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हाईकोर्ट ने पहले मुकदमा फिर समझौता करने वाले पक्षों पर की कार्रवाई, लगाया जुर्माना - Allahabad High Court Order

हाईकोर्ट ने सुलह के आधार पर मुकदमे को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दोनों पक्षों पर दो-दो हजार का हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है. ऐसे में यदि मुकदमे को जारी रहने दिया जाता है, तो ट्रायल कोर्ट का समय बर्बाद होगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (PHOTO Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 17, 2024, 10:18 PM IST

Updated : Jun 17, 2024, 10:43 PM IST

प्रयागराज: पहले मुकदमा कायम करने फिर बाद में समझौता करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले पक्षकारों की याचिका हाईकोर्ट ने हर्जाने के साथ स्वीकार की है. कोर्ट ने सुलह के आधार पर मुकदमे को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दोनों पक्षों पर दो-दो हजार का हर्जाना लगाया है.

कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है. ऐसे में यदि मुकदमे को जारी रहने दिया जाता है, तो ट्रायल कोर्ट का समय बर्बाद होगा. कोर्ट ने कहा कि दुख की बात है कि लोग अपने विरोधी को सबक सिखाने के उद्देश्य से अक्सर आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हैं. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने छेदी लाल व तीन अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया.

प्रयागराज के मऊआइमा थाने में छेदी लाल व अन्य पर गैर इरादतन हत्या, मारपीट व अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया. प्रकरण स्पेशल सी जे एम की अदालत में लंबित है. इस बीच दोनों पक्षो ने अदालत के बाहर समझौता कर लिया.

याची अ​धिवक्ता ने कहा कि पक्षों के बीच समझौता हो गया है. इसलिए मुक़दमे की कार्यवाही समाप्त की जाए. कोर्ट ने 9 अप्रैल 2024 के आदेश से ट्रायल कोर्ट को पक्षों के बीच हुए समझौते की सत्यता को सत्यापित करने का निर्देश दिया था. ट्रायल कोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 के आदेश से सत्यापित किया है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों पर दो-दो हजार रुपये का हर्जाने लगाते हुए मुकदमे की कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया. तीन सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, इलाहाबाद के समक्ष हर्जाना जमा करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि हर्जाना इस लिए लगाया जा रहा है, ताकि पक्षों व अन्य लोगों को पता चले कि हम मूकदर्शक नहीं हैं, जो भी न्यायालय का दुरुपयोग करेगा, उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: वरिष्ठ अधिकारी कोर्ट का आदेश न मानें, तो सरकार के पास क्या है विकल्प: हाईकोर्ट

यह भी पढ़ें: एक वर्ष पूर्व जमानत के बाद भी जेल में बंद अभियुक्त; हाईकोर्ट का आदेश- जमानत पर ऐसी शर्तें न लगाएं अदालतें कि रिहाई ही न हो सके

प्रयागराज: पहले मुकदमा कायम करने फिर बाद में समझौता करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले पक्षकारों की याचिका हाईकोर्ट ने हर्जाने के साथ स्वीकार की है. कोर्ट ने सुलह के आधार पर मुकदमे को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दोनों पक्षों पर दो-दो हजार का हर्जाना लगाया है.

कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है. ऐसे में यदि मुकदमे को जारी रहने दिया जाता है, तो ट्रायल कोर्ट का समय बर्बाद होगा. कोर्ट ने कहा कि दुख की बात है कि लोग अपने विरोधी को सबक सिखाने के उद्देश्य से अक्सर आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हैं. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने छेदी लाल व तीन अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया.

प्रयागराज के मऊआइमा थाने में छेदी लाल व अन्य पर गैर इरादतन हत्या, मारपीट व अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया. प्रकरण स्पेशल सी जे एम की अदालत में लंबित है. इस बीच दोनों पक्षो ने अदालत के बाहर समझौता कर लिया.

याची अ​धिवक्ता ने कहा कि पक्षों के बीच समझौता हो गया है. इसलिए मुक़दमे की कार्यवाही समाप्त की जाए. कोर्ट ने 9 अप्रैल 2024 के आदेश से ट्रायल कोर्ट को पक्षों के बीच हुए समझौते की सत्यता को सत्यापित करने का निर्देश दिया था. ट्रायल कोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 के आदेश से सत्यापित किया है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों पर दो-दो हजार रुपये का हर्जाने लगाते हुए मुकदमे की कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया. तीन सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, इलाहाबाद के समक्ष हर्जाना जमा करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि हर्जाना इस लिए लगाया जा रहा है, ताकि पक्षों व अन्य लोगों को पता चले कि हम मूकदर्शक नहीं हैं, जो भी न्यायालय का दुरुपयोग करेगा, उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

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Last Updated : Jun 17, 2024, 10:43 PM IST
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