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हिमाचल विधानसभा में 7 साल के विनियोग विधेयक एक साथ हुए पारित, लोक लेखा समिति ने देरी से किए थे क्लियर - HIMACHAL WINTER SESSION 2024

हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सात साल के विनियोग विधेयक एक साथ पारित किए गए.

Himachal Vidhan Sabha Winter Session 2024
हिमाचल विधानसभा शीतकालीन सत्र 2024 (Himachal Assembly)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 7 hours ago

शिमला: हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में दूसरे दिन सात साल के विनियोग विधेयक एक ही दिन में एक साथ पारित किए गए. यदि सरकार आम बजट से अधिक खर्च करती है तो विधानसभा से उसकी अनुमति लेनी पड़ती है. उसके लिए विनियोग विधेयक पारित होता है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये देरी हुई थी. ऐसे में बजट से अधिक खर्च की गई रकम से संबंधित विगत साल के विनियोग विधेयक सेशन के दूसरे दिन सदन में एक साथ पारित करवाए गए. जिस समय विनियोग विधेयक पारित हो रहे थे तो विपक्षी दल सदन में नहीं था. भाजपा सदस्य सदन का बहिष्कार कर बाहर चले गए थे. संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा के इस व्यवहार की निंदा की.

खैर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2020-21 तक के 7 वित्तीय वर्ष के अनुदान व विनियोग विधायक सदन में रखे, जिन्हें बाद में ध्वनि मत से पारित किया गया. उल्लेखनीय है कि वित्त विभाग को विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये विधेयक मिले थे और लोक लेखा समिति के पास ये लंबित थे. समिति से क्लियर होने के बाद इन्हें विधानसभा से पारित करवाना जरूरी था. राज्य सरकार विधानसभा से जो बजट पारित करवाती है, यदि उससे अधिक खर्च वित्त वर्ष में हो तो उसे विनियोग विधेयक के जरिए पास करवाना होता है. यानी इसके लिए सदन की अनुमति जरूरी है.

जब सदन में भिड़ गए सीएम और सुधीर

सदन में दूसरे दिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और धर्मशाला के भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के बीच टकराव देखने को मिला. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा ने भोरंज से कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार के परिजन को धर्मशाला शहर में पेट्रोल पंप के लिए वन भूमि देने की तैयारी पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा का आरोप था कि ऊंचे स्तर से संकेत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने वन भूमि की नपाई शुरू की. इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत अनुसूचित जाति के कोटे से केंद्र सरकार से पेट्रोल पंप अलॉट हुआ है. इसके लिए सिर्फ जमीन की एनओसी दी जानी है. इस बारे में सारा फैसला केंद्र को लेना है. भाजपा को यदि कोई परेशानी है तो केंद्र सरकार के पास जाकर केस को रुकवा सकते हैं.

सुधीर शर्मा की सीएम सुक्खू को चुनौती

सीएम ने ये भी कहा कि भाजपा को तकलीफ इसलिए है क्योंकि इस जमीन को पहले स्थानीय विधायक यानी सुधीर शर्मा चाहते थे. सीएम के ये कहते ही सुधीर शर्मा ने चुनौती दी कि इस बारे में विधानसभा के समक्ष प्रूफ रखा जाए. साथ ही सुधीर ने ये भी कहा कि पंप के लिए इस लैंड ट्रांसफर का विरोध जारी रहेगा। इसके बाद जब विपक्ष के सदस्य सदन में नहीं थे और सीएम सुक्खू जवाब दे रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस सरकार में सुधीर शर्मा के मंत्री रहते हुए उन पर भी निशाना साधा. सीएम सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ने हाउसिंग बोर्ड की तरह नाले नहीं खरीद रखे हैं. जो लोग इन दिनों कांग्रेस सरकार पर निशाना साध रहे हैं, उन्होंने ही 20-20 लाख में नालों की जमीन बोर्ड से खरीद करवाई थी. इसकी जांच अभी भी चल रही है.

ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने दो साल में हिमाचल को दी 23 हजार 566 करोड़ की सहायता राशि, सुखविंदर सरकार को आपदा में मिला 257 करोड़ का अंशदान

ये भी पढ़ें: 824 करोड़ खर्च कर अफसरों व कर्मियों को संशोधित वेतनमान एरियर की दो किश्तें अदा, वित्तीय स्थिति मजबूत होते ही दिया जाएगा डीए

ये भी पढ़ें: हिमाचल सरकार ने बंद किए 1094 प्राइमरी व मिडल स्कूल, 742 भवन शिक्षा विभाग के पास, 222 भवन किए पंचायतों के हवाले

शिमला: हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में दूसरे दिन सात साल के विनियोग विधेयक एक ही दिन में एक साथ पारित किए गए. यदि सरकार आम बजट से अधिक खर्च करती है तो विधानसभा से उसकी अनुमति लेनी पड़ती है. उसके लिए विनियोग विधेयक पारित होता है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये देरी हुई थी. ऐसे में बजट से अधिक खर्च की गई रकम से संबंधित विगत साल के विनियोग विधेयक सेशन के दूसरे दिन सदन में एक साथ पारित करवाए गए. जिस समय विनियोग विधेयक पारित हो रहे थे तो विपक्षी दल सदन में नहीं था. भाजपा सदस्य सदन का बहिष्कार कर बाहर चले गए थे. संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा के इस व्यवहार की निंदा की.

खैर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2020-21 तक के 7 वित्तीय वर्ष के अनुदान व विनियोग विधायक सदन में रखे, जिन्हें बाद में ध्वनि मत से पारित किया गया. उल्लेखनीय है कि वित्त विभाग को विधानसभा की लोक लेखा समिति से ये विधेयक मिले थे और लोक लेखा समिति के पास ये लंबित थे. समिति से क्लियर होने के बाद इन्हें विधानसभा से पारित करवाना जरूरी था. राज्य सरकार विधानसभा से जो बजट पारित करवाती है, यदि उससे अधिक खर्च वित्त वर्ष में हो तो उसे विनियोग विधेयक के जरिए पास करवाना होता है. यानी इसके लिए सदन की अनुमति जरूरी है.

जब सदन में भिड़ गए सीएम और सुधीर

सदन में दूसरे दिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और धर्मशाला के भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के बीच टकराव देखने को मिला. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा ने भोरंज से कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार के परिजन को धर्मशाला शहर में पेट्रोल पंप के लिए वन भूमि देने की तैयारी पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. भाजपा सदस्य सुधीर शर्मा का आरोप था कि ऊंचे स्तर से संकेत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने वन भूमि की नपाई शुरू की. इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत अनुसूचित जाति के कोटे से केंद्र सरकार से पेट्रोल पंप अलॉट हुआ है. इसके लिए सिर्फ जमीन की एनओसी दी जानी है. इस बारे में सारा फैसला केंद्र को लेना है. भाजपा को यदि कोई परेशानी है तो केंद्र सरकार के पास जाकर केस को रुकवा सकते हैं.

सुधीर शर्मा की सीएम सुक्खू को चुनौती

सीएम ने ये भी कहा कि भाजपा को तकलीफ इसलिए है क्योंकि इस जमीन को पहले स्थानीय विधायक यानी सुधीर शर्मा चाहते थे. सीएम के ये कहते ही सुधीर शर्मा ने चुनौती दी कि इस बारे में विधानसभा के समक्ष प्रूफ रखा जाए. साथ ही सुधीर ने ये भी कहा कि पंप के लिए इस लैंड ट्रांसफर का विरोध जारी रहेगा। इसके बाद जब विपक्ष के सदस्य सदन में नहीं थे और सीएम सुक्खू जवाब दे रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस सरकार में सुधीर शर्मा के मंत्री रहते हुए उन पर भी निशाना साधा. सीएम सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ने हाउसिंग बोर्ड की तरह नाले नहीं खरीद रखे हैं. जो लोग इन दिनों कांग्रेस सरकार पर निशाना साध रहे हैं, उन्होंने ही 20-20 लाख में नालों की जमीन बोर्ड से खरीद करवाई थी. इसकी जांच अभी भी चल रही है.

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