नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल और घोटाले की लोकायुक्त अदालत में चल रही जांच में बुधवार को शिकायतकर्ता बीजेपी सांसद मनोज तिवारी पेश होंगे. बीते दिनों लोकायुक्त अदालत में इस मामले की सुनवाई में सांसद मनोज तिवारी को गवाही देने के लिए बुलाया था. दरअसल, वर्ष 2018 में बीजेपी सांसद ने इस मामले को उठाया था. उसके बाद सतर्कता निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट में यह जिक्र किया था कि सरकारी स्कूलों में गत वर्षों के दौरान जो अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण हुआ है, उसमें अनियमितताएं पाई गई हैं.
रिपोर्ट में यह भी था कि निर्माण कार्य को जिस दर से करने की स्वीकृति मिली, वह बाजार के निर्धारित मूल्य से बहुत अधिक है. टेंडर प्रक्रिया भी ठीक तरह से पूरी नहीं की गई. सतर्कता निदेशालय के इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने सीबीआई जांच की मांग की थी और उन्होंने लोकायुक्त अदालत में भी इसकी शिकायत की थी. इसपर लोकायुक्त अदालत ने शिक्षा निदेशालय और लोक निर्माण विभाग से पूरी रिपोर्ट देने को कहा था. बुधवार को इसी मामले की सुनवाई में मनोज तिवारी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है.
सांसद मनोज तिवारी का आरोप है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में केजरीवाल सरकार द्वारा पहले से बने स्कूलों परिसर में जो नए निर्माण किए गए हैं, वहां अस्थाई स्कूलों में कक्षा का निर्माण 32 लाख रुपए की लागत से किया गया, जबकि नगर निगम के स्कूलों में ऐसे ही स्थाई कक्षा का निर्माण की लागत 9 लाख रुपए आई. सतर्कता निदेशालय द्वारा मामले की जांच के बाद जो रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंप गई थी. उसमें कहा गया है की कक्षाओं की संख्या 7180 से घटकर 4126 हो गई है, लेकिन इसके बजट में किसी भी प्रकार की कोई कटौती नहीं की गई. सतर्कता निदेशालय के इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और दिल्ली बीजेपी के मंत्री हरीश खुराना ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से की थी. तभी से यह मामला लोकायुक्त अदालत में चल रहा है.
क्या हुई थी अनियमितता व शिकायत
- सतर्कता निदेशालय को 25.07.2019 को दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा के कक्षों के निर्माण में अनियमितताओं और लागत में वृद्धि के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई थी.
- बेहतरी के नाम पर बिना निविदा बुलाए निर्माण लागत 90 फीसद तक बढ़ गई.
- दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के 500 करोड़ रुपये की लागत बढ़ाने की मंजूरी दी.
- जीएफआर और सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल का खुला उल्लंघन हुआ.
- निर्माण की खराब गुणवत्ता और अधूरा कार्य.
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