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विधानसभा के विंटर सेशन में पक्ष-विपक्ष के बीच गर्मी, दागी अफसरों को री-इंगेज करने पर उठे सवाल तो सीएम ने किया बचाव - HIMACHAL WINTER SESSION 2024

हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने डाउटफुल इंटेग्रिटी वाले अफसरों को री-इंगेज करने का मुद्दा उठाया, बचाव में उतरे सीएम सुक्खू.

Himachal Vidhan Sabha Winter Session 2024
हिमाचल विधानसभा शीतकालीन सत्र 2024 (Himachal Assembly)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 7 hours ago

शिमला: हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब गर्मा-गर्मी हो रही है. विपक्षी दल भाजपा काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष को घेर रहा है तो सत्ता पक्ष भी पलटवार कर रहा है. दूसरे दिन काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कई मसले उभर कर सामने आए. विपक्षी दल भाजपा ने डाउटफुल इंटेग्रिटी वाले अफसरों को री-इंगेज करने का मामला उठाया.

अफसरों की री-इंगेजमेंट पर विपक्ष के सवाल

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और बिलासपुर से भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने स्वास्थ्य विभाग में निदेशक के पद पर सेवानिवृत्ति के बाद री-इंगेजमेंट पर सवाल खड़े किए. त्रिलोक जमवाल ने कहा कि जो व्यक्ति ओडीआई यानी ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी की लिस्ट में रहा हो, उसे रिटायर होने के बाद एक तिहाई वेतन पर फिर से रख लिया गया. विपक्ष का दावा था कि इस अधिकारी पर सेवाकाल के दौरान भी केस बना था. सदन में काम रोको पर चर्चा के दौरान भाजपा के तेज तर्रार विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग में बंदोबस्त के लिए एक ऐसे तहसीलदार को उनके चुनाव क्षेत्र में दोबारा रख लिया गया है, जिसे विजिलेंस ब्यूरो ने घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दौरान कहा, "जो लोग ऑफिसर विद डाउटफुल इंटेग्रिटी की बात करते हैं, उन्हें नियमों की जानकारी नहीं है. यदि कोई कनविक्टेड नहीं है या आरोप तय नहीं हुए हैं तो वह डाउटफुल इंटीग्रिटी के तहत नहीं आता है. सरकार ने नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन कर ही निर्णय लिया है."

कांग्रेस नेता के लोन पर हंगामा

कांग्रेस के विधायक रहे सतपाल सिंह रायजादा के लोन मामले में सदन में खूब हंगामा हुआ. कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से सतपाल सिंह रायजादा के लोन मामले में खूब तीखी बहस हुई. भाजपा सदस्य सतपाल सिंह सत्ती और रणधीर शर्मा ने कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक की ओटीएस यानी वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए सरकार को घेरा. भाजपा सदस्यों ने पूछा था कि बैंक ने सतपाल सिंह रायजादा का तीन करोड़ रुपए से अधिक का लोन कैसे माफ कर दिया? इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्टीकरण दिया और कहा कि 9 सितंबर 2022 को पूर्व भाजपा सरकार ने ही ओटीएस नीति को लाया था. सतपाल सिंह रायजादा ने इसके तहत 6 सितंबर 2023 को बैंक के समक्ष आवेदन किया था. इस वन टाइम सेटलमेंट की वजह से ही कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक का 207 करोड़ का एनपीए रिकवर हुआ है. सीएम ने कहा कि कुल 762 लोगों को इसका लाभ मिला. इस पॉलिसी के कारण बैंक का एनपीए 2023 के 12.92 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7.15 प्रतिशत रह गया. रिकवरी के हिसाब से भी बैंक का पिछले 5-6 सालों में या सबसे बेहतर प्रदर्शन था. इसके बाद आरसीएस के निर्देशों से बैंक ने दूसरी ओटीएस पॉलिसी बनाई, जिसे सीमित अवधि के लिए लागू किया गया. इस नई पॉलिसी के तहत भी बैंक को लगभग 2000 के करीब प्रस्ताव मिले हैं. इससे एनपीए और कम होने की उम्मीद है. यही नहीं, सतपाल सिंह सत्ती ने फिर से पूछा कि सतपाल सिंह रायजादा की प्रापर्टी 10 करोड़ से 15 करोड़ रुपए कैसे हो गई? सत्ती ने कहा कि पांच साल में ही चुनाव आयोग को दिए गए दो अलग-अलग एफिडेविट में यह राशि बताई गई है. सत्ती ने ये भी पूछा कि रायजादा ने जो दो करोड़ रुपए बैंक का लोन भरा, उसके लिए पैसा कहां से आया?

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा में 7 साल के विनियोग विधेयक एक साथ हुए पारित, लोक लेखा समिति ने देरी से किए थे क्लियर

ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने दो साल में हिमाचल को दी 23 हजार 566 करोड़ की सहायता राशि, सुखविंदर सरकार को आपदा में मिला 257 करोड़ का अंशदान

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शिमला: हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब गर्मा-गर्मी हो रही है. विपक्षी दल भाजपा काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष को घेर रहा है तो सत्ता पक्ष भी पलटवार कर रहा है. दूसरे दिन काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कई मसले उभर कर सामने आए. विपक्षी दल भाजपा ने डाउटफुल इंटेग्रिटी वाले अफसरों को री-इंगेज करने का मामला उठाया.

अफसरों की री-इंगेजमेंट पर विपक्ष के सवाल

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और बिलासपुर से भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने स्वास्थ्य विभाग में निदेशक के पद पर सेवानिवृत्ति के बाद री-इंगेजमेंट पर सवाल खड़े किए. त्रिलोक जमवाल ने कहा कि जो व्यक्ति ओडीआई यानी ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी की लिस्ट में रहा हो, उसे रिटायर होने के बाद एक तिहाई वेतन पर फिर से रख लिया गया. विपक्ष का दावा था कि इस अधिकारी पर सेवाकाल के दौरान भी केस बना था. सदन में काम रोको पर चर्चा के दौरान भाजपा के तेज तर्रार विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग में बंदोबस्त के लिए एक ऐसे तहसीलदार को उनके चुनाव क्षेत्र में दोबारा रख लिया गया है, जिसे विजिलेंस ब्यूरो ने घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दौरान कहा, "जो लोग ऑफिसर विद डाउटफुल इंटेग्रिटी की बात करते हैं, उन्हें नियमों की जानकारी नहीं है. यदि कोई कनविक्टेड नहीं है या आरोप तय नहीं हुए हैं तो वह डाउटफुल इंटीग्रिटी के तहत नहीं आता है. सरकार ने नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन कर ही निर्णय लिया है."

कांग्रेस नेता के लोन पर हंगामा

कांग्रेस के विधायक रहे सतपाल सिंह रायजादा के लोन मामले में सदन में खूब हंगामा हुआ. कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से सतपाल सिंह रायजादा के लोन मामले में खूब तीखी बहस हुई. भाजपा सदस्य सतपाल सिंह सत्ती और रणधीर शर्मा ने कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक की ओटीएस यानी वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए सरकार को घेरा. भाजपा सदस्यों ने पूछा था कि बैंक ने सतपाल सिंह रायजादा का तीन करोड़ रुपए से अधिक का लोन कैसे माफ कर दिया? इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्टीकरण दिया और कहा कि 9 सितंबर 2022 को पूर्व भाजपा सरकार ने ही ओटीएस नीति को लाया था. सतपाल सिंह रायजादा ने इसके तहत 6 सितंबर 2023 को बैंक के समक्ष आवेदन किया था. इस वन टाइम सेटलमेंट की वजह से ही कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक का 207 करोड़ का एनपीए रिकवर हुआ है. सीएम ने कहा कि कुल 762 लोगों को इसका लाभ मिला. इस पॉलिसी के कारण बैंक का एनपीए 2023 के 12.92 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7.15 प्रतिशत रह गया. रिकवरी के हिसाब से भी बैंक का पिछले 5-6 सालों में या सबसे बेहतर प्रदर्शन था. इसके बाद आरसीएस के निर्देशों से बैंक ने दूसरी ओटीएस पॉलिसी बनाई, जिसे सीमित अवधि के लिए लागू किया गया. इस नई पॉलिसी के तहत भी बैंक को लगभग 2000 के करीब प्रस्ताव मिले हैं. इससे एनपीए और कम होने की उम्मीद है. यही नहीं, सतपाल सिंह सत्ती ने फिर से पूछा कि सतपाल सिंह रायजादा की प्रापर्टी 10 करोड़ से 15 करोड़ रुपए कैसे हो गई? सत्ती ने कहा कि पांच साल में ही चुनाव आयोग को दिए गए दो अलग-अलग एफिडेविट में यह राशि बताई गई है. सत्ती ने ये भी पूछा कि रायजादा ने जो दो करोड़ रुपए बैंक का लोन भरा, उसके लिए पैसा कहां से आया?

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