस विभाग के निर्लज्ज आचरण को दर्शाते हैं. इस आचरण ने पुलिस में पहले से ही कम हो रहे सार्वजनिक भरोसे में और भी अधिक योगदान दिया है.

क्या है पूरा मामला

पिछले साल 9 दिसंबर को हरियाणा के चार युवक वैभव यादव, कुशाग्र, शशांक शर्मा और रितिका मित्तल हिमाचल में कुल्लू जिला के तोष नामक स्थान पर गए थे. वैभव यादव की उसी शाम को मौत हो गई. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन पुलिस ने वहां कोई गड़बड़ी नहीं पाई. फिर 11 दिसंबर 2023 को वैभव यादव के शव का पोस्टमार्टम किया गया और पार्थिव देह परिजनों को सौंप दी गई. बाद में 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता बलदेव यादव ने हिमाचल पुलिस के डीजीपी को एक लिखित अनुरोध के जरिए बताया कि उनके बेटे की मौत संदिग्ध है. उस लिखित अनुरोध की एक प्रति एसएचओ पुलिस स्टेशन, कुल्लू को भी भेजी गई थी. पत्र में बताया गया कि 10 दिसंबर 2023 को मृतक के परिजनों के साथ पुलिस अधिकारियों का असहयोगात्मक रवैया था.

कथित तौर पर मृतक के चाचा के अनुरोध के बावजूद मृतक के तीन साथियों और होटल स्टाफ से उनकी मौजूदगी में पूछताछ नहीं की गई. पत्र के माध्यम से मृतक के पिता ने विनय यादव नामक एक प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी के आचरण पर भी सवाल उठाए. मृतक के पिता का आरोप था कि ट्रेनी आईपीएस ने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था. मृतक के पिता ने कुशाग्र, शशांक और रितिका के घटना के बाद के आचरण को भी संदेहास्पद बताया. पिता ने अपने बेटे के बीमार होने का बहाना बनाकर उसके कमरे में अकेले रहने के बारे में भी सवाल उठाया था, जबकि कुशाग्र के पिता ने कथित तौर पर टेलीफोन पर बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता यानी वैभव के पिता को बताया था कि कुशाग्र, शशांक और रितिका भी बीमार थे और उल्टियां कर रहे थे.

बलदेव यादव की शिकायत के जवाब में 6 मार्च 2024 को एसपी कुल्लू ने एएसपी कुल्लू संजीव चौहान को जांच सौंपी. इसके अलावा पुलिस के आचरण से असंतुष्ट होने के कारण पिता बलदेव यादव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिनांक 10 जुलाई को एक पत्र लिखा. इस पृष्ठभूमि में तत्काल हाईकोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत की थी. फिलहाल, अब मामले की जांच सीबीआई करेगी.

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