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मंदिरो के खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाए वार्षिक खर्च: High Court - high court latest news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार उन मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को सरकार की ओर से दिए जाने वाले वार्षिक खर्च की रकम सीधे इनके बैंक खाते में भेज सकती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 7:48 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार उन मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को सरकार की ओर से दिए जाने वाले वार्षिक खर्च की रकम सीधे इनके बैंक खाते में भेज सकती है. आज के डिजिटल युग में कागज़ी कार्यवाही पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. अगर सरकार इसे उचित समझे तो ऐसा कर सकती है. ठाकुर रंग जी महाराज विराजमान मंदिर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की.

अदालत के आदेश पर राजस्व परिषद् केआयुक्त/सचिव एसवीएस रंगा राव कोर्ट में उपस्थित हुए. उन्होने बताया की जिलाधिकारी मथुरा की ओर से नौ मंदिरों को वार्षिक खर्च देने की कोई मांग प्रस्तुत नहीं की गई. पहली बार इनको डीएम द्वारा 22 फरवरी को भेजे पत्र से इस मामले की जानकारी हुईं है. इस न्यायालय का आदेश मिलने के बाद मामले को मुख्य सचिव को भेजा गया है. मुख्य सचिव ने भुगतान की अनुमति दे दी है. पिछले चार वर्षो का बकाया 6,89,308 रूपये मंदिरो के खातों में भेज दिया जाएगा.

कोर्ट ने कहा की रेवेन्यू एक्ट की धारा 99 में मंदिरो मस्जिदों गुरुद्वारों आदि को सरकार से वार्षिक खर्च देने का प्रावधान है. हर साल संबंधित डीएम इसकी मांग करते हैं. यह रकम सीधे ट्रांसफर की जा सकती है. चूंकि मामला मुख्य मंत्री के संज्ञान में है और आवश्यक कार्यवाही हो रही है इसलिए तीन सप्ताह बाद अदालत इस पर सुनवाई करेगी.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार उन मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को सरकार की ओर से दिए जाने वाले वार्षिक खर्च की रकम सीधे इनके बैंक खाते में भेज सकती है. आज के डिजिटल युग में कागज़ी कार्यवाही पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. अगर सरकार इसे उचित समझे तो ऐसा कर सकती है. ठाकुर रंग जी महाराज विराजमान मंदिर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की.

अदालत के आदेश पर राजस्व परिषद् केआयुक्त/सचिव एसवीएस रंगा राव कोर्ट में उपस्थित हुए. उन्होने बताया की जिलाधिकारी मथुरा की ओर से नौ मंदिरों को वार्षिक खर्च देने की कोई मांग प्रस्तुत नहीं की गई. पहली बार इनको डीएम द्वारा 22 फरवरी को भेजे पत्र से इस मामले की जानकारी हुईं है. इस न्यायालय का आदेश मिलने के बाद मामले को मुख्य सचिव को भेजा गया है. मुख्य सचिव ने भुगतान की अनुमति दे दी है. पिछले चार वर्षो का बकाया 6,89,308 रूपये मंदिरो के खातों में भेज दिया जाएगा.

कोर्ट ने कहा की रेवेन्यू एक्ट की धारा 99 में मंदिरो मस्जिदों गुरुद्वारों आदि को सरकार से वार्षिक खर्च देने का प्रावधान है. हर साल संबंधित डीएम इसकी मांग करते हैं. यह रकम सीधे ट्रांसफर की जा सकती है. चूंकि मामला मुख्य मंत्री के संज्ञान में है और आवश्यक कार्यवाही हो रही है इसलिए तीन सप्ताह बाद अदालत इस पर सुनवाई करेगी.

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