शिमला: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की सियासत का तापमान कभी इतना नहीं चढ़ा, जितना इस समय है. राज्यसभा चुनाव क्या आए, चंगी-भली कांग्रेस सरकार के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया. अब नई मुसीबत छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन है. कांग्रेस से बगावत करने वाले छह नेता भाजपा में चले गए. भाजपा ने उन्हें टिकट भी दे दिया. कांग्रेस से भाजपाई हुए छह नेताओं ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया, लेकिन कांग्रेस अभी मंथन ही कर रही है कि किसे प्रत्याशी बनाया जाए.
जैसे ही कांग्रेस के छह बागी भाजपा में गए, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित अन्य नेताओं ने आया राम-गया राम का राग अलाप दिया. अब आलम ये है कि भाजपा से कुछ नेता कांग्रेस में जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं. इनमें लाहौल-स्पीति से पूर्व में भाजपा से चुनाव लड़े डॉ. रामलाल मारकंडा का नाम चर्चा में है. वैसे डॉ. मारकंडा एनएसयूआई में रहे हैं और सीएम सुखविंदर सिंह के साथ उनकी अच्छी ट्यूनिंग भी मानी जाती है.
मारकंडा कह चुके हैं कि यदि उचित मान-सम्मान मिलता है तो वे कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. यदि कांग्रेस में बात नहीं बनती है तो उनका ये भी कहना है कि निर्दलीय चुनाव लड़ने का विकल्प तो मौजूद है ही. यदि कांग्रेस डॉ. मारकंडा को अपना बनाती है तो फिर नैतिकता की कसौटी पर कसी जाएगी. जनता इसे भी आया राम-गया राम की संज्ञा देगी. इसी तरह से धर्मशाला से यदि राकेश चौधरी कांग्रेस में जाने की सोचते हैं तो यही सवाल उठाया जाएगा. इसी तरह गगरेट से राकेश कालिया भी कांग्रेस की टिकट हासिल कर सकते हैं, ये चर्चा है. राकेश कालिया ने पिछली बार कांग्रेस से टिकट न मिलने पर भाजपा का दामन थाम लिया था.
एक बात और गौर करने वाली है कि कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का हाथ थामने वाले छह नेताओं के अनेक समर्थक भी कांग्रेस को छोडक़र भाजपा में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए अपने कुनबे को संभालना भी बड़ी चुनौती है. वहीं, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ऊना में कार्यकर्ता सम्मेलन में ये स्पष्ट कर चुके हैं कि उपचुनाव में कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं को टिकट मिलना चाहिए.
कांग्रेस का प्रयास यही है कि उपचुनाव में अपनी ही पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाए. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को थामने का मौका मिलेगा. अब दिक्कत ये है कि कांग्रेस सुजानपुर, बड़सर, कुटलैहड़, धर्मशाला, गगरेट व लाहौल सीट पर किसे प्रत्याशी बनाती है. बड़सर से आईडी लखनपाल लगातार चुनाव जीत रहे थे. सुजानपुर से राजेंद्र राणा ने दो बार लगातार चुनाव जीता और कांग्रेस को मजबूत किया था. अब इन दोनों सीटों से कांग्रेस को उनके ही मुकाबले के प्रत्याशी चुनने हैं. धर्मशाला में भी कांग्रेस के लिए यही चुनौती है.
सुधीर शर्मा का यहां कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क था. सुधीर समर्थक उनके साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं. रवि ठाकुर भी पुरखों के समय के कांग्रेसी रहे हैं. वे अब भाजपा में हैं तो उनके कई समर्थक भी कांग्रेस से भाजपा में चले गए हैं. हिमाचल की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले धनंजय शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के लिए छह सीटों पर प्रत्याशियों का चयन आसान नहीं है. कांग्रेस को एक साथ कई मोर्चों पर सोचना होगा. इन सीटों पर कांग्रेस के सामने जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश करना चुनौती है. फिलहाल, दो दिन बाद कांग्रेस की दिल्ली मीटिंग में प्रत्याशी चयन को लेकर छाई धुंध छंटने के आसार हैं.
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