रामनगर: नैनीताल जिले के रामनगर के टेड़ा गांव बारिश के साथ जमकर ओले गिरे. जिससे टेड़ा का जंगल सफेद नजर आने लगा. ओलों की सफेद चादर देख लोग उसे बर्फ समझ बैठे. क्योंकि, तीन से चार इंच कर ओलों की परत बिछ गई थी. जिस पर लोगों जमकर मस्ती भी की. वहीं, ओलावृष्टि से किसानों के माथे पर सिकन पैदा हो गई है.
जानकारों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह मौसम चक्र में बदलाव देखने को मिल रहा है. इनदिनों पश्चिमी विक्षोभ की चलते बारिश हो रही है. रामनगर के टेड़ा गांव में जमकर ओलावृष्टि हुई. जिससे ऐसा लग रहा था कि रामनगर में भी बर्फ गिर गई हो. मार्च के महीने में इस प्रकार की ओलावृष्टि फसलों के साथ इंसानों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकती है.
इतिहासकार अजय रावत ने जताई चिंता: प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, ऐसा तो होना ही है. यह मौसम में परिवर्तन की वजह से हो रहा है. अंधाधुंध वृक्षों का दोहन, हरियाली को नष्ट करना, खनन से वायु प्रदूषण, माइनिंग की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हो रही है.
उन्होंने बताया कि खनन से वातावरण में वायु प्रदूषण फैल रहा है. अगर बारिश ज्यादा हुई तो स्थिति और भयानक होगी. उनका कहना है कि आने वाले समय में भयंकर बाढ़ का भी सामना करना पड़ सकता है. अजय रावत कहते हैं कि सरकार कहती है खनन से बाढ़ नहीं आएगी, मगर जब अंधाधुंध खनन होगा तो बाढ़ को आने से कोई नहीं रोक सकता.
इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत ने बताया कि हाल ही में भारत सरकार की ताजा रिपोर्ट आई है. जिसमें कहा गया है कि माइनिंग से बाढ़ को नहीं रोका जा सकता. यह सब वायु प्रदूषण, खनन, पेड़ों के कटान, कंक्रीटों के जाल बिछा देने की वजह से हो रहा है. ऐसे में मौसम चक्र को बदलने से रोकना होगा. जलवायु परिवर्तन हुआ तो स्थिति आने वाले समय भयावह हो सकते हैं.
क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार विनोद पपने? वहीं, वरिष्ठ पत्रकार विनोद पपने कहते हैं कि उन्होंने अपनी पत्रकारिता के 45 सालों में पहली बार ऐसा देखा है. ऐसा लग रहा था बर्फ गिर गई हो, लेकिन यह कोई बर्फ नहीं, बल्कि ओले थे. उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ये सब हो रहा है. जिससे भारी ओलावृष्टि हुई है. एक साथ बड़े ओले गिरने से लग रहा था, जैसे बर्फ की चादर बिछ गई हो. इससे फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.
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