शिमला: हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड में कार्यरत कर्मचारियों और इंजीनियरों के सरकार से मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर के संयुक्त मोर्चा ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सुक्खू सरकार से आर या पार की लड़ाई का मन बना लिया है. बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने सरकार पर बोर्ड की दशा को सुधारने के बजाए बोर्ड को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है.
सरकार को उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ के नेताओं ने कहा कि सरकार बिजली बोर्ड के खिलाफ हिडन एजेंडे पर काम कर रही है. उन्होंने सरकार की ओर से बोर्ड के पुनर्गठन किए जाने का आरोप लगाया है. संघ ने सरकार को इस बारे में पुनर्विचार करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि अगर इसके बाद भी सरकार ने संघ की मांगों को हल्के से लेने का प्रयास किया तो प्रदेश भर में आंदोलन को और उग्र किया जाएगा. यही नहीं बिजली बोर्ड के संयुक्त मोर्चा ने सरकार को ब्लैक आउट की भी चेतावनी दे दी है. हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर संयुक्त मोर्चा के अनुसार सरकार बिजली बोर्ड और कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है. जिससे बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में रोष है. ऐसे में अब कर्मचारी और इंजीनियरों ने सरकार को इसका कड़ा जवाब देने का मन बना लिया है.
28 अक्टूबर को होगा पहला प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बिजली बोर्ड में 51 इंजीनियर के पद खत्म करने के साथ ही आउटसोर्स पर 81 ड्राइवरों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. जिससे बिजली बोर्ड के कर्मचारी सरकार के इस फैसले से भड़क गए हैं. ऐसे में हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर संयुक्त मोर्चा ने सरकार के फैसले के खिलाफ 28 अक्टूबर को प्रदेश भर में धरने प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है. संयुक्त मोर्चा का आरोप है कि सरकार की ओर से बिजली बोर्ड की स्थिति को ठीक करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी बिजली बोर्ड को तीन हिस्सों ट्रांसमिशन, जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में बांट कर इसका निजीकरण करने की कोशिश कर रही है. सरकार ने अगर सभी फैसलों को वापस नहीं लिया तो बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो जाएंगे. बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी 28 अक्टूबर को पहला प्रदर्शन करेंगे. प्रदेश भर में बिजली बोर्ड कर्मचारी दोपहर 1:30 बजे एकत्रित होकर प्रदर्शन करेंगे. इस दौरान सरकार के खिलाफ आंदोलन को और उग्र करने की रणनीति भी तैयार की जाएगी. जिसमें कर्मचारी राज्य में ब्लैक आउट करने का भी फैसला ले सकते हैं.
ये हैं बिजली बोर्ड कर्मचारियों की मांगे
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी और इंजीनियर विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ संघर्ष कर रहे हैं. ये हैं मांगे-
- 16 अक्टूबर, 2024 को जारी अधिसूचना के तहत समाप्त किए गए इंजीनियरिंग कैडर के 51 पदों को बहाल करना
- हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे 81 ड्राइवरों को नौकरी ने निकालने के आदेश वापस लेना
- बिजली बोर्ड में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना
- बिजली बोर्ड में टी-मेट के 1030 पदों को जल्द भरना
- वेतन आयोग का कर्मचारियों/पेंशनभोगियों को पेंशन और वेतन का बकाया जारी करना
- कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के सभी लंबित टर्मिनल लाभ का भुगतान करना
हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर संयुक्त मोर्चा के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा का कहना है, "हिमाचल सरकार बिजली बोर्ड के अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास कर रही है. जब बिजली बोर्ड का परिवार ही नहीं बचेगा तो कर्मचारी किसी भी हद तक जा सकते हैं. यहां तक कि कर्मचारियों को मजबूरी में ब्लैक आउट का भी फैसला लेना पड़ सकता है. बिजली बोर्ड में इंजीनियरों के समाप्त किए किए 51 पदों सहित 81 ड्राइवरों की सेवाएं खत्म किए जाने वाले फैसले को वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है."