शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज की बद्दी में तत्काल नियुक्ति और उनके कार्य को सुनिश्चित करने के निर्देश को लेकर दायर जनहित याचिका में गृह सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी किया है. अदालत ने साथ ही दोनों अफसरों से इस मामले में अपना स्पष्टीकरण पेश करने करने के आदेश भी दिए हैं. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने सुच्चा सिंह नामक व्यक्ति की तरफ से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए.
प्रार्थी ने इस मामले में हाईकोर्ट से उपयुक्त आदेश जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इल्मा अफरोज की बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में तैनाती से वहां की आम जनता सुरक्षित महसूस करेगी. साथ ही क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने व ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित हो पाएगी. प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में ड्रग माफिया और खनन माफिया अवैध कार्य करने के आदी हैं. उक्त क्षेत्र की पुलिस इन ड्रग माफिया और खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करने में विफल रही है.
प्रार्थी का कहना है कि वर्ष 2024 में जब से इल्मा अफरोज को पुलिस अधीक्षक, बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ के रूप में तैनात किया गया था, तब से उक्त क्षेत्र में उन्होंने कानून के राज को लागू किया था. उन्होंने एनजीटी के सभी निर्देशों के साथ-साथ हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा पारित सभी आदेशों को लागू किया. प्रार्थी का कहना है कि उन्होंने ड्रग माफिया और खनन माफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की और इस क्षेत्र के आम लोगों ने पहली बार खुद को कानून के हाथों सुरक्षित और संरक्षित महसूस किया.
प्रार्थी का कहना है कि नवंबर माह में आम जनता ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष एक प्रतिवेदन दायर कर उनसे अनुरोध किया था कि इल्मा अफरोज को बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में पुलिस अधीक्षक के रूप में काम करने की अनुमति दी जाए, ताकि आम जनता सुरक्षित महसूस कर सके, लेकिन मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रतिवादी अधिकारी आवश्यक कार्रवाई करने में विफल रहे.
प्रार्थी ने 9 सितंबर 2024 के हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला भी दिया, जिसमें कोर्ट ने एक आपराधिक मामले की जांच में एसपी इल्मा पर भरोसा जताया था. प्रार्थी का आरोप है कि जब से पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज अवकाश पर चली गईं, तब से उक्त क्षेत्र की पुलिस ने पुनः अपनी कार्यशैली व योजना बदल दी. आरोप लगाया गया कि अब उक्त क्षेत्र की पुलिस ने आम जनता पर बिना किसी गलती के अत्याचार, मारपीट व लूटपाट शुरू कर दी. प्रार्थी ने कुछ खबरों का हवाला भी दिया और कहा कि इन खबरों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि पुलिस द्वारा बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ क्षेत्रों में अराजकता फैलाई गई है.
प्रार्थी का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा एक आपराधिक मामले में 9 सितंबर 2024 को दिए आदेश के मद्देनजर पुलिस अधीक्षक इल्मा अफरोज का तबादला बिना कोर्ट की इजाजत के नहीं किया जा सकता है. ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो इसलिए, उक्त पुलिस अधीक्षक को अनिश्चित काल के लिए छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर किया गया. यह क्षेत्र के व्यापक सार्वजनिक हित के खिलाफ है.
प्रार्थी का कहना है कि आईपीएस इल्मा अफरोज की उक्त क्षेत्र में तैनाती से पूर्व बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में खनन माफिया सभी अवैध गतिविधियां कर रहे थे. जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश की सीमा पर पंजाब और हरियाणा सहित स्थानीय राजनेताओं/विधायकों और अन्य लोगों की 43 खनन क्रशर इकाइयां हैं. पुलिस की उक्त क्षेत्र के खनन माफियाओं के साथ सभी प्रकार की मिलीभगत है. आरोप है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण और हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार भी इन खनन माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी.
माफिया हर पल कानून के साथ खेल रहे थे. बिना किसी अधिकार, हक या अनुमति के उपरोक्त क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियां चला रहे थे और पुलिस अधिकारी इन खनन माफियाओं के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उनकी सहायता कर रहे थे. इसके अलावा, नशा माफिया भी सक्रिय है. पुलिस भी ऐसे नशा माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर रही थी, लेकिन जब इल्मा अफरोज, आईपीएस ने बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में कार्यभार संभाला, तो उन्होंने अवैध खनन को रोकने के लिए एनजीटी और हाईकोर्ट द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों को लागू किया.
इल्मा अफरोज ने खनन माफियाओं के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को भी लागू किया. इसके अलावा, उन्होंने नशा माफियाओं के खिलाफ एक्शन लिया. उनकी मेहनत, ईमानदारी और उत्साह के कारण क्षेत्र में कानून और व्यवस्था कायम हुई, लेकिन उनका ऐसा कार्य खनन माफियाओं और नशा माफियाओं के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन गया. परिणामस्वरूप उक्त पुलिस अधीक्षक को अनिश्चित काल के लिए अवकाश पर जाने के लिए बाध्य किया गया, जो अपने आप में विडंबनापूर्ण है.
एक ईमानदार पुलिस अधिकारी ने अपनी शपथ और कानून के अनुसार समाज की सेवा की है. ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं ने समाज में यह प्रचार किया कि उक्त पुलिस अधीक्षक ने उनके लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करके गलत काम किया है. ये लोग पुलिस अधीक्षक को अवकाश पर भेजने में सफल हो गए हैं, जो माफियाओं के हाथों में कानून का स्पष्ट मजाक है.
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