शिमला: राजनीति में सब कुछ संभव है. सियासत में राजनीतिक दलों के नेता भले ही एक दूसरे के खिलाफ जमकर कीचड़ उछलते हों, लेकिन ये भी सही है कि सियासत में कभी कोई स्थाई मित्र और स्थाई शत्रु नहीं रहता है. कभी भी राजनीतिक दलों के नेता अपनी सुविधा के मुताबिक पाला बदल कर दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं. इसी तरह के राजनीति हालात इन दिनों हिमाचल में पैदा हुए हैं. यहां अंतिम चरण 1 जून को चार लोकसभा सहित विधानसभा की 6 सीटों के लिए उपचुनाव होना है, लेकिन दोनों दलों में नेताओं की अदला बदली से मतदान से पहले प्रदेश की 6 विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला भाजपा के कांग्रेसी बनाम कांग्रेस के भाजपाईयों में दिखता हुआ नजर आने लगा है.
कांग्रेस टिकट पर बने थे विधायक, अब भाजपा उम्मीदवार
हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा के लिए हुई क्रॉस वोटिंग से प्रदेश में अब पूरा सियासी समीकरण बदल गया है. कांग्रेस की ओर से जारी व्हिप की अवहेलना करने पर हाथ के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने 6 नेताओं को स्पीकर ने विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया था. ऐसे में अब खाली हुई छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. चुनाव आयोग ने 1 जून को मतदान का भी ऐलान कर दिया है. इसके बाद कांग्रेस के बागियों को क्रॉस वोटिंग का इनाम देते हुए सभी को भाजपा में उपचुनाव में पार्टी टिकट थमा दिया है.
कांगेस के बागी, भाजपा के प्रत्याशी
इसमें धर्मशाला में कांग्रेस से बागी सुधीर शर्मा अब भाजपा टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. इसी तरह से सुजानपुर से भाजपा ने कांग्रेस के बागी राजेंद्र राणा की प्रत्याशी बनाया है. गगरेट से कांग्रेस के बागी चैतन्य शर्मा फूल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं. वहीं, बड़सर सीट पर अब कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने इंद्र दत्त लखनपाल उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हैं. लाहौल स्पीति विधानसभा सीट पर भी भाजपा ने कांग्रेस के बागी रवि ठाकुर को टिकट दिया है. इसके अलावा कुटलैहड़ से कांग्रेस को छोड़ चुके देवेंद्र भुट्टो भाजपा के उम्मीदवार हैं.
कांग्रेस ने भाजपा से आए 2 नेताओं को दिया टिकट
बगावत केवल कांग्रेस के भीतर नहीं हुई है. कांग्रेस के बागियों को टिकट देने पर भाजपा में भी बगावत की चिंगारी सुलग रही है. यहां तक कि दो विधानसभा सीटों पर तो भाजपा को छोड़कर आए नेताओं को कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है. इसमें सुजानपुर में पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा टिकट पर लड़े रणजीत सिंह राणा अब विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हैं. इसी तरह से गगरेट में भाजपा ने कांग्रेस के बागी चैतन्य शर्मा को टिकट दिया है. इससे नाराज भाजपा नेता पूर्व विधायक राकेश कालिया ने पार्टी छोड़ दी है. जिसके बाद अब राकेश कालिया कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर उपचुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं. हालांकि राकेश कालिया पहले कांग्रेस के ही सिपाई रहे हैं और इसी पार्टी से दो बार विधायक भी रह चुके हैं.
भाजपा के कांग्रेसी बनाम कांग्रेस के भाजपाई मुकाबला
वहीं, अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए दो नेताओं को टिकट मिलने से अब अन्य बची तीन सीटों पर भी भाजपा से नाराज चल रहे नेता कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद पाले हुए हैं. इसमें लाहौल स्पीति से भाजपा से नाराज चल रहे पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा पर कांग्रेस की नजर हैं. वहीं, वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में धर्मशाला से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़े राजेश चौधरी भी कांग्रेस के बागी सुधीर शर्मा को टिकट देने से नाराज चल रहे हैं. अब इनकी भी कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें हैं. कुटलैहड़ में भी पिछली बार भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े नेता संजीव के भी कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है. अगर इन नेताओं को कांग्रेस टिकट देती है तो इस बार उपचुनाव में अधिकतर सीटों पर मुकाबला भाजपा के कांग्रेसी बनाम कांग्रेस के भाजपाईयों के बीच होने की संभावना दिखती नजर आ रही है.