सोलन: औद्योगिक क्षेत्र परवाणू की एक फैक्ट्री में दाड़ी-मूंछ को लेकर चल रहा विवाद सुलझ गया है. दरअसल कुछ दिन पहले कामगारों ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि दाड़ी-मूंझ रखने पर 80 कामगारों को नौकरी से निकाल दिया गया है. जिसके बाद इन कामगारों ने प्रदर्शन भी किया था. लेकिन अब इस विवाद ने बीच का रास्ता निकाला गया है और विवाद सुलझने के बाद सभी कर्मचारी काम पर लौट गए हैं.
क्या हल निकला ?
सोलन के परवाणू के नरयाल में स्थित एक फार्मा कंपनी और कामगारों के बीच का मामला लेबर इंस्पेक्टर तक पहुंचा था. लेबर इंस्पेक्टर ललित ठाकुर ने दो से तीन बार उद्योग प्रबंधन से बातचीत की और विवाद को सुलझाया है. जिसके बाद कंपनी ने इन सभी कर्मचारियों को फिर से सशर्त नौकरी पर रख लिया है. श्रम निरीक्षक ललित ठाकुर की अध्यक्षता में कंपनी प्रबंधन और कामगारों की हुई बैठक में दोनों पक्षों में कुछ शर्तों के साथ समझौता हो गया है.
"कंपनी की शर्त के अनुसार जो कामगार अपनी दाड़ी-मूंछ नहीं काटेगा वह कपंनी के नॉन कोर एरिया में काम करेगा. जबकि दाड़ी-मूंछ काटने की शर्त पूरी करने वाले कामगार ही कोर एरिया में काम करेंगे. इस शर्त पर दोनों पक्ष तैयार हो गए और विवाद हल हो गया है."- ललित ठाकुर, श्रम निरीक्षक, परवाणू
लेबर इंस्पेक्टर ललित ठाकुर के मुताबिक उन्होंने प्रबंधन से दो से तीन बार इस मामले पर बात की. कंपनी ने भी अपना पक्ष रखा और कामगारों की बात भी सुनी गई. इस बीच ये भी तय किया गया कि इस विवाद के कारण कामगारों की सैलरी नहीं कटनी चाहिए, जिसपर प्रबंधन मान गया और विवाद हल होने के बाद सभी कामगार अपने काम पर लौट गए हैं.
कब-कब, क्या-क्या हुआ ?
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब कंपनी ने 26 अप्रैल को करीब 80 कामगारों को नौकरी से निकला दिया हालांकि कंपनी में विवाद पिछले कई दिनों से चल रहा था. प्रबंधन ने अपने सभी कर्मचारियों को निर्देश दिए हुए थे कि वे अपनी दाड़ी-मूंछ कटवाए जो ऐसा नहीं करेंगे उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा. इस शर्त के लिए कुछ कामगार तैयार हो गए थे करीब 80 कर्मचारियों ने इसका विरोध किया. फिर कंपनी ने इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. कामगारों ने इसकी शिकायत श्रम निरीेक्षक परवाणू से की थी. श्रम निरीक्षक ने 25 अप्रैल को कंपनी का दौरा किया और कंपनी प्रबंधन को निर्देश दिए कि वे इस आधार पर कामगारों को नौकरी से नहीं हटा सकते.
जिसके बाद कंपनी उन्हें नौकरी पर रखने को तैयार हो गई लेकिन 26 अप्रैल को इन कामगारों के लिए गेट बंद कर दिया. जिसकी शिकायत कामगारों ने फिर से श्रम निरीक्षक को कर दी. जिसके बाद श्रम निरीक्षक के साथ-साथ जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया क्योंकि इस पूरे मामले में सब हैरान थे कि सिर्फ दाड़ी-मूंछ रखने पर कामगारों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है.
कंपनी की क्या दलील थी ?
डीसी सोलन ने श्रम अधिकारी को निर्देश दिए कि इस मामले को सुलझाए. दरअसल कंपनी का तर्क था कि यू.एस.ए.एफ.डी.ए. के समझौते के अनुसार वे कुछ मेडिकल उपकरण बना रहे हैं. जिसमें शर्त है कि कामगार बिना दाड़ी और मूंछ के होने चाहिए. डीसी सोलन के सख्त निर्देश से श्रम विभाग भी हरकत में आया और कंपनी प्रंबधन पर दबाव बनाना शुरु किया. इसके बाद कंपनी प्रबंधन और कामगारों के साथ मिलकर लेबर इंस्पेक्टर ने बैठक की और बीच का रास्ता निकाला. जिसके मुताबिक दाड़ी मूंछ रखने वाले कामगारों को नॉन-कोर एरिया में ही काम करना होगा जबकि दाड़ी-मूंझ हटाने वाले कर्मचारियों को ही कोर एरिया में काम करने के लिए एंट्री मिलेगी. इस शर्त के लिए दोनों पक्ष राजी हो गए हैं.
"हिमाचल इंटक फेडरेशन का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं बैठक में शामिल था. जिसमें लेबर इंस्पेक्टर ललित ठाकुर और कंपनी प्रबंधन के नुमाइंदे भी शामिल थे. बैठक में इस विवाद का हल निकल गया है और अब सभी वर्कर अपनी नौकरी पर लौटेंगे." - विक्रम ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष, हिमाचल इंटक फेडरेशन
श्रम निरीक्षक ललित ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि उद्योग में कामगारों की दाड़ी - मूंछ को लेकर चल रहा विवाद अब सुलझ गया है. कंपनी ने सभी कर्मचारियों को वापिस नौकरी पर रख लिया है. यही नहीं कंपनी उन्हें पिछले 7 दिनों को वेतन भी देगी और शनिवार को सभी अपनी नौकरी ज्वाइन करेंगे.
ये भी पढ़ें: दाढ़ी-मूंछ रखने पर 80 कामगारों को कंपनी ने बाहर निकाला, मजदूरों ने किया धरना प्रदर्शन, सोलन DC ने दिए जांच के आदेश
ये भी पढ़ें: आईजीएमसी सिक्योरटी गार्ड विवाद, अस्पताल के बाहर गार्डों का मौन प्रदर्शन, सीटू ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी