शिमला: हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की संयुक्त सचिव पर हाईकोर्ट की अवमानना की तलवार लटक गई है. हाईकोर्ट ने झूठे शपथ पत्र के एक मामले में कार्मिक विभाग की संयुक्त सचिव नीरज चांदला को नोटिस जारी किया है. अदालत ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न संयुक्त सचिव के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए? साथ ही नोटिस जारी कर ये भी पूछा गया है कि अदालत के साथ जालसाजी करने के मामले में क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए?
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्रतिवादी नंबर 4 का चयन नोटिस अनुसार पूरी तरह से अवैध है, इसलिए उसकी नियुक्ति रद्द की जाती है. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह योग्यता में अगले व्यक्ति को पंचायत चौकीदार के रूप में नियुक्त करें. मामला पंचायत चौकीदार की नियुक्ति से जुड़ा है और इसमें कार्मिक विभाग की तरफ से दाखिल शपथ पत्र को अदालत ने झूठा पाया है.
हाईकोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादियों की तरफ से दाखिल किया गया शपथ पत्र झूठा प्रतीत होता है. शपथ पत्र में कहा गया कि 6 अगस्त, 2018 को पंचायत चौकीदार के पद को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित करने के लिए जारी नोटिस की शर्तों के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया था कि अपेक्षित प्रमाणपत्रों के साथ संबंधित ग्राम पंचायत में आवेदन 18 अगस्त, 2018 तक पहुंचना चाहिए. साक्षात्कार पंचायत कार्यालय में 25 अगस्त 2018 को पूर्वाह्न 11 बजे आयोजित किए गए.
प्रतिवादियों की तरफ से दाखिल जवाब में यह विशेष रूप से बताया गया कि सभी आवेदकों को साक्षात्कार के समय अपना आवेदन जमा करना है. यह सब स्पष्ट रूप से नोटिस में है. यदि यह पर्याप्त नहीं था, तो यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि प्रतिवादी नंबर 4 का गैर-रोजगार प्रमाण पत्र 29 अगस्त, 2018 का है. यानी इस डेट का गैर रोजगार प्रमाण पत्र साक्षात्कार की तारीख और परिणाम की घोषणा के 4 दिन बाद का है. फिर भी प्रतिवादी नंबर 4 को इसके लिए 3 अंक दिए गए. अब इस मामले पर आगामी सुनवाई 11 जून को निर्धारित की गई है. अगली सुनवाई में संयुक्त सचिव कार्मिक नीरज चांदला को न्यायालय के समक्ष हाजिर रहने के आदेश जारी किए गए हैं.