शिमला: फल राज्य हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन पीक पर आने जा रहा है. क्वालिटी सेब तो देश की बड़ी मंडियों में तुरंत ही बिकने के लिए चला जाता है, लेकिन खराब क्वालिटी वाले सेब बोरियों में पैक होकर पिंजौर-परवाणु हाईवे पर खड़े रहते हैं. काफी समय तक ट्रकों के खड़े रहने से सेब सड़ जाते हैं और उनकी दुर्गंध इलाके में फैलती है. सैलानियों के लिए हिमाचल का प्रवेश द्वार परवाणु ही है. सड़े हुए सेबों से उठती दुर्गंध को लेकर मीडिया में आई खबरों का हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है.
हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सड़े-गले सेबों की समस्या से निपटने के लिए निर्धारित स्थानों का ब्यौरा अदालत के समक्ष पेश करने के लिए कहा है. साथ ही हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कारपोरेशन यानी एचपीएमसी को इस समस्या को सुलझाने के वैज्ञानिक प्रबंधन के उपाय करने को भी कहा है. अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसके लिए अन्य प्रतिवादियों से विचार-विमर्श कर शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की है. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि सड़ चुके सेबों का निपटान कंपोस्टिंग या ठोस अपशिष्ट के माध्यम से किया जा सकता है. ऐसा करने से न तो दुर्गंध की समस्या रहेगी और न ही सड़े सेबों की डंपिंग की दिक्कत आएगी.
अदालत के संज्ञान में आया था कि हिमाचल में परवाणु से प्रवेश करते ही पर्यटकों और स्थानीय लोगों को नेशनल हाईवे-5 पर पिंजौर-परवाणु के किनारे खड़े सेबों से लदे ट्रकों से निकलने वाली बदबू परेशान करती है. सेब सीजन के दौरान एमआईएस यानी बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद की प्रतीक्षा में सेब के ट्रक यात्री राजमार्ग के किनारे खड़े रहते हैं. यहां ट्रकों में बोरियों में सेब भरे रहते हैं और खरीद में देरी होने के कारण सड़ते रहते हैं. गुणवत्ता वाले सेब तो बाजार में बिक जाते हैं, लेकिन खराब क्वालिटी के शेष बचे सेबों को एमआईएस के तहत खरीद के लिए बोरियों में पैक किया जाता है और खरीद के लिए परवाणु पहुंचाया जाता है.
फलों की खरीद करने वाले ठेकेदारों को एचपीएमसी और हिमफेड की ओर से काम सौंपा जाता है. कई बार ट्रक वालों को खरीद के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है और अधिक तापमान के कारण फल सड़ने लगते हैं. हिमाचल की यात्रा करने वाले पर्यटकों का इस परवाणु में ऐसे सड़े सेबों की दुर्गंध से सामना होता है. अदालत ने इसे लेकर उपाय करने के लिए आदेश दिए हैं.