शिमला: हिमाचल में तीन निर्दलीय विधायकों की याचिका पर आज बुधवार (10 अप्रैल) को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ में मामले की सुनवाई होनी है. गौरतलब है कि तीन निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा की प्रति विधानसभा अध्यक्ष को दिया गया था, जिसे ये स्वीकार नहीं किया गया था. इसी मामले को विधायकों ने चुनौती दी है.
22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे थे इस्तीफे
इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को पार्टी बनाया गया है. विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे मंजूर नहीं किए हैं. ऐसे में निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले को चुनौती दी हैं. तीन निर्दलीय विधायकों नालागढ़ से केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह व हमीरपुर से आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष व सचिव को दिया था. जिसकी प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी. वहीं राज्यपाल की ओर से इस्तीफे की प्रति विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई थी.
भाजपा में शामिल हो गए निर्दलीय विधायक
विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है. हालांकि अभी विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों विधायकों को इस्तीफे का कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा था. स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सुक्खू कैबिनेट के दो मंत्रियों की शिकायत पर तीनों निर्दलीय विधायकों को नोटिस जारी किया है. इसमें विधायकों से समय से पहले रिजाइन करने पर जवाब मांगा गया है. स्पीकर द्वारा इस्तीफा मंजूर नहीं करने को लेकर तीनों निर्दलीय विधायकों ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
इन दो मंत्रियों ने की थी अध्यक्ष से शिकायत
प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर व राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा अध्यक्ष को तीन निर्दलीय विधायकों के समय से पहले इस्तीफा दिए जाने पर शिकायत की है. निर्दलीय विधायकों ने 15 महीने में ही विधानसभा सदस्यता से त्याग पत्र दिया हैं. वहीं विधासभा सदस्य का पांच साल का कार्यकाल होता है. हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा सदस्य के लिए हुए मतदान से सियासी उठा पटक जारी है. तीनों निर्दलीय विधायक सरकार के साथ एसोसिएट के रूप में कार्य कर रहे थे लेकिन इन विधायकों ने भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया. जिस कारण बहुमत में होने पर भी कांग्रेस के उम्मीदवार की चुनाव में हार हुई थी.
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